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सरगुजा की सियासत: आजादी के बाद से अब तक सरगुजा संभाग के विधानसभा सीटों में बदलाव

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Published : Apr 20, 2023, 5:33 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

आजादी के बाद से देश में कई तरह के बदलाव हुए. छत्तीसगढ़ पहले मध्यप्रदेश से जुड़ा हुआ था. साल 2000 से छत्तीसगढ़ अलग राज्य बन गया. आईये जानते हैं आजादी के बाद से अबतक सरगुजा संभाग की विधानसभा सीटों पर कितने बदलाव हुए हैं.

politics of surguja
सरगुजा की सियासत

सरगुजा: 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ. आजादी के बाद जब पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ तब छत्तीसगढ़ मध्यभारत कहलाता था. सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार राज्य (सीपी एंड बरार) के नाम से जाना गया. तब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और विदर्भ का हिस्सा इसमें आता था. सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार राज्य की राजधानी नागपुर थी. बाद में सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार राज्य से छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के हिस्से को मिलाकर एक अलग राज्य मध्यप्रदेश बनाया गया. साल 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया. मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया.

आजादी से पहले कुछ विधानसभा में दो सदस्य होते थे. डोमिनियन ऑफ इंडिया और रियासतों के बीच संधि की वजह से दो सदस्यों का चुनाव किया जाता था. एक सदस्य को जनता चुनती थी. दूसरे सदस्य को रियासत के लोग अपना प्रतिनिधि बनाते थे. यानी कई विधानसभा में दो विधायक हुआ करते थे. लेकिन आजादी के बाद प्रीवी पर्सेस बंद होने के साथ ही यह सुविधा भी बंद कर दी गई.

आजादी के बाद से साल 2018 तक छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग की सीटों का पूरे डाटा पर एक नजर...

1952 विधानसभा चुनाव: पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ, तब सरगुजा संभाग एक जिला हुआ करता था. यहां सिर्फ 5 विधानसभा सीटें थी.

1957 विधानसभा चुनाव: साल 1957 में विधानसभा चुनाव हुए. जशपुर विधानसभा बनने के साथ सरगुजा में विधानसभा सीटों की संख्या 6 हो गई.

1952–57 assembly elections
1952-57 विधानसभा चुनाव

1962 विधानसभा चुनाव: साल 1962 विधानसभा चुनाव से सरगुजा में नई विधानसभा अस्तित्व में आई, तब सरगुजा में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 10 हो गई थी.

1962 assembly elections
1962 विधानसभा चुनाव

1967 विधानसभा चुनाव: साल 1962 के बाद फिर पांच वर्ष में 1967 में विधानसभा चुनाव हुए. फिर से नया परिसीमन हुआ. सरगुजा में विधानसभा सीटों की संख्या 14 हो गई.

1967 assembly elections
1967 विधानसभा चुनाव

1972 विधानसभा चुनाव: साल 1972 के विधानसभा चुनावों में क्षेत्रों में कोई बदलाव नहीं हुए. इस साल कुल 14 सीटों पर चुनाव हुआ.

1972 assembly elections
1972 विधानसभा चुनाव

1977 विधानसभा चुनाव: साल 1977 में विधानसभा चुनाव में सरगुजा में भी जनता पार्टी ने बढ़त हासिल की. हालांकि इस बुरे दौर में भी सरगुजा में 14 से 3 सीट कांग्रेस के पास रही. इस बार फिर बदलाव हुआ और लखनपुर सीट का विलय हुआ. एक नई विधानसभा सीट पिलखा के रूप में सामने आई.

1977 assembly elections
1977 विधानसभा चुनाव

1980 विधानसभा चुनाव: साल 1977 में बड़ी हार के बाद इंदिरा गांधी ने कांग्रेस में नई जान फूंकी. देश में इंदिरा कांग्रेस के रूप में कांग्रेस आई का उदय हुआ. इंदिरा गांधी की ऐसी लहर चली कि साल 1980 में हुए चुनाव में 14 में से सिर्फ एक सीट लरंग साय के रूप में ही जनता पार्टी से बदल चुकी भाजपा जीती.बाकी सीटों पर कांग्रेस आई ने कब्जा किया.

1980 assembly elections
1980 विधानसभा चुनाव
1986 assembly elections
1986 विधानसभा चुनाव
1990 assembly elections
1990 विधानसभा चुनाव
1998 assembly elections
1998 विधानसभा चुनाव

2003 विधानसभा चुनाव: 1998 विधानसभा चुनाव के बाद 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का बहुमत था और अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाया गया. 3 वर्ष के शासन के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिये 2003 में चुनाव हुए.

2003 assembly elections
2003 विधानसभा चुनाव

2013 विधानसभा चुनाव: साल 2003 में कांग्रेस के हाथ से प्रदेश की सत्ता चली गई. सत्ता ऐसी गई कि 15 वर्षों का वनवास हो गया. साल 2003, साल 2008 और साल 2013 के चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की. सरगुजा ने एकतरफा बढ़त दी और सत्ता भी उसे ही मिली. इस दौरान जशपुर से एक सीट कम हुई और तपकरा विधानसभा सरगुजा से अलग कर दी गई. जशपुर की ही बगीचा विधानसभा के स्थान पर कुनकुरी विधानसभा शामिल हुई. इधर सूरजपुर, पाल और पिल्खा को विलोपित कर भटगांव और प्रतापपुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. कोरिया में बैकुंठपुर मनेन्द्रगढ़ के साथ भरतपुर सोनहत सीट और सरगुजा में एक सीट रामानुजगंज के रूप में अस्तित्व में आई.

2008 assembly elections
2008 विधानसभा चुनाव
2013 Assembly Elections
2013 विधानसभा चुनाव

यह भी पढ़ें- Voter List: कैसे जुड़वाएं मतदाता सूची में अपना नाम

2018 Assembly Elections
2018 विधानसभा चुनाव

2018 में कांग्रेस को मिली बड़ी जीत: साल 2003 से शुरू हुआ कांग्रेस का वनवास साल 2018 में आकर खत्म हुआ. साल 2018 में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की. सरगुजा की 14 में से 14 सीटों पर कांग्रेस के विधायक बड़े अंतर से जीतकर आए और प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनी.

सरगुजा: 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ. आजादी के बाद जब पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ तब छत्तीसगढ़ मध्यभारत कहलाता था. सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार राज्य (सीपी एंड बरार) के नाम से जाना गया. तब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और विदर्भ का हिस्सा इसमें आता था. सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार राज्य की राजधानी नागपुर थी. बाद में सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार राज्य से छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के हिस्से को मिलाकर एक अलग राज्य मध्यप्रदेश बनाया गया. साल 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया. मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया.

आजादी से पहले कुछ विधानसभा में दो सदस्य होते थे. डोमिनियन ऑफ इंडिया और रियासतों के बीच संधि की वजह से दो सदस्यों का चुनाव किया जाता था. एक सदस्य को जनता चुनती थी. दूसरे सदस्य को रियासत के लोग अपना प्रतिनिधि बनाते थे. यानी कई विधानसभा में दो विधायक हुआ करते थे. लेकिन आजादी के बाद प्रीवी पर्सेस बंद होने के साथ ही यह सुविधा भी बंद कर दी गई.

आजादी के बाद से साल 2018 तक छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग की सीटों का पूरे डाटा पर एक नजर...

1952 विधानसभा चुनाव: पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ, तब सरगुजा संभाग एक जिला हुआ करता था. यहां सिर्फ 5 विधानसभा सीटें थी.

1957 विधानसभा चुनाव: साल 1957 में विधानसभा चुनाव हुए. जशपुर विधानसभा बनने के साथ सरगुजा में विधानसभा सीटों की संख्या 6 हो गई.

1952–57 assembly elections
1952-57 विधानसभा चुनाव

1962 विधानसभा चुनाव: साल 1962 विधानसभा चुनाव से सरगुजा में नई विधानसभा अस्तित्व में आई, तब सरगुजा में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 10 हो गई थी.

1962 assembly elections
1962 विधानसभा चुनाव

1967 विधानसभा चुनाव: साल 1962 के बाद फिर पांच वर्ष में 1967 में विधानसभा चुनाव हुए. फिर से नया परिसीमन हुआ. सरगुजा में विधानसभा सीटों की संख्या 14 हो गई.

1967 assembly elections
1967 विधानसभा चुनाव

1972 विधानसभा चुनाव: साल 1972 के विधानसभा चुनावों में क्षेत्रों में कोई बदलाव नहीं हुए. इस साल कुल 14 सीटों पर चुनाव हुआ.

1972 assembly elections
1972 विधानसभा चुनाव

1977 विधानसभा चुनाव: साल 1977 में विधानसभा चुनाव में सरगुजा में भी जनता पार्टी ने बढ़त हासिल की. हालांकि इस बुरे दौर में भी सरगुजा में 14 से 3 सीट कांग्रेस के पास रही. इस बार फिर बदलाव हुआ और लखनपुर सीट का विलय हुआ. एक नई विधानसभा सीट पिलखा के रूप में सामने आई.

1977 assembly elections
1977 विधानसभा चुनाव

1980 विधानसभा चुनाव: साल 1977 में बड़ी हार के बाद इंदिरा गांधी ने कांग्रेस में नई जान फूंकी. देश में इंदिरा कांग्रेस के रूप में कांग्रेस आई का उदय हुआ. इंदिरा गांधी की ऐसी लहर चली कि साल 1980 में हुए चुनाव में 14 में से सिर्फ एक सीट लरंग साय के रूप में ही जनता पार्टी से बदल चुकी भाजपा जीती.बाकी सीटों पर कांग्रेस आई ने कब्जा किया.

1980 assembly elections
1980 विधानसभा चुनाव
1986 assembly elections
1986 विधानसभा चुनाव
1990 assembly elections
1990 विधानसभा चुनाव
1998 assembly elections
1998 विधानसभा चुनाव

2003 विधानसभा चुनाव: 1998 विधानसभा चुनाव के बाद 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का बहुमत था और अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाया गया. 3 वर्ष के शासन के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिये 2003 में चुनाव हुए.

2003 assembly elections
2003 विधानसभा चुनाव

2013 विधानसभा चुनाव: साल 2003 में कांग्रेस के हाथ से प्रदेश की सत्ता चली गई. सत्ता ऐसी गई कि 15 वर्षों का वनवास हो गया. साल 2003, साल 2008 और साल 2013 के चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की. सरगुजा ने एकतरफा बढ़त दी और सत्ता भी उसे ही मिली. इस दौरान जशपुर से एक सीट कम हुई और तपकरा विधानसभा सरगुजा से अलग कर दी गई. जशपुर की ही बगीचा विधानसभा के स्थान पर कुनकुरी विधानसभा शामिल हुई. इधर सूरजपुर, पाल और पिल्खा को विलोपित कर भटगांव और प्रतापपुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. कोरिया में बैकुंठपुर मनेन्द्रगढ़ के साथ भरतपुर सोनहत सीट और सरगुजा में एक सीट रामानुजगंज के रूप में अस्तित्व में आई.

2008 assembly elections
2008 विधानसभा चुनाव
2013 Assembly Elections
2013 विधानसभा चुनाव

यह भी पढ़ें- Voter List: कैसे जुड़वाएं मतदाता सूची में अपना नाम

2018 Assembly Elections
2018 विधानसभा चुनाव

2018 में कांग्रेस को मिली बड़ी जीत: साल 2003 से शुरू हुआ कांग्रेस का वनवास साल 2018 में आकर खत्म हुआ. साल 2018 में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की. सरगुजा की 14 में से 14 सीटों पर कांग्रेस के विधायक बड़े अंतर से जीतकर आए और प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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