सरगुजा : प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी के हालात दिन ब दिन बदतर होते जा रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद जिस गौठान का उद्घाटन बड़े ही जोश-खरोश के साथ किया था. फोटो खिंचने के बाद अब वही गौठान सूना पड़ा है. गौठान में न एक गाय मौजूद है और न ही चारा. ETV भारत की टीम ने जब गौठान का जायजा लिया तो सच्चाई चौंकाने वाली थी.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिसके लिए योजना बनाई गई उन्हें ही इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है तो क्यों लाखों रुपए खर्च किए गए हैं. इस पर मंत्री टीएस सिंहदेव से खास बातचीत की गई जिस पर उनका कहना है कि अभी मौसम इस योजना के अनुकूल नहीं है.
ETV भारत की टीम पहुंची गौठान
- ETV भारत की टीम जब सरगंवा में बने आदर्श गौठान पहुंची, तो वहां एक भी मवेशी मौजूद नहीं था और न ही गौठान की देख भाल करने के लिए कोई ग्रामीण.
- आस-पास के लोग जरूर गौठान के अंदर लगे ट्यूब वेल से पानी लेने आ रहे थे.
क्या कहा सिंहदेव ने
- योजना की बदहाली को लेकर जब पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, 'बारिश के मौसम में मवेशियों के लिए प्राकृतिक रूप से चारा अधिक मात्रा में उपलब्ध रहता है. साथ ही अभी धान का सीजन होने की वजह से मवेशी खेतों में ही चर रहे हैं. यही वजह है की गौठानों में मवेशी नहीं हैं'.
- उनका कहना है कि, 'जब गांव और खेतों में हरी घास नहीं होगी और मवेशियों का खेत में काम भी नहीं होगा तब गौठानों में लोग अपने आप मवेशी लाएंगे'.
- इसके आलवा सिंहदेव ने कहा कि, 'गौठान में सरकार एक चरवाहे को रखने की योजना बना रही है, जिससे गौठानों की देख-रेख हो सके. इसके लिए किस तरह से बजट की व्यवस्था हो इस बारे में विचार किया जा रहा है'.
योजना पर चरवाहे का कहना
वहीं गौठान में पशु को नहीं बांधने पर जब हमने एक चरवाहे से पूछा कि आखिर गाय को गौठान में क्यों नहीं बांधा जा रहा है, तो उनका कहना था कि, 'घर में ही गाय बांधते हैं. इतनी दूर आकर गौठान में गाय कौन बांधेगा'.
गौठान की हालत
- आदर्श गौठान सरगंवा में सन्नाटा पसरा था. गायों को रखने के लिए गौठान बनाए गए हैं, पानी की आपूर्ति के लिए कहीं तालाब खोदे गए हैं तो कहीं ट्यूब वेल लगाए गए हैं.
- वहीं चारे की व्यवस्था के लिए बाड़ी बनाई गई. इन सब के बावजूद यदि वहां कुछ नहीं थी तो वो थी गाय, जो दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी.
- गौठान के मुख्य द्वार के बगल का एक पिलर भी गिरा हुआ मिला, जिस पिलर के सहारे गौठान को चारों ओर से तारों से घेरा गया है, लिहाजा गौठान हाथी के दांत साबित हो रहे हैं.
सरकार की 'मौसमी' योजना
अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि यदि ये योजना मौसमी योजना थी तो इसे जल्दबाजी में क्यों लागू किया गया. न चरवाहे की व्यवस्था की गई न गौठान की देखरेख के लिए किसी को रखा गया जिस कारण गौठान दिन ब दिन जर्जर होते जा रहे हैं.