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राम वन गमन यात्रा का रामाराम में आदिवासी समुदाय ने किया विरोध, बिना मिट्टी लिए वापस लौटा दल - Adivasi community protests in Ramaram

रामवनगन यात्रा का रामाराम में आदिवासी समुदाय ने पुरजोर विरोध किया. उनका कहना था कि रामाराम में बगैर मिट्टी लिए रथ को सुकमा जिला प्रशासन के द्वारा रवाना किया गया

रामाराम में आदिवासी समुदाय ने किया विरोध
रामाराम में आदिवासी समुदाय ने किया विरोध
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Published : Dec 15, 2020, 11:09 PM IST

Updated : Dec 16, 2020, 9:02 AM IST

सुकमा : राम गमन पथ रथ यात्रा का शुभारंभ सुकमा जिले के रामाराम से होना था, लेकिन रथ यात्रा शुभारंभ होने से पहले सर्व आदिवासी समाज ने अपना संवैधानिक अधिकारों के साथ मातागुड़ी के प्रांगण पर ही डटे रहे. जिला प्रशासन ने सुकमा जिले के रामाराम में बगैर मिट्टी लिए रथ को सुकमा जिला प्रशासन के द्वारा रवाना किया गया.

रामाराम में आदिवासी समुदाय ने किया विरोध

सर्व आदिवासी समाज के हजारों लोगों ने पुरजोर से विरोध किया. समाज का कहना था कि पांचवी अनुसूची में छेड़खानी बंद करो. ये नारा देते हुए यात्रा को आदिवासी समाज ने रोक दिया. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की आस्था का केंद्र प्रकृति पुरखे व पुरखो की परम्परागत ज्ञान जिसे पुनेम कहते इसे खत्म करने की कोशिश की गई है. धार्मिकीकरण कर आदिवासियों की संस्कृति को समाप्त करने की साजिश किया जा रहा है जिसका आदिवासी समाज पुरजोर विरोध करता है.

गाँव की व्यवस्था के सख्त खिलाफ

उन्होंने कहा कि जिस उक्त चिन्हाकित जगहों से मिट्टी ले जाने की तैयारी की जा रही है वो आदिवासी गाँव की व्यवस्था के सख्त खिलाफ है. इस तरह का कार्य जब भी किया जाता है ग्राम देवी पेन की अनुमति पारंपरिक मुखिया की उपस्थिति में ग्राम देवी की अनुमति अनिवार्य होती है. यदि अनुमति नहीं मिलती है तो वह कार्य वर्जित है. यह नियम हमारी ग्राम की व्यवस्था है, जो पुरखों से चली आ रही है.आदिवासी बहुल क्षेत्र 5 वीं अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसमें पारंपरिक ग्रामसभा की अनुमति के बगैर कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा की हमारे लिए काल्पनिक राम वन गमन का कोई महत्व नहीं है. यह जबरदस्ती पर संस्कृतिकरण करने की एक षड्यंत्र है. जबकि हमारा जन्म से लेकर मरण तक प्रकृति पहाड़ वृक्ष पेन पुरखा पूरुड़ पुनेम यही हमारी आस्था और विश्वास है. इसलिए इसका हमेशा से संरक्षण करते हुए आए हैं. विरोध के दौरान हज़ारों संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग उपस्थित थे.

सुकमा : राम गमन पथ रथ यात्रा का शुभारंभ सुकमा जिले के रामाराम से होना था, लेकिन रथ यात्रा शुभारंभ होने से पहले सर्व आदिवासी समाज ने अपना संवैधानिक अधिकारों के साथ मातागुड़ी के प्रांगण पर ही डटे रहे. जिला प्रशासन ने सुकमा जिले के रामाराम में बगैर मिट्टी लिए रथ को सुकमा जिला प्रशासन के द्वारा रवाना किया गया.

रामाराम में आदिवासी समुदाय ने किया विरोध

सर्व आदिवासी समाज के हजारों लोगों ने पुरजोर से विरोध किया. समाज का कहना था कि पांचवी अनुसूची में छेड़खानी बंद करो. ये नारा देते हुए यात्रा को आदिवासी समाज ने रोक दिया. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की आस्था का केंद्र प्रकृति पुरखे व पुरखो की परम्परागत ज्ञान जिसे पुनेम कहते इसे खत्म करने की कोशिश की गई है. धार्मिकीकरण कर आदिवासियों की संस्कृति को समाप्त करने की साजिश किया जा रहा है जिसका आदिवासी समाज पुरजोर विरोध करता है.

गाँव की व्यवस्था के सख्त खिलाफ

उन्होंने कहा कि जिस उक्त चिन्हाकित जगहों से मिट्टी ले जाने की तैयारी की जा रही है वो आदिवासी गाँव की व्यवस्था के सख्त खिलाफ है. इस तरह का कार्य जब भी किया जाता है ग्राम देवी पेन की अनुमति पारंपरिक मुखिया की उपस्थिति में ग्राम देवी की अनुमति अनिवार्य होती है. यदि अनुमति नहीं मिलती है तो वह कार्य वर्जित है. यह नियम हमारी ग्राम की व्यवस्था है, जो पुरखों से चली आ रही है.आदिवासी बहुल क्षेत्र 5 वीं अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसमें पारंपरिक ग्रामसभा की अनुमति के बगैर कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा की हमारे लिए काल्पनिक राम वन गमन का कोई महत्व नहीं है. यह जबरदस्ती पर संस्कृतिकरण करने की एक षड्यंत्र है. जबकि हमारा जन्म से लेकर मरण तक प्रकृति पहाड़ वृक्ष पेन पुरखा पूरुड़ पुनेम यही हमारी आस्था और विश्वास है. इसलिए इसका हमेशा से संरक्षण करते हुए आए हैं. विरोध के दौरान हज़ारों संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग उपस्थित थे.

Last Updated : Dec 16, 2020, 9:02 AM IST
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