सरगुजा: बच्चों के लिये विशेष दिन बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है. इस दिन ईटीवी भारत कुछ ऐसे बच्चों की कहानी आप तक पहुंचा रहा है, जिन्होंने कम उम्र में ही बड़ा मुकाम हासिल किया है और इन नन्हे बच्चों ने साबित कर दिखाया है कि बड़ा काम करने के लिए कोई भी उम्र या सीमा नहीं होती. लगन और कड़ी मेहनत से बड़ा से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है. ऐसी ही एक बच्ची की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं. जिसने 6 साल की छोटी सी उम्र में अदम्य साहस का परिचय दिया और खुद की जान की परवाह किये बिना अपनी छोटी बहन की जान बचाई.
ऐसे बचाई बहन की जान
इस बच्ची के घर के आंगन में खतरनाक हाथी खड़ा था, परिवार के लोग घर से बाहर निकल चुके थे और कमरे में छोटी बहन सो रही थी. छह साल की मासूम को अपनी बहन का ख्याल रहा है और वो हाथी के सामने से अंदर गई और अपनी बहन को लेकर बाहर निकल गई और फिर पड़ोस के घर में छिपकर अपनी जान बचाई.
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साहस से मिली कांति सिंह को पहचान
हम बात कर रहे हैं सरगुजा जिले के मोहनपुर में रहने वाले गोविंद सिंह (कुशवाह) की बेटी कांती सिंह की. जिसने 6 वर्ष की उम्र में बेहद सूझबूझ और साहस का काम किया. बात जुलाई 2018 की है जब मोहनपुर गांव में हाथियों के झुंड ने हमला कर दियास था. रात में जब गोविंद सिंह के घर की बड़ी में हाथियों ने उत्पात मचाया. तब परिवार के सभी लोग अपनी जान बचाकर घर से भागे. लेकिन इस अफर तफरी में परिवार के लोग घर में सो रही 3 साल की बेटी को लेना भूल गये और ऐसे में किसी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि हाथियों के सामने से जाकर बच्ची को घर से निकाल लाये. लेकिन उस समय छह साल की नन्ही बच्ची कांति ने साहस दिखाया और हाथियों के सामने से तेजी से घर के अंदर गई और छिपते छिपाते किसी तरह वो अपनी बहन को सुरक्षित बाहर लाने में सफल रही.
राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं कांति सिंह
उस रात हाथियों ने गांव में जमकर उत्पात मचाया था. कई घर तोड़े, फसलों को रौंदा लेकिन ये परिवार पड़ोस में ही छिपा रहा और सुरक्षित रहा. कांति के साहस की चर्चा गांव में आग की तरह फैल गई. सभी ने उसकी प्रशंसा की और जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार के लिये कांति का नाम प्रस्तावित किया. जिसके बाद कांती सिंह को ना सिर्फ राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया. बल्कि राज्य सरकार ने भी उसका सम्मान किया.
पुलिस सेवा में जाना चाहती हैं कांति सिंह
साहस का परिचय देने वाली कांति अब नौ साल की हो गई है और कस्तूरबा आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रही है. बाल दिवस 2021 के अवसर पर कांति के साहस की कहानी आप तक लाने के लिए ETV भारत ने कांती सिंह से बातचीत की. बालवीर कांति, हाथी के किस्से को बताती हैं. हमने पूछा कि उन्हें डर नहीं लगा था. कांति ने पलटकर जबाव दिया कि नहीं. शायद इसलिए कहा जाता है "बच्चे मन के सच्चे" तभी तो खतरनाक हाथियों से भी उसे डर नहीं लगा. कांति अब पढ़ लिखकर पुलिस अधिकारी बनना चाहती हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि कांति जैसी बहादुर बच्ची पुलिस सेवा में जा सकती है. लेकिन उसकी परवरिश में परिवार, समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी प्रमुख होगी और वही तय करेंगे कि कांति अपने सपने पूरे कर सकेगी या नहीं.