सरगुजा : जिस अपराध को करने पर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. उसे करने से लोग जरा भी नहीं झिझकते. प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं लेता, जिसका फायदा ऐसे लोगों को मिलता है. व्यापारी वर्ग अपने सिंडीकेट के बल पर स्थनीय बाजार में मुद्रा का चलन तक तय कर देता है. कभी 10 रुपए के सिक्के लेने से इंकार किया जाता है तो कभी 2 हजार का नोट. हर बार सबूत के अभाव में मामला भी शांत पड़ जाता था. लेकिन इस बार तो व्यापारी ने कैमरे पर खुद ही स्वीकार किया कि वो 2 हजार का नोट नही ले सकते हैं.
किस हाॅस्पिटल का है मामला: अंबिकापुर के संकल्प हॉस्पिटल में अपनी भाभी का इलाज कराने पहुंचे रब्बानी फिरदौसी ने बताया कि "अस्पताल प्रबंधन ने 2 हजार का नोट लेने से मना कर दिया. इतना ही नहीं अस्पताल के मेडिसिन शॉप में भी दवाइयां खरीदने पर दुकानदार ने 2 हजार का नोट लेने से मना कर दिया."
कैमरे में कबूला सच: जब मीडिया ने दुकानदार से पूछताछ की तो उसने कहा कि "प्रबंधन ने 2 हजार का नोट लेने से मना किया है." दुकानदार खुद बता रहा है कि उन्हें पता है कि सितंबर तक यह नोट चलन में हैं. ऐसा भी नहीं है कि अफवाहों के कारण वो किसी भ्रम और जानकारी के आभाव में ऐसा कर रहा हो. पूरी जानकारी रखने के बाद भी दुकानदार ने भारतीय मुद्रा लेने से इनकार किया है.
यह भी पढ़ें-
- 2000 के नोट बंद होने पर बोले सीएम बघेल, इसे कहते हैं थूककर चाटना
- Demonetisation Again: दो हजार का नोट लेकर कोई पहुंच रहा पेट्रोल डलाने तो कोई सब्जी खरीदने
- Jagdalpur News: 2000 के नोट बंद होने पर क्या बोले बस्तर के लोग, जानें
कलेक्टर ने कही जांच कराने की बात: इस मामले में सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार ने बताया कि "भारतीय रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार सितंबर तक 2 हजार के नोट लीगल टेंडर में रहेंगे. जिला प्रशासन ऐसा कोई आदेश नहीं दे सकता. ये तो रिजर्व बैंक के क्षेत्र का मामला है. अगर ऐसी बात सामने आई है तो जांच कराने के बाद कार्रवाई की जाएगी."
क्या हो सकेगी कार्रवाई : अब सवाल यह उठता है कि एक तो भारतीय मुद्रा लेने से इनकार करने का मामला सामने है. ऊपर से आवश्यक वस्तु अधिनियम का भी उल्लंघन होता दिख रहा है. लोग स्वास्थ्य सेवा से वंचित या फिर उन्हें परेशान होना पड़ रहा है. ऐसे में क्या जिला प्रशासन कोई सख्त कदम उठा पाएगा. क्या कैमरे में भारतीय मुद्रा लेने से इनकार करने का सबूत मिलने के बाद कार्रवाई होगी.