सरगुजा: अगर इरादे ऊंचे हो और मन में ऊंचाइयों को छूने की जिद हो, तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी बौनी नजर आती हैं. जी हां, ऐसी ही कुछ स्थिति है ग्राम पंचायत केरई के उरांव पारा की, जहां छोटे-छोटे बच्चों को उफनती नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है.
नदी पार कर अपनी जरूरतें पूरी करना ग्रामीणों की मजबूरी बन चुकी है. उरांवपारा में स्कूल न होने की वजह से उन्हें दूसरी जगह कुन्नी गांव जाना पड़ता है, लेकिन जरा इनके हौसलों को देखिए साहब. सुविधा से परे होने के बावजूद शिक्षा के प्रति इनकी ललक अतुलनीय है.
हर दिन करते हैं दिक्कतों का सामना
उरांवपारा में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत सड़क तो बना दी गई, लेकिन गांव पहुंचने से पहले एक नदी पड़ती है, जिस पर पुल नहीं होने से वहां के ग्रामीणों को अपनी जरूरतों के लिए नदी पार कर उस पार जाना पड़ता है.
7वीं कक्षा में पढ़ने वाली आशा एक्का ने बताया कि स्कूल जाने के लिए घर से पांच किलोमीटर का सफर रोज तय करती हैं, लेकिन अगर लगातार बारिश होती है, तो नदी में पानी भर जाता है, जिसकी वजह से वापस घर लौटना पड़ जाता है. अगर कम पानी हो तो घर वाले नदी पार करा देते हैं. कई बार जब इस पार से उस पार जाने के वक्त पानी ज्यादा भर जाए तो कई बच्चे अपने रिश्तेदारों के घर रूक जाते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा कि उन बच्चों का क्या होता होगा, जिनका कोई रिश्तेदार ही नहीं हो.
परेशानियों से जूझते हैं ग्रामीण
ग्रामीण रेलुस खेस ने बताया कि करई ग्राम पंचायत के उरांवपारा के ग्रामीण पुल नहीं होने से काफी परेशान हैं. गांव में आने जाने के लिए बीच में नदी पड़ती है, जिस पर पुल न होने से ग्रामीण किसी तरह नदी पार कर आवागमन करते हैं, लेकिन बच्चों को लेकर हमेशा डर बना रहता है. जब बच्चे नदी पार करते हैं, तो किसी न किसी परिजन को नदी के पास खड़ा रहना पड़ता है. इसके अलावा अगर कोई ग्रामीण बीमार पड़ जाए तो, उसे चारपाई के सहारे स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाता है. जनप्रतिनिधि नेता वोट मांगने के लिए तो आ जाते हैं, लेकिन उनकी मांगें कोई नहीं सुनता.
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कई बार कर चुके हैं जनप्रतिनिधियों से मांग
वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि यहां पुल नहीं होने से यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण कई सालों से पुल की मांग कर रहे हैं. कई बार यहां के जनप्रतिनिधियों को पुल बनाने के लिए प्रस्ताव भी दिया गया. विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक को पुल की मांग की गई, लेकिन इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया. आज भी यहां के ग्रामीणों को किसी मसीहा का इंतजार है, जो उनकी तकलीफ सुन सके.
प्रभारी मंत्री शिव डहरिया का कहना है कि अगर इस तरीके से कोई बात आई है, तो इसका निराकरण निकालेंगे. शासन की हर योजना हर गांव तक पहुंचाना हमारा काम है.