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बाढ़ ने सबकुछ कर दिया बर्बाद, आहिस्ता-आहिस्ता पटरी पर लौट रही जिंदगी

बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है.

सामान के साथ बाढ़ पीड़ित
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Published : Aug 11, 2019, 11:43 PM IST

सुकमा: आसमान से बरसी आफत ने जमीन पर ऐसा अत्याचार किया कि यहां रह रहे लोगों का सब कुछ बर्बाद हो गया. तिनका-तिनका जोड़कर जो गृहस्थी बनाई थी वो एक झटके में तबाह हो गई.

पटरी पर लौट रही जिंदगी

शनिवार को शबरी नदी ने थोड़ा रहम दिखाया, जिसके बाद नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे उतरा. पानी के उतरते ही जिंदगी ने पटरी पर लौटने की जद्दोजेहद शुरू की.

उजड़ गई गृहस्थी
शनिवार की दोपहर से ही जिले के ग्रामीण इलाकों में हालात सामान्य होने लगे थे. राहत शिविर में ठहरे लोगों ने रविवार को अपने-अपने घरों की ओर का रुख किया. आशियाने में पहुंचकर लोगों ने देखा कि, पाई-पाई जोड़कर उन्होंने जो गृहस्थी बनाई थी, वो बर्बाद हो चुकी है.

बाढ़ पीड़ितों ने दिखाई जिंदादिली
सिर की छत डामाडोल थी, पानी के प्रहार से घर की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी. लेकिन संघर्ष का नाम ही जिंदगी है. लोगों ने फिर हिम्मत जुटाई और जिंदगी की दौड़ में फिर शामिल हो लिए.

जिला मुख्यालय से टूटा संपर्क
ये लगातार तीसरी बार है जब जल ने जिले में तांडव मचाया है. भारी बारिश से शबरी नदी के साथ अंदरूनी इलाकों में बहने वाले छोटे-छोटे नदी-नाले उफान पर आ गए थे. इसका नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया.

बाढ़ ने किया बेहाल
जलभराव के कारण निचली बस्तियों को खाली कराया गया था. नेशनल हाईवे पर पानी भरने से आवागमन 48 घंटे से ज्यादा वक्त के लिए बाधित हो गया था और इसके आस-पास रहने वाले लोग बाढ़ के जल में बंधक बन गए थे.

1200 से ज्यादा लोग हुए प्रभावित
बाढ़ ने सुकमा में जमकर कहर बरपाया. 1200 से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए थे. जैसे-जैसे बाढ़ का पानी उतर रहा है लोग अपनी बिखरी जिंदगी को समेटने की कोशिश कर रहे हैं. इस उम्मीद के साथ कि, वक्त एक बार फिर बदलेगा और उनके पुराने दिन वापस लौट आएंगे.

सुकमा: आसमान से बरसी आफत ने जमीन पर ऐसा अत्याचार किया कि यहां रह रहे लोगों का सब कुछ बर्बाद हो गया. तिनका-तिनका जोड़कर जो गृहस्थी बनाई थी वो एक झटके में तबाह हो गई.

पटरी पर लौट रही जिंदगी

शनिवार को शबरी नदी ने थोड़ा रहम दिखाया, जिसके बाद नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे उतरा. पानी के उतरते ही जिंदगी ने पटरी पर लौटने की जद्दोजेहद शुरू की.

उजड़ गई गृहस्थी
शनिवार की दोपहर से ही जिले के ग्रामीण इलाकों में हालात सामान्य होने लगे थे. राहत शिविर में ठहरे लोगों ने रविवार को अपने-अपने घरों की ओर का रुख किया. आशियाने में पहुंचकर लोगों ने देखा कि, पाई-पाई जोड़कर उन्होंने जो गृहस्थी बनाई थी, वो बर्बाद हो चुकी है.

बाढ़ पीड़ितों ने दिखाई जिंदादिली
सिर की छत डामाडोल थी, पानी के प्रहार से घर की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी. लेकिन संघर्ष का नाम ही जिंदगी है. लोगों ने फिर हिम्मत जुटाई और जिंदगी की दौड़ में फिर शामिल हो लिए.

जिला मुख्यालय से टूटा संपर्क
ये लगातार तीसरी बार है जब जल ने जिले में तांडव मचाया है. भारी बारिश से शबरी नदी के साथ अंदरूनी इलाकों में बहने वाले छोटे-छोटे नदी-नाले उफान पर आ गए थे. इसका नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया.

बाढ़ ने किया बेहाल
जलभराव के कारण निचली बस्तियों को खाली कराया गया था. नेशनल हाईवे पर पानी भरने से आवागमन 48 घंटे से ज्यादा वक्त के लिए बाधित हो गया था और इसके आस-पास रहने वाले लोग बाढ़ के जल में बंधक बन गए थे.

1200 से ज्यादा लोग हुए प्रभावित
बाढ़ ने सुकमा में जमकर कहर बरपाया. 1200 से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए थे. जैसे-जैसे बाढ़ का पानी उतर रहा है लोग अपनी बिखरी जिंदगी को समेटने की कोशिश कर रहे हैं. इस उम्मीद के साथ कि, वक्त एक बार फिर बदलेगा और उनके पुराने दिन वापस लौट आएंगे.

Intro: बाढ़ का कहर खत्म अब लोग जुटे अपने उजड़े आशियाने संवारने में....

सुकमा. बाढ़ के दूसरे दिन शनिवार शाम को शबरी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे उतर गया। इसके साथ ही आसपास के निचली बस्तियों, नाले और खेतों से भी जलभराव कम होने लगा। रविवार को पूरी तरह से पानी कम होने के बाद शिविरों में ठहरे लोग अपने उजड़े आशियाना को सवांरते नजर आए। शिविर में बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी रविवार को पटरी पर लौटते दिखी।

शनिवार दोपहर से ही जिला समेत ग्रामीण इलाकों में जिंदगी सामान्य होने लगी थी। बारिश बन्द होने के बाद लोहों राहत को सांस ली लेकिन बाढ़ का पानी सड़कों और घरों में ठहरा रहा। कुछ इलाकों में बाढ़ का पानी होने की वजह से लोग शिविरों में ही रुके थे। वहीं रविवार को पूर्ण रूप से पानी उतरने के बाद जन-जीवन सामान्य हो गया। लोगों की जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी। शिविरों से लोग अब अपने घरों में जा रहे हैं। घरों में जमा मलबा एवं गंदगी के ढेर को साफ करने में लगे हैं।


Body: पानी तो उतर गया मगर छोड़ गया बाढ़ के निशान...
राजवाड़ा निवासी शंकर सरकार और प्रेमसाय घरों को सवार थे दिखे। उनके कच्चे मकानों में बाढ़ के निशान साफ दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि बुधवार देर रात को भारी बारिश के बाद पानी घरों में घुसने लगा था जिसके बाद प्रशासन द्वारा बनाए गए शिविर में शरण लिया। 4 दिन बाद आज वे घर लौटे हैं। बाढ़ की वजह से मिट्टी की दीवार ढह गई है। जिसे सुधारा जा रहा है। उन्होंने बताया कि बाढ़ की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ा है। सरकारी राहत में देरी होने की बात कहते हुए वह अपने ही खर्चे से घर की मरम्मत में जुटे है।

एक नहीं तीन बार बाढ़ ने किया नुकसान...
लगातार तीसरी बार जिले में आई बाढ़ ने जमकर कहर बरपाया है। भारी बारिश के चलते शबरीनदी के साथ अंदरूनी इलाकों में बहने वाले छोटे-छोटे नदियां और नाले भी उफान पर आ गए थे। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रो का संपर्क मुख्यालय से टूट गया था। जलभराव के कारण निचली बस्तियों को खाली करवाया गया। नेशनल हाईवे में कई जगह पानी भरने से आवागमन 48 घंटे से ज्यादा समय के लिए बाधित हो गया था।


Conclusion: 12:00 सौ से ज्यादा लोग हुए प्रभावित जिले के तीनों विकासखंड बाढ़ की चपेट में आ गए सुकमा कोंटा और छिंदगढ़ में बाढ़ ने काफी नुकसान पहुंचाया बाढ़ का पानी घरों में घुसने से लोग बेघर हो गए जिला प्रशासन की ओर से जिले के तीनों विकासखंड में 17 राहत शिविरों का संचालन किया गया जिसमें 12:00 सौ से ज्यादा प्रभावितों को रुकाया गया।
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