ETV Bharat / state

छठ पर्व 2021ः सरगुजा में छठ पर्व पर वैक्सिनेशन की अनिवार्यता पर लोगों में आक्रोश - chhath festival

दीपावली के 6 दिन बाद भगवान सूर्य की उपासना का पर्व छठ (Chhath festival of worship of the sun) मनाया जाता है. उत्तर भारत समेत बिहार, झारखंड में यह पर्व मुख्य रूप से मनाया जाता है लेकिन अब धीरे-धीरे इसकी व्यापकता (broadness) देश के अन्य शहरों में भी देखी जा सकती है. उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार की सीमा से लगे सरगुजा में तो यह पर्व बहुत ही वृहद रूप से मनाया जाता है.

Chhath festival 2021
Chhath festival 2021
author img

By

Published : Nov 3, 2021, 8:26 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: दीपावली के 6 दिन बाद भगवान सूर्य की उपासना (Worship of Lord Surya) का पर्व छठ मनाया जाता है. उत्तर भारत समेत बिहार, झारखंड में यह पर्व मुख्य रूप से मनाया जाता है लेकिन अब धीरे-धीरे इसकी व्यापकता देश के अन्य शहरों में भी देखी जा सकती है. उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार की सीमा से लगे सरगुजा में तो यह पर्व बहुत ही वृहद रूप से मनाया जाता है.

छठ पर्व पर वैक्सीनेश की बाध्यता पर लोगों में रोष

पर्व को लेकर मान्यताएं इतनी अधिक हैं की अब इस व्रत को नही जानने वाले अन्य प्रान्त के लोग भी इसे मान रहे हैं और इस व्रत को कर अपनी मनोकामना पूर्ण (wish fulfilled) करते हैं. लेकिन सरगुजा कलेक्टर ने एक ऐसा आदेश जारी कर दिया है. जिसके बाद छठ व्रतियों और इसे मानने वाले लोगों में आक्रोश पनप रहा है. लोगों का कहना है की तमाम त्योहार और सरकारी आयोजन बिना किसी रोक टोक के किये जा रहे हैं. सरकार आदिवासी नृत्य महोत्सव कर दुनिया भर के लोगों को बुलाकर भीड़ कर रही है. जिले में राज्योत्सव मना कर भीड़ की गई. किसी भी आयोजन में ऐसी अनिवार्यता नहीं थी लेकिन छठ पर्व (Chhath festival) में ऐसी अनिवार्यता होना यह उनकी धार्मिक भावना पर आघात है.

कैसे मनेगी किसानों की दिवाली ?, 1 दिसंबर से धान खरीदी को किसान संगठन ने बताया सीएम का अड़ियल रवैया

सरकार और प्रशासन पर आस्था से खिलवाड़ का आरोप

सरकार और प्रशासन पर आरोप है कि जब कोरोना संक्रमण चरम पर था. तब हजारों की भीड़ कर मंत्री का जन्मदिन कलेक्ट्रेट में सामने मनाया गया. कई फाइव स्टार तेरहवीं हो गई ये सब प्रशासन को नहीं दिखा लेकिन छठ पर्व से इनको दिक्कत है. सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा खुद बिहार के मिथलांचल से संबंध रखते हैं. इस पर्व की मान्यताओं और विश्वास को बेहतर समझते हैं. ऐसे में उनके द्वारा दिये गए इस आदेश से लोग खासे आक्रोशित हैं. लोगों का कहना है की नियम सबके लिये बराबर होने चाहिये. जब कोरोना था तब सबके लिए जो नियम बने.

सबने माना लेकिन जब प्रशासन खुद जिस चीज का पालन नहीं कर रहा है तो हिन्दू धर्म के लोगों को इस पर्व में बाध्यता क्यों की गई है? बहरहाल वैक्सिनेशन के प्रमाण पत्र का आदेश और छठ पर्व के बीच एक बड़ी व्यवहारिक दिक्कत है. जिस वजह से यह आदेश लोगों को परेशान कर रहा है.

महिलाओं में व्रत को लेकर ज्यादा श्रद्धा

छठ पर्व करने वाली ज्यादातर महिलाएं संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत करती हैं. या संतान के निरोगी रहने के लिये यह व्रत किया जाता है. जबकी गर्भवती व शिशुवती माताओं का वैक्सिनेशन नहीं हो सका है. छठ घाट पर बच्चों के जाने पर भी रोक है. बच्चों की वैक्सीन अब तक बनी ही नहीं है. इस व्रत में एक व्रती के साथ कम से कम परिवार के 20 लोग साथ होते हैं. तभी इसके कठिन नियमों का पालन सम्भव होता है. ऐसे में या तो लोग छठ व्रत ही ना करें या तो यह आदेश शिथिल किया जाए क्योंकी नियमों के तहत तो छठ पर्व मना पाना संभव नहीं होगा.

सरगुजा: दीपावली के 6 दिन बाद भगवान सूर्य की उपासना (Worship of Lord Surya) का पर्व छठ मनाया जाता है. उत्तर भारत समेत बिहार, झारखंड में यह पर्व मुख्य रूप से मनाया जाता है लेकिन अब धीरे-धीरे इसकी व्यापकता देश के अन्य शहरों में भी देखी जा सकती है. उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार की सीमा से लगे सरगुजा में तो यह पर्व बहुत ही वृहद रूप से मनाया जाता है.

छठ पर्व पर वैक्सीनेश की बाध्यता पर लोगों में रोष

पर्व को लेकर मान्यताएं इतनी अधिक हैं की अब इस व्रत को नही जानने वाले अन्य प्रान्त के लोग भी इसे मान रहे हैं और इस व्रत को कर अपनी मनोकामना पूर्ण (wish fulfilled) करते हैं. लेकिन सरगुजा कलेक्टर ने एक ऐसा आदेश जारी कर दिया है. जिसके बाद छठ व्रतियों और इसे मानने वाले लोगों में आक्रोश पनप रहा है. लोगों का कहना है की तमाम त्योहार और सरकारी आयोजन बिना किसी रोक टोक के किये जा रहे हैं. सरकार आदिवासी नृत्य महोत्सव कर दुनिया भर के लोगों को बुलाकर भीड़ कर रही है. जिले में राज्योत्सव मना कर भीड़ की गई. किसी भी आयोजन में ऐसी अनिवार्यता नहीं थी लेकिन छठ पर्व (Chhath festival) में ऐसी अनिवार्यता होना यह उनकी धार्मिक भावना पर आघात है.

कैसे मनेगी किसानों की दिवाली ?, 1 दिसंबर से धान खरीदी को किसान संगठन ने बताया सीएम का अड़ियल रवैया

सरकार और प्रशासन पर आस्था से खिलवाड़ का आरोप

सरकार और प्रशासन पर आरोप है कि जब कोरोना संक्रमण चरम पर था. तब हजारों की भीड़ कर मंत्री का जन्मदिन कलेक्ट्रेट में सामने मनाया गया. कई फाइव स्टार तेरहवीं हो गई ये सब प्रशासन को नहीं दिखा लेकिन छठ पर्व से इनको दिक्कत है. सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा खुद बिहार के मिथलांचल से संबंध रखते हैं. इस पर्व की मान्यताओं और विश्वास को बेहतर समझते हैं. ऐसे में उनके द्वारा दिये गए इस आदेश से लोग खासे आक्रोशित हैं. लोगों का कहना है की नियम सबके लिये बराबर होने चाहिये. जब कोरोना था तब सबके लिए जो नियम बने.

सबने माना लेकिन जब प्रशासन खुद जिस चीज का पालन नहीं कर रहा है तो हिन्दू धर्म के लोगों को इस पर्व में बाध्यता क्यों की गई है? बहरहाल वैक्सिनेशन के प्रमाण पत्र का आदेश और छठ पर्व के बीच एक बड़ी व्यवहारिक दिक्कत है. जिस वजह से यह आदेश लोगों को परेशान कर रहा है.

महिलाओं में व्रत को लेकर ज्यादा श्रद्धा

छठ पर्व करने वाली ज्यादातर महिलाएं संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत करती हैं. या संतान के निरोगी रहने के लिये यह व्रत किया जाता है. जबकी गर्भवती व शिशुवती माताओं का वैक्सिनेशन नहीं हो सका है. छठ घाट पर बच्चों के जाने पर भी रोक है. बच्चों की वैक्सीन अब तक बनी ही नहीं है. इस व्रत में एक व्रती के साथ कम से कम परिवार के 20 लोग साथ होते हैं. तभी इसके कठिन नियमों का पालन सम्भव होता है. ऐसे में या तो लोग छठ व्रत ही ना करें या तो यह आदेश शिथिल किया जाए क्योंकी नियमों के तहत तो छठ पर्व मना पाना संभव नहीं होगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.