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अंबिकापुर: मेडिकल कॉलेज अस्पताल का कारनामा, कौन खा गया 38 लाख का खाना?

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 38 लाख रुपये के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. जिला अस्पताल में एक साल में मरीजों को खाना देने के नाम पर लाखों रुपये खर्च किया गया है, लेकिन जब आकड़ों की बात आई तो अस्पताल प्रबंंधन सवालों के कटघरे में नजर आ रहा है. मामले में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

Corruption in Ambikapur Medical Collage and Hospital
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भ्रष्टाचार
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Published : May 31, 2020, 8:17 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के गृह जिला में लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ है. यहां मरीजों को एक साल में 1 करोड़ 99 लाख का भोजन परोसा गया, जिसमें से प्रबंधन पर 38 लाख रुपए का बंदरबाट करने का आरोप है, लेकिन जिम्मेदारों को इस बात की कोई जानकारी नहीं है. अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा दिखाकर न सिर्फ सरकार को चूना लगाया गया बल्कि मरीजों का हक भी छीना गया है. इतना ही नहीं हद तो तब हो गई जब 6 महीने से यहां नियुक्त डाइटिशियन को प्रभार तक नहीं दिया गया. यहां भोजन व्यवस्था का संचालन नॉन प्रोफेसनल लोग संभालते रहे हैं, जो सवालों के घेरे पर है.

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सवाल यह है कि कौन खा गया मरीजों का भोजन, क्यों नहीं हो सका अब तक मेडिकल कॉलेज में भोजन वितरण व्यवस्था का टेंडर, डाइटिशियन के होते हुए भी स्टूवर्ट के जिम्मे क्यों. मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में भोजन वितरण की जिम्मेदारी ये वह सवाल हैं, जो स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले के मेडिकल कालेज अस्पताल में भोजन के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े पर खड़े हो रहे है ?. वहीं अधिकारी दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं, लेकिन जब हमने स्वास्थ्य मंत्री से मामले में सवाल किया, तो उन्होंने फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के नाम तक खुद उजागर कर दिए, मतलब स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में यह मामला आ चुका था और वह इसे सुधारने की कवायद भी शुरू कर चुके हैं.

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बीते वर्ष 1 करोड़ 99 लाख रुपए का भुगतान
दरअसल, सरकार की तरफ से मरीजों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है, जिसके तहत 100 रुपए सामान्य मरीजों और 160 रुपए जननी सुरक्षा योजना के तहत दाखिल होने वाले मरीजों के लिए सरकार की ओर से भुगतान किया जाता है. अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 1 करोड़ 89 लाख रुपए सामान्य मरीजों के लिए और 10 लाख रुपए जननी सुरक्षा योजना के मरीजों को भुगतान किया गया है. यानी कुल भुगतान 1 करोड़ 99 लाख बीते वर्ष भुगतान किया गया.

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1 करोड़ 34 लाख 61 हजार का खाना

बीते वर्ष 2019-20 में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में 43 हजार 847 सामान्य मरीज भर्ती हुए. 5 हजार 339 जननी सुरक्षा योजना के तहत मरीज भर्ती हुए. वहीं एक मरीज करीब 3 दिन की दर से मेडिकल कॉलेज में दाखिल रहा, जिसके हिसाब से 1 साल में 1 लाख 34 हजार 610 थाली भोजन सामान्य मरीजों को दिया गया, जिसमें नास्ता, दोपहर का खाना और रात का भोजन शामिल है, जिसकी कीमत 100 की दर से 1 करोड़ 34 लाख 61 हजार होती है.

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मामले की जांच कराने की अधिकारी कह रहे बात

साथ ही अगर जननी सुरक्षा योजना के मरीजों की बात करें, तो 16 हजार 17 थाली भोजन वितरित किया गया, जिसकी कीमत 160 रुपए की दर से 25 लाख 62 हजार 720 रुपए होता है, यानी कुल 1 करोड़ 60 लाख 23 हजार 720 रुपए हुआ, लेकिन मेडिकल कॉलेज ने भोजन के नाम पर 1 करोड़ 99 लाख का भुगतान किया है. अब सवाल यह है कि एक साल में 38 लाख का भोजन कौन खा गया. मामला सामने आने के बाद अस्पताल अधीक्षक डॉ. पीएस सिसोदिया का कहना है, जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

अपराधियों पर होगी सख्त कार्रवाई
वहीं भोजन व्यवस्था संभाल रहे इन लोगों पर खुद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने ही सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने माना है कि इनकी कई शिकायतें उन तक आ चुकी है. इसके पहले एक डॉक्टर के साथ भोजन के बिल को पास करने के दबाव के कारण मारपीट की घटना सामने आ चुकी है. मंत्री ने बताया कि जब कोविड अस्पताल में एक सख्स अंदर चला गया, तब इस मामले की पड़ताल हुई और यह सख्स भी उसी ग्रुप का था, जो भोजन व्यवस्था के नाम पर इस तरह के काम करता है. सिंहदेव ने बताया की भोजन टेंडर की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, जल्द ही इसे दुरुस्त कर लिया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि आरोपियों के खिलाफ जांच होगी, दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.

सरगुजा: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के गृह जिला में लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ है. यहां मरीजों को एक साल में 1 करोड़ 99 लाख का भोजन परोसा गया, जिसमें से प्रबंधन पर 38 लाख रुपए का बंदरबाट करने का आरोप है, लेकिन जिम्मेदारों को इस बात की कोई जानकारी नहीं है. अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा दिखाकर न सिर्फ सरकार को चूना लगाया गया बल्कि मरीजों का हक भी छीना गया है. इतना ही नहीं हद तो तब हो गई जब 6 महीने से यहां नियुक्त डाइटिशियन को प्रभार तक नहीं दिया गया. यहां भोजन व्यवस्था का संचालन नॉन प्रोफेसनल लोग संभालते रहे हैं, जो सवालों के घेरे पर है.

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भ्रष्टाचार

क्वारंटाइन सेंटर में मारपीट : अधिकारियों से बोलीं केंद्रीय मंत्री- बेल्ट से पीटना भी जानती हूं
सवाल यह है कि कौन खा गया मरीजों का भोजन, क्यों नहीं हो सका अब तक मेडिकल कॉलेज में भोजन वितरण व्यवस्था का टेंडर, डाइटिशियन के होते हुए भी स्टूवर्ट के जिम्मे क्यों. मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में भोजन वितरण की जिम्मेदारी ये वह सवाल हैं, जो स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले के मेडिकल कालेज अस्पताल में भोजन के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े पर खड़े हो रहे है ?. वहीं अधिकारी दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं, लेकिन जब हमने स्वास्थ्य मंत्री से मामले में सवाल किया, तो उन्होंने फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के नाम तक खुद उजागर कर दिए, मतलब स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में यह मामला आ चुका था और वह इसे सुधारने की कवायद भी शुरू कर चुके हैं.

सरगुजा: मनरेगा मजदूरों को कार्यस्थल पर भुगतान की योजना शुरू, 900 श्रमिकों में बांटे 16 लाख रुपए

बीते वर्ष 1 करोड़ 99 लाख रुपए का भुगतान
दरअसल, सरकार की तरफ से मरीजों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है, जिसके तहत 100 रुपए सामान्य मरीजों और 160 रुपए जननी सुरक्षा योजना के तहत दाखिल होने वाले मरीजों के लिए सरकार की ओर से भुगतान किया जाता है. अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 1 करोड़ 89 लाख रुपए सामान्य मरीजों के लिए और 10 लाख रुपए जननी सुरक्षा योजना के मरीजों को भुगतान किया गया है. यानी कुल भुगतान 1 करोड़ 99 लाख बीते वर्ष भुगतान किया गया.

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1 करोड़ 34 लाख 61 हजार का खाना

बीते वर्ष 2019-20 में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में 43 हजार 847 सामान्य मरीज भर्ती हुए. 5 हजार 339 जननी सुरक्षा योजना के तहत मरीज भर्ती हुए. वहीं एक मरीज करीब 3 दिन की दर से मेडिकल कॉलेज में दाखिल रहा, जिसके हिसाब से 1 साल में 1 लाख 34 हजार 610 थाली भोजन सामान्य मरीजों को दिया गया, जिसमें नास्ता, दोपहर का खाना और रात का भोजन शामिल है, जिसकी कीमत 100 की दर से 1 करोड़ 34 लाख 61 हजार होती है.

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साथ ही अगर जननी सुरक्षा योजना के मरीजों की बात करें, तो 16 हजार 17 थाली भोजन वितरित किया गया, जिसकी कीमत 160 रुपए की दर से 25 लाख 62 हजार 720 रुपए होता है, यानी कुल 1 करोड़ 60 लाख 23 हजार 720 रुपए हुआ, लेकिन मेडिकल कॉलेज ने भोजन के नाम पर 1 करोड़ 99 लाख का भुगतान किया है. अब सवाल यह है कि एक साल में 38 लाख का भोजन कौन खा गया. मामला सामने आने के बाद अस्पताल अधीक्षक डॉ. पीएस सिसोदिया का कहना है, जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

अपराधियों पर होगी सख्त कार्रवाई
वहीं भोजन व्यवस्था संभाल रहे इन लोगों पर खुद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने ही सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने माना है कि इनकी कई शिकायतें उन तक आ चुकी है. इसके पहले एक डॉक्टर के साथ भोजन के बिल को पास करने के दबाव के कारण मारपीट की घटना सामने आ चुकी है. मंत्री ने बताया कि जब कोविड अस्पताल में एक सख्स अंदर चला गया, तब इस मामले की पड़ताल हुई और यह सख्स भी उसी ग्रुप का था, जो भोजन व्यवस्था के नाम पर इस तरह के काम करता है. सिंहदेव ने बताया की भोजन टेंडर की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, जल्द ही इसे दुरुस्त कर लिया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि आरोपियों के खिलाफ जांच होगी, दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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