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सरगुजा : वीरान हुए गौठान, नदारद हैं गाय, अब नया प्लान बना रही सरकार

सीएम भूपेश बघेल की महत्वपूर्ण योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी जिस उद्देश्य के साथ शुरू की गई थी वो खोखली होती नजर आ रही है. वहीं सरकार इस योजना के दम तोड़ते देख नए प्रवाधान जोड़ने की बात कह रही है.

खाली पड़े हैं गौठान
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Published : Aug 13, 2019, 2:12 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा : प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी के हालात दिन ब दिन बदतर होते जा रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद जिस गौठान का उद्घाटन बड़े ही जोश-खरोश के साथ किया था. फोटो खिंचने के बाद अब वही गौठान सूना पड़ा है. गौठान में न एक गाय मौजूद है और न ही चारा. ETV भारत की टीम ने जब गौठान का जायजा लिया तो सच्चाई चौंकाने वाली थी.

वीरान हुए गौठान पर टीएस सिंहदेव से साक्षात्कार

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिसके लिए योजना बनाई गई उन्हें ही इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है तो क्यों लाखों रुपए खर्च किए गए हैं. इस पर मंत्री टीएस सिंहदेव से खास बातचीत की गई जिस पर उनका कहना है कि अभी मौसम इस योजना के अनुकूल नहीं है.

ETV भारत की टीम पहुंची गौठान

  • ETV भारत की टीम जब सरगंवा में बने आदर्श गौठान पहुंची, तो वहां एक भी मवेशी मौजूद नहीं था और न ही गौठान की देख भाल करने के लिए कोई ग्रामीण.
  • आस-पास के लोग जरूर गौठान के अंदर लगे ट्यूब वेल से पानी लेने आ रहे थे.

क्या कहा सिंहदेव ने

  • योजना की बदहाली को लेकर जब पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, 'बारिश के मौसम में मवेशियों के लिए प्राकृतिक रूप से चारा अधिक मात्रा में उपलब्ध रहता है. साथ ही अभी धान का सीजन होने की वजह से मवेशी खेतों में ही चर रहे हैं. यही वजह है की गौठानों में मवेशी नहीं हैं'.
  • उनका कहना है कि, 'जब गांव और खेतों में हरी घास नहीं होगी और मवेशियों का खेत में काम भी नहीं होगा तब गौठानों में लोग अपने आप मवेशी लाएंगे'.
  • इसके आलवा सिंहदेव ने कहा कि, 'गौठान में सरकार एक चरवाहे को रखने की योजना बना रही है, जिससे गौठानों की देख-रेख हो सके. इसके लिए किस तरह से बजट की व्यवस्था हो इस बारे में विचार किया जा रहा है'.

योजना पर चरवाहे का कहना
वहीं गौठान में पशु को नहीं बांधने पर जब हमने एक चरवाहे से पूछा कि आखिर गाय को गौठान में क्यों नहीं बांधा जा रहा है, तो उनका कहना था कि, 'घर में ही गाय बांधते हैं. इतनी दूर आकर गौठान में गाय कौन बांधेगा'.

गौठान की हालत

  • आदर्श गौठान सरगंवा में सन्नाटा पसरा था. गायों को रखने के लिए गौठान बनाए गए हैं, पानी की आपूर्ति के लिए कहीं तालाब खोदे गए हैं तो कहीं ट्यूब वेल लगाए गए हैं.
  • वहीं चारे की व्यवस्था के लिए बाड़ी बनाई गई. इन सब के बावजूद यदि वहां कुछ नहीं थी तो वो थी गाय, जो दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी.
  • गौठान के मुख्य द्वार के बगल का एक पिलर भी गिरा हुआ मिला, जिस पिलर के सहारे गौठान को चारों ओर से तारों से घेरा गया है, लिहाजा गौठान हाथी के दांत साबित हो रहे हैं.

सरकार की 'मौसमी' योजना
अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि यदि ये योजना मौसमी योजना थी तो इसे जल्दबाजी में क्यों लागू किया गया. न चरवाहे की व्यवस्था की गई न गौठान की देखरेख के लिए किसी को रखा गया जिस कारण गौठान दिन ब दिन जर्जर होते जा रहे हैं.

सरगुजा : प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी के हालात दिन ब दिन बदतर होते जा रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद जिस गौठान का उद्घाटन बड़े ही जोश-खरोश के साथ किया था. फोटो खिंचने के बाद अब वही गौठान सूना पड़ा है. गौठान में न एक गाय मौजूद है और न ही चारा. ETV भारत की टीम ने जब गौठान का जायजा लिया तो सच्चाई चौंकाने वाली थी.

वीरान हुए गौठान पर टीएस सिंहदेव से साक्षात्कार

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिसके लिए योजना बनाई गई उन्हें ही इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है तो क्यों लाखों रुपए खर्च किए गए हैं. इस पर मंत्री टीएस सिंहदेव से खास बातचीत की गई जिस पर उनका कहना है कि अभी मौसम इस योजना के अनुकूल नहीं है.

ETV भारत की टीम पहुंची गौठान

  • ETV भारत की टीम जब सरगंवा में बने आदर्श गौठान पहुंची, तो वहां एक भी मवेशी मौजूद नहीं था और न ही गौठान की देख भाल करने के लिए कोई ग्रामीण.
  • आस-पास के लोग जरूर गौठान के अंदर लगे ट्यूब वेल से पानी लेने आ रहे थे.

क्या कहा सिंहदेव ने

  • योजना की बदहाली को लेकर जब पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, 'बारिश के मौसम में मवेशियों के लिए प्राकृतिक रूप से चारा अधिक मात्रा में उपलब्ध रहता है. साथ ही अभी धान का सीजन होने की वजह से मवेशी खेतों में ही चर रहे हैं. यही वजह है की गौठानों में मवेशी नहीं हैं'.
  • उनका कहना है कि, 'जब गांव और खेतों में हरी घास नहीं होगी और मवेशियों का खेत में काम भी नहीं होगा तब गौठानों में लोग अपने आप मवेशी लाएंगे'.
  • इसके आलवा सिंहदेव ने कहा कि, 'गौठान में सरकार एक चरवाहे को रखने की योजना बना रही है, जिससे गौठानों की देख-रेख हो सके. इसके लिए किस तरह से बजट की व्यवस्था हो इस बारे में विचार किया जा रहा है'.

योजना पर चरवाहे का कहना
वहीं गौठान में पशु को नहीं बांधने पर जब हमने एक चरवाहे से पूछा कि आखिर गाय को गौठान में क्यों नहीं बांधा जा रहा है, तो उनका कहना था कि, 'घर में ही गाय बांधते हैं. इतनी दूर आकर गौठान में गाय कौन बांधेगा'.

गौठान की हालत

  • आदर्श गौठान सरगंवा में सन्नाटा पसरा था. गायों को रखने के लिए गौठान बनाए गए हैं, पानी की आपूर्ति के लिए कहीं तालाब खोदे गए हैं तो कहीं ट्यूब वेल लगाए गए हैं.
  • वहीं चारे की व्यवस्था के लिए बाड़ी बनाई गई. इन सब के बावजूद यदि वहां कुछ नहीं थी तो वो थी गाय, जो दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी.
  • गौठान के मुख्य द्वार के बगल का एक पिलर भी गिरा हुआ मिला, जिस पिलर के सहारे गौठान को चारों ओर से तारों से घेरा गया है, लिहाजा गौठान हाथी के दांत साबित हो रहे हैं.

सरकार की 'मौसमी' योजना
अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि यदि ये योजना मौसमी योजना थी तो इसे जल्दबाजी में क्यों लागू किया गया. न चरवाहे की व्यवस्था की गई न गौठान की देखरेख के लिए किसी को रखा गया जिस कारण गौठान दिन ब दिन जर्जर होते जा रहे हैं.

Intro:सरगुज़ा : प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी को पूरे प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारियों ने मिशन मूड में पूरा किया, जिन गौठानो को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया गया, उसे बड़ा और खूबसूरत स्वरूप भी दिया गया, लेकिन गौठानो का उपयोग कितना कारगर है ये समझ से परे है, गायों को रखने के लिये गौठान बनाई गई है, इसमे पानी की आपूर्ति के लिये, कहीं ट्यूबवेल तो कहीं तालाब खोदे गए हैं, चारे की व्यवस्था के लिए बाड़ी लगाई गई है, लेकिन गायों का पता नही है, दरअसल ETV भारत की टीम ने सरगुज़ा के सरगंवा में बने आदर्श गौठान का जायजा लिया। सरगंवा गौठान ही इस लिये क्योंकी यह आदर्श के रूप में बनाई गई है, औऱ प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल, पंचायत मंत्री टी एस सिंह देव ने इसका शुभारंभ किया था।


Body:आदर्श गौठान सरगंवा जब हम पहुंचे तो गौठान में सन्नाटा पसरा था, वहां एक भी मवेशी नही थे, और ना ही गौठान की देख भाल करने के लिए कोई इंसान वहां था, बल्कि आस पास के ग्रामीण गौठान के अंदर लगे ट्यूब वेल से पानी लेने जरूर आये हुए थे, एक ग्रामीण से जब हमने पूछा की गाय गौठान में क्यों नही है, तो उनका कहना था की घर मे ही गाय बांधते हैं, गौठान के मुख्य द्वार के बगल का एक पिलर भी गिरा हुआ मिला, जिस पिलर के सहारे गौठान को चारों ओर से तारों से घेरा गया है, उसका एक पिलर भी जमीं दोज हो चुका है, लिहाजा गौठान हांथी के दांत साबित हो रहे हैं, जब मवेशी ही यहां नही हैं तो इन गौठानो को बनाने का औचित्य समझ से परे है।


Conclusion:सरगुज़ा जिले में अब तक कुल 35 गौठानो का शुभारंभ किया जा चुका है, और प्रशासन का दावा है की गौठानो में बेहतर कार्य हो रहे हैं, लेकिन हमारी पड़ताल में सरगुज़ा के आदर्श गौठान की तस्वीर कुछ अलग है, इधर पंचायत मंत्री टी एस सिंह देव ने इस मामले में तर्क दिया है की बारिश के मौसम में पर्याप्त मात्रा में मवेशियों के लिए चारा अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है साथ ही अभी धान का सीजन होने की वजह से मवेशी लोगो के खेतों में व्यस्त हैं यह वजह है की गौठानो में मवेशी नही है, लेकिन बारिश के बाद जब गांव और खेतों में हरे घांस नही होंगे और मवेशियों का खेत मे काम भी नही होगा तब गौठानो में लोग अपने मवेशी ला सकते हैं, इसके आलवा मंत्री ने कहा है की गौठान में सरकार एक चरवाहे को रखने की योजना बना रही है, जिससे गौठानो की देख रेख हो सकेगी, इसके लिए किस तरह से बजट की व्यवस्था हो इस बारे में विचार चल रहा है।

बाइट01_टी एस सिंह देव (स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री)

देश दीपक सरगुज़ा

नोट- खबर में पैकेज के साथ फाइल फुटेज अलग से हैं, जिनमे सीएम के उद्घाटन के विजुअल हैं
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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