सरगुजा : मैनपाट वो जगह जो छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से महशूर है. लोग यहां गर्मियों में राहत के लिए आते हैं. मैनपाट नैसर्गिक सुंदरता और ठंडे वातावरण के लिये जाना जाता है. लेकिन अब मैनपाट भी झुलसने लगा है. इस वर्ष यहां अप्रैल महीने में ही पारा 38 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है. मतलब भीषण गर्मी पड़ रही है. मैनपाट में जहां लोग गर्मियों में भी चादर ओढ़कर सोते थे. वहां गर्मी बढ़ रही है. इस तरह की भीषण गर्मी पड़ने से लोग परेशान हैं.
सुख सुविधाओं ने बिगड़ा खेल : स्थानीय लोग भी यह महसूस कर रहे हैं कि, इस वर्ष मैनपाट में गर्मी अधिक पड़ रही है. इसका कारण लगातार जंगलों की हो रही अंधाधुंध कटाई है. बीते वर्षों में मैनपाट में बॉक्साइट उत्खनन तेज हुआ और बेतहाशा जंगलों की कटाई हुई है. एक पर्यटन स्थल शहरी रूप लेने लगा, बड़ी बड़ी इमारतें बनने लगी. सड़कें, कार्यालय, तमाम सुख सुविधाओं के इंतजाम मैनपाट में किये जाने लगे. लेकिन इसका परिणाम विपरीत पड़ रहा है. जिसकी वजह से मैनपाट में तापमान बढ़ता जा रहा है और यहां ठंड कम पड़ रही है.
मौसम वैज्ञानिक की राय : हमने इस संबंध में मौसम विज्ञानी से भी बात की, तो उन्होंने भी माना कि, मैनपाट में गर्मी बढ़ने का कारण तेजी से कट रहे पेड़ हैं. मैनपाट में बीते कई वर्षों में तेजी से वनस्पतियों की कमी पाई जा रही है. वहीं बाक्साइट का उत्खनन और कंक्रीट के निर्माण से गर्मी बढ़ रही है. समुद्र तल से मैनपाट की ऊंचाई 1085 मीटर है. जबकि अम्बिकापुर की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 600 मीटर है. ऐसे में मैनपाट का तापमान इतना बढ़ना चिन्तनीय है. क्योंकि तापमान प्रति 100 मीटर 1 डिग्री का अनुपात रखता है. जब अम्बिकापुर में अधिकतम तापमान 41 रहा हो तो मैनपाट में 36 के आस पास तापमान रहना चाहिए. लेकिन मैनपाट का तापमान अधिक बढ़ने के पीछे यहां होने वाले पेड़ों की कटाई है.
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मैनपाट में जंगल घटे और खेती का रकबा बढ़ा : बीते वर्षों में निर्माण के साथ साथ यहां खेती का भी रकबा बढ़ा है. लोग पहाड़ पर खेत बना कर खेती कर रहे हैं और इस वजह से जंगल का क्षेत्रफल कम हो रहा है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब मैनपाट भी आम शहरों की तरह आग उगलने लगेगा और पर्यटन के नक्शे से मैनपाट का नामो निशान मिट जाएगा. लगातार मैनपाट के तापमान में हो रहे इजाफे से इस इलाके की खूबसूरती भी प्रभावित हो रही है.
जंगलों की कटाई को रोकना जरुरी: सरगुजा में जंगल की कटाई बदस्तूर जारी है. अब जंगलों की कटाई मैनपाट के इलाके में हो रही है. इस बात को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार चिंतित है. लेकिन इस ओर वन विभाग और सरकार की तरफ से कोई सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. यहां तमाम आयोजन और योजनाओं के जरिये मैनपाट को बढ़ावा दिया जाता है. लेकिन यहां एक बात समझनी होगी की मैनपाट की पहचान उसकी नैसर्गिक सुन्दरता की वजह से है. ऐसे में अगर छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट की सुंदरता और खासियत नष्ट होती है तो सरगुजा की बड़ी क्षति होगी. इसलिए हर हाल में जंगल को बचाने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है.