सरगुजा: छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के क्षेत्र में पेट का ऑपरेशन करा कर लौट रही मरीज को एबुलेंस नसीब नहीं हुई. किसी तरह परिवार ने 900 रुपए जोड़े और निजी वाहन से घर रवाना हुए. रुपए पूरे न होने पर निजी वाहन चालक ने महिला और परिवार को आधे रास्ते में ही उतार दिया. सड़क पर कराह रही मरीज को देखकर लोगों ने हेल्थ मिनिस्टर सिंहदेव को कॉल किया, तब कहीं जाकर पीड़ित को एंबुलेंस मिली.
सूरजपुर के दुर्गापुर के रहने वाले समय लाल पंडो की पत्नी नीलम पंडो को पेट में दर्द था, जिसके कारण 16 मई को उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल कराया. हॉस्पिटल में महिला के पेट का ऑपरेशन हुआ और फिर उसे 29 मई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. समय लाल विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग से है. ऐसे में उसने स्टाफ नर्स और पूछताछ केंद्र में सरकारी एंबुलेंस के लिए प्रयास किया मगर जब सरकारी एंबुलेंस नसीब नहीं हो सकी.
निजी वाहन चालक ने आधे रास्ते में छोड़ा
एंबुलेंस न मिलने पर निजी वाहन चालक ने परिवार से 900 रुपए लिए और आधे रास्ते यानी कि 40 किलोमीटर दूर उदयपुर में ही उतार दिया. यहां से करीब 35 किलोमीटर दूर महिला का घर था.
सिंहदेव के निर्देश पर मिली एंबुलेंस
गंभीर रूप से पीड़ित के साथ परिवार ने एक अपरिचित व्यक्ति के घर रात बिताई और फिर सुबह मरीज को सड़क पर लिटा दिया. परिवार को गाड़ी के लिए परेशान और महिला को दर्द से कराहता देख आस-पास के लोगों ने जानकारी स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंचाई. टीएस सिंहदेव ने अधिकारियों को निर्देश दिया, जिसके बाद एंबुलेंस की व्यवस्था की गई.
कब तक रहेगा सुविधाओं का अभाव ?
मामला स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में आने से दर्द से कराहती महिला को एंबुलेंस तो मिल गई और वह अपने घर सुरक्षित पहुंच गई. लेकिन सवाल ये है कि जब तमाम योजनाएं जरूरतमंदों, मरीजों के लिए चलाई जा रही हैं तो फिर इसका फायदा उन्हें क्यों नहीं मिल रहा है. कब तक आदिवासी अंचलों के लोग सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ते रहेंगे.