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सरगुजा : जान हथेली पर रखकर उफनती नदी पार कर स्कूल जाते हैं ये बच्चे - नदी पार कर स्कूल जाते बच्चे

लखनपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत करई में सड़क के ऊपर पुल न होने की वजह से यहां के ग्रामीण आए दिन कई परेशानियों से जूझते हैं. वहीं स्कूली बच्चों के लिए बारिश के दिनों में स्कूल जाना किसी चुनौती से कम नहीं है.

पुल नहीं होने से बरसात में होती है कई परेशानियां
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Published : Aug 16, 2019, 11:46 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: अगर इरादे ऊंचे हो और मन में ऊंचाइयों को छूने की जिद हो, तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी बौनी नजर आती हैं. जी हां, ऐसी ही कुछ स्थिति है ग्राम पंचायत केरई के उरांव पारा की, जहां छोटे-छोटे बच्चों को उफनती नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है.

पुल नहीं होने से बरसात में होती है कई परेशानियां

नदी पार कर अपनी जरूरतें पूरी करना ग्रामीणों की मजबूरी बन चुकी है. उरांवपारा में स्कूल न होने की वजह से उन्हें दूसरी जगह कुन्नी गांव जाना पड़ता है, लेकिन जरा इनके हौसलों को देखिए साहब. सुविधा से परे होने के बावजूद शिक्षा के प्रति इनकी ललक अतुलनीय है.

हर दिन करते हैं दिक्कतों का सामना
उरांवपारा में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत सड़क तो बना दी गई, लेकिन गांव पहुंचने से पहले एक नदी पड़ती है, जिस पर पुल नहीं होने से वहां के ग्रामीणों को अपनी जरूरतों के लिए नदी पार कर उस पार जाना पड़ता है.

7वीं कक्षा में पढ़ने वाली आशा एक्का ने बताया कि स्कूल जाने के लिए घर से पांच किलोमीटर का सफर रोज तय करती हैं, लेकिन अगर लगातार बारिश होती है, तो नदी में पानी भर जाता है, जिसकी वजह से वापस घर लौटना पड़ जाता है. अगर कम पानी हो तो घर वाले नदी पार करा देते हैं. कई बार जब इस पार से उस पार जाने के वक्त पानी ज्यादा भर जाए तो कई बच्चे अपने रिश्तेदारों के घर रूक जाते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा कि उन बच्चों का क्या होता होगा, जिनका कोई रिश्तेदार ही नहीं हो.

परेशानियों से जूझते हैं ग्रामीण
ग्रामीण रेलुस खेस ने बताया कि करई ग्राम पंचायत के उरांवपारा के ग्रामीण पुल नहीं होने से काफी परेशान हैं. गांव में आने जाने के लिए बीच में नदी पड़ती है, जिस पर पुल न होने से ग्रामीण किसी तरह नदी पार कर आवागमन करते हैं, लेकिन बच्चों को लेकर हमेशा डर बना रहता है. जब बच्चे नदी पार करते हैं, तो किसी न किसी परिजन को नदी के पास खड़ा रहना पड़ता है. इसके अलावा अगर कोई ग्रामीण बीमार पड़ जाए तो, उसे चारपाई के सहारे स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाता है. जनप्रतिनिधि नेता वोट मांगने के लिए तो आ जाते हैं, लेकिन उनकी मांगें कोई नहीं सुनता.

पढ़ें- देश के कई राज्यों में 'जल प्रलय', मरने वालों की संख्या 200 के पार

कई बार कर चुके हैं जनप्रतिनिधियों से मांग
वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि यहां पुल नहीं होने से यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण कई सालों से पुल की मांग कर रहे हैं. कई बार यहां के जनप्रतिनिधियों को पुल बनाने के लिए प्रस्ताव भी दिया गया. विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक को पुल की मांग की गई, लेकिन इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया. आज भी यहां के ग्रामीणों को किसी मसीहा का इंतजार है, जो उनकी तकलीफ सुन सके.

प्रभारी मंत्री शिव डहरिया का कहना है कि अगर इस तरीके से कोई बात आई है, तो इसका निराकरण निकालेंगे. शासन की हर योजना हर गांव तक पहुंचाना हमारा काम है.

सरगुजा: अगर इरादे ऊंचे हो और मन में ऊंचाइयों को छूने की जिद हो, तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी बौनी नजर आती हैं. जी हां, ऐसी ही कुछ स्थिति है ग्राम पंचायत केरई के उरांव पारा की, जहां छोटे-छोटे बच्चों को उफनती नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है.

पुल नहीं होने से बरसात में होती है कई परेशानियां

नदी पार कर अपनी जरूरतें पूरी करना ग्रामीणों की मजबूरी बन चुकी है. उरांवपारा में स्कूल न होने की वजह से उन्हें दूसरी जगह कुन्नी गांव जाना पड़ता है, लेकिन जरा इनके हौसलों को देखिए साहब. सुविधा से परे होने के बावजूद शिक्षा के प्रति इनकी ललक अतुलनीय है.

हर दिन करते हैं दिक्कतों का सामना
उरांवपारा में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत सड़क तो बना दी गई, लेकिन गांव पहुंचने से पहले एक नदी पड़ती है, जिस पर पुल नहीं होने से वहां के ग्रामीणों को अपनी जरूरतों के लिए नदी पार कर उस पार जाना पड़ता है.

7वीं कक्षा में पढ़ने वाली आशा एक्का ने बताया कि स्कूल जाने के लिए घर से पांच किलोमीटर का सफर रोज तय करती हैं, लेकिन अगर लगातार बारिश होती है, तो नदी में पानी भर जाता है, जिसकी वजह से वापस घर लौटना पड़ जाता है. अगर कम पानी हो तो घर वाले नदी पार करा देते हैं. कई बार जब इस पार से उस पार जाने के वक्त पानी ज्यादा भर जाए तो कई बच्चे अपने रिश्तेदारों के घर रूक जाते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा कि उन बच्चों का क्या होता होगा, जिनका कोई रिश्तेदार ही नहीं हो.

परेशानियों से जूझते हैं ग्रामीण
ग्रामीण रेलुस खेस ने बताया कि करई ग्राम पंचायत के उरांवपारा के ग्रामीण पुल नहीं होने से काफी परेशान हैं. गांव में आने जाने के लिए बीच में नदी पड़ती है, जिस पर पुल न होने से ग्रामीण किसी तरह नदी पार कर आवागमन करते हैं, लेकिन बच्चों को लेकर हमेशा डर बना रहता है. जब बच्चे नदी पार करते हैं, तो किसी न किसी परिजन को नदी के पास खड़ा रहना पड़ता है. इसके अलावा अगर कोई ग्रामीण बीमार पड़ जाए तो, उसे चारपाई के सहारे स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाता है. जनप्रतिनिधि नेता वोट मांगने के लिए तो आ जाते हैं, लेकिन उनकी मांगें कोई नहीं सुनता.

पढ़ें- देश के कई राज्यों में 'जल प्रलय', मरने वालों की संख्या 200 के पार

कई बार कर चुके हैं जनप्रतिनिधियों से मांग
वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि यहां पुल नहीं होने से यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण कई सालों से पुल की मांग कर रहे हैं. कई बार यहां के जनप्रतिनिधियों को पुल बनाने के लिए प्रस्ताव भी दिया गया. विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक को पुल की मांग की गई, लेकिन इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया. आज भी यहां के ग्रामीणों को किसी मसीहा का इंतजार है, जो उनकी तकलीफ सुन सके.

प्रभारी मंत्री शिव डहरिया का कहना है कि अगर इस तरीके से कोई बात आई है, तो इसका निराकरण निकालेंगे. शासन की हर योजना हर गांव तक पहुंचाना हमारा काम है.

Intro:सरगुज़ा- अगर इरादे ऊंचे हो और मन ऊंचाइयों को छूने को करता हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी बौनी नजर आती हैं। जी हां ऐसे ही कुछ स्थिति है ग्राम पंचायत केरई के उरांव पारा की जहां छोटे-छोटे बच्चों उफनती नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है। साथ ही नदी पार कर अपनी जरूरतें पूरी करना ग्रामीणों की मजबूरी बन चुकी है। उरांव पारा में स्कूल ना होने की वजह से उन्हें कुन्नी पढ़ने जाना पड़ता है रास्ते में पढ़ रही नदी भी बच्चों का रास्ता नहीं रोक पा रही है बच्चे पानी में उतर कर नदी पार कर स्कूल जाते हैं।


Body:दरअसल लखनपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत करई का उरांव पारा में प्रधानमंत्री सड़क तो बना दिया गया है लेकिन गांव पहुचने से पहले एक जिंदा नदी पड़ती है जिसमे पुल नही होने से वहाँ के ग्रामीणों को हमेशा नदी पार कर अपने जरूरत के सामान लाना पड़ता है ।

7वी कक्षा में पढ़ने वाली आशा एक्का ने बताया कि स्कूल जाने के लिए घर से पांच किलोमीटर का सफर रोज तय करती है ,लेकीन लगातार अगर बारिश होती है तो नदी में पानी भर जाता है तो घर लौटना पड़ता है । कम पानी है तो घर के लोग नदी पार करा देते है । कभीकभी दिन में पानी आ जाता है और नदी भर जाता है तो सभी लोग नदी के इस पार रिश्तेदार के यहाँ रुक जाते है ।

ग्रामीण रेलुस खेस ने बताया कि करई ग्राम पंचायत के उराँव पारा के ग्रामीण पुल नही होने से काफी परेशान है । गांव में आने जाने के लिए बीच में नदी पड़ती है जिस पर पुल ना होने से ग्रामीण किसी तरह नदी पार कर आवागमन करते हैं लेकिन बच्चों को लेकर हमेशा डर बना रहता है जब बच्चे नदी में पार करते हैं तो कोई न कोई ग्रामीण को नदी पर खड़े रहना पड़ता है। अगर कोई ग्रामीण बीमार पड़ जाए तो उसको चारपाई के सहारे स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाता है। जनप्रतिनिधि नेता वोट मांगने के लिए तो आ जाते हैं मगर उनकी मांग कोई नहीं सुनता।




Conclusion: वही गांव के सरपंच का कहना है की प्रधानमंत्री सड़क तो बना दिया गया है लेकिन पुल नहीं होने से यहां के लोगों को काफी परेशानी हो रही है यहां के ग्रामीण कई सालों से पुल की मांग कर रहे हैं कई बार यहां के जनप्रतिनिधियों को पुल बनाने के लिए प्रस्ताव दिया गया, विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक को पुल की मांग की गई लेकीन इस ओर कोई ध्यान नही दिया गया । आज भी यहां के ग्रामीणों को किसी मसीहा का इंतजार है जो उनकी तकलीफ सुन सके।

वही प्रभारी मंत्री शिव डहरिया का कहना है कि अगर इस तरीके से कोई बात आई है तो इसे दिखाते हैं शासन की हर योजना हर गांव तक पहुंचाना हमारा काम है।


बाईट 01- अनिता खेस (छात्रा)

बाईट 02- आशा एक्का(छात्रा)

बाईट 03- रेलुस एक्का (ग्रामीण)

बाईट 04- नवल कुजुर (सरपंच पति)

बाईट 05 - शिव डहरिया ( प्रभारी मंत्री सरगुजा) इस बाइक को देश दीपक सर भेजेंगे
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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