सुकमा: नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के एक पोटा केबिन में रहकर पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म का मामला सामने आया है. यह घटना 22 जुलाई की रात की है. शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने सोमवार को केस दर्ज किया है. पुलिस टीम बनाकर इस मामले की जांच में जुटी है.
पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज: पुलिस का कहना है कि, कक्षा 1 की 6-7 साल की छात्रा ने माता-पिता को कथित अपराध के बारे में बताया. जिसके बाद छात्रावास अधीक्षक को इसकी सूचना दी गई. अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 376 एबी (12 साल से कम उम्र की महिला से बलात्कार), 456 (घर में अतिक्रमण), 363 (अपहरण) और 324 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है.
"सुकमा जिले के एर्राबोर में नाबालिक के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है. जिस पर थाने में धारा 456, 363, 376 क/ ख, 324, 4, 5, 6 पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है. साथ ही पीड़िता का मेडिकल टेस्ट कराया गया है. इस केस में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कोंटा गौरव मंडल के नेतृत्व में 8 सदस्यीय टीम गठित कर विवेचना की जा रही है. फिलहाल इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है"- आकाश मरकाम,अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुकमा
जांच के लिए आठ सदस्यीय टीम गठित: इस मामले की जांच के लिए सुकमा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गौरव मंडल के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम गठित की गई है. इसमें उप पुलिस अधीक्षक (विशेष किशोर पुलिस इकाई सुकमा) पारुल खंडेलवाल भी शामिल हैं. बच्चे की मेडिकल जांच कराई गई है और आरोपी की पहचान करने की कोशिश की जा रही है.
"रविवार को सुकमा के पोटा केबिन में कक्षा एक की बच्ची से रेप की घटना हुई. 22 जुलाई की रात को यह वारदात हुई. सोमवार को इस केस की शिकायत मिली. इस मामले में जांच टीम गठित कर दी गई है" -किरण च्वहाण, एसपी, सुकमा
बच्ची से रेप के मामले पर राजनीति तेज: बच्ची से रेप की इस घटना पर राजनीति तेज हो गई है. बीजेपी ने पुलिस पर इस केस में गंभीरता पूर्वक कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्टाफ की नियुक्ति नहीं होने की वजह से ऐसी घटनाएं हो रही है.
"इस रेप कांड के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. सुकमा प्रशासन इस मामले को घुमाने का प्रयास कर रही है. पुलिस किसी भी आरोपी को बचाने का प्रयास नहीं करें. आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार करें. इस मामले में एक्शन नहीं लिया गया तो सर्व आदिवासी समाज और बीजेपी सड़क पर लड़ाई लड़ेगी":-धनीराम बारसे, जिलाध्यक्ष, बीजेपी
घटना के बाद की गई कार्रवाई: इस घटना के बाद पोटा केबिन यानी की विद्यालय की अधीक्षिका और सहायक अधीक्षिका पर कार्रवाई की गई है. हॉस्टर वार्डन हिना खान और असिस्टेंट हॉस्टल वार्डन सविता वर्मा को निलंबित किया गया है.
पोटा केबिन क्या होता है?: नक्सलग्रस्त इलाकों में नक्सली हिंसा में स्कूलों को काफी नुकसान पहुंचा था. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार ने नक्सलग्रस्त इलाकों में ऐसे भवन तैयार किए जिसे पोटा केबिन का नाम दिया गया. इन भवनों में स्कूल और स्कूली हॉस्टल संचालित होते हैं. जिसमें नक्सलगढ़ के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है. इन आवासीय विद्यालयों का महत्व बस्तर में सबसे ज्यादा है. यहां पढने वाले बच्चे शिक्षा के दम पर आगे बढ़ रहे हैं. पोटा केबिन भवन की खासियत यह होती है कि यह बांस से तैयार किए जाते हैं. बस्तर के नक्सलग्रस्त इलाकों में स्थापित पोटा केबिन में 6 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. पोटा केबिन को बांस से इसलिए तैयार किया जाता है ताकि नक्सल वारदात में ज्यादा नुकसान नहीं हो.