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अब तक पटरी पर नहीं लौटी बस चालकों की जिंदगी, मांग पूरी नहीं होने पर दी आत्मदाह की चेतावनी

अंबिकापुर में बस संचालक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. बस चालकों के कहना है कि वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. शासन ने अगर उनकी मदद नहीं की तो सीएम हाउस के सामने प्रदर्शन करेंगे और अगर उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने आत्मदाह करने की चेतावनी दी है.

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अंबिकापुर में बस संचालकों का विरोध प्रदर्शन
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Published : Oct 2, 2020, 8:46 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

अंबिकापुर: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाला है. लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या सामने आ गई है, तो इधर लॉकडाउन में बसों के पहिए थमने के बाद बस चालकों और परिचालकों की जिंदगी अब तक पटरी में नहीं आ पाई है. बस चालकों के सामने अब अपने घर की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत हो रही है. अंबिकापुर के बस चालकों ने शासन-प्रशासन से 6 महीने का गुजारा भत्ता देने की मांग की है.

अंबिकापुर में बस संचालकों का विरोध प्रदर्शन

सरकार से लगातार मांग के बाद भी इन बस चालकों को कोई मदद नहीं मिल सकी. ऐसे में बस चालकों ने बस स्टैंड के पास धरना प्रदर्शन का आयोजन किया, लेकिन बाद में मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने उन्हें समझाइश देकर मामला शांत कराया. इन बस चालकों की समस्या अब भी बरकरार है. बस चालकों का कहना है की कोरोना से मरें ना मरें लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे.

नहीं मिल रही सवारी

दरअसल कोरोना संक्रमण काल शुरू होने के बाद लॉकडाउन लगते ही बसों के पहिए थम गए थे. तीन महीने से ज्यादा समय तक बस चालकों को बेरोजगारों की तरह जिंदगी घर में बैठकर काटनी पड़ी. इस दौरान उनकी बची खुची पूंजी भी समाप्त हो गई. अब लॉकडाउन तो खुल चुका है, लेकिन आधे से ज्यादा बसों का संचालन अब भी ठप है. जिन बसों का संचालन हो भी रहा है, तो उनमें सवारियों की कमी है. ऐसे में बस चालकों के सामने अब भी वही समस्या बरकरार है.

6 महीने का समय बीतने के बाद भी इन बस चालकों की जिंदगी पटरी पर नहीं लौटी पाई. बस चालकों के कहना है कि सोसायटी से चावल मिल रहा है, लेकिन उसके साथ और भी जरूरतें है. घर के राशन के साथ ही बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी बढ़ गया है. अब हर स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दे रहा है, ऐसे में अपने बच्चों को मोबाइल फोन कैसे उपलब्ध कराए.

मांगे पूरी नहीं होने पर आत्मदाह करने की चेतावनी

बस चालकों का कहना है कि जब वे आंदोलन करते हैं, तो सरकार और प्रशासन कहता है कि कोरोना संक्रमण काल में एकजुट होकर आंदोलन ना करें, इससे संक्रमण फैलने का खतरा है. लेकिन उनकी भी अपनी मजबूरी है. बस चालकों के कहना है कि वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. शासन ने अगर उनकी मदद नहीं की तो सीएम हाउस के सामने प्रदर्शन करेंगे और अगर उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने आत्मदाह करने की चेतावनी दी है.

पढ़ें- बड़ी लापरवाही: बसों में क्षमता से ज्यादा भरे जा रहे सवारी, कोरोना संक्रमण का खतरा

बस चालकों का कहना है कि उन्होंने 3-3 चुनाव में ड्यूटी की. चालकों के मुताबिक चुनाव के वक्त प्रशासन बसों को जबरदस्ती अधिग्रहित कर लेती है या फिर बस मालिकों पर दबाव बनाकर ड्यूटी कराई जाती है. इन सबके बाद ड्यूटी का पैसा भी नहीं दिया जाता है. उनका कहना है कि उनके इतना काम करने के बाद भी शासन-प्रशासन उनपर ध्यान नहीं देते.

अंबिकापुर: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाला है. लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या सामने आ गई है, तो इधर लॉकडाउन में बसों के पहिए थमने के बाद बस चालकों और परिचालकों की जिंदगी अब तक पटरी में नहीं आ पाई है. बस चालकों के सामने अब अपने घर की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत हो रही है. अंबिकापुर के बस चालकों ने शासन-प्रशासन से 6 महीने का गुजारा भत्ता देने की मांग की है.

अंबिकापुर में बस संचालकों का विरोध प्रदर्शन

सरकार से लगातार मांग के बाद भी इन बस चालकों को कोई मदद नहीं मिल सकी. ऐसे में बस चालकों ने बस स्टैंड के पास धरना प्रदर्शन का आयोजन किया, लेकिन बाद में मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने उन्हें समझाइश देकर मामला शांत कराया. इन बस चालकों की समस्या अब भी बरकरार है. बस चालकों का कहना है की कोरोना से मरें ना मरें लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे.

नहीं मिल रही सवारी

दरअसल कोरोना संक्रमण काल शुरू होने के बाद लॉकडाउन लगते ही बसों के पहिए थम गए थे. तीन महीने से ज्यादा समय तक बस चालकों को बेरोजगारों की तरह जिंदगी घर में बैठकर काटनी पड़ी. इस दौरान उनकी बची खुची पूंजी भी समाप्त हो गई. अब लॉकडाउन तो खुल चुका है, लेकिन आधे से ज्यादा बसों का संचालन अब भी ठप है. जिन बसों का संचालन हो भी रहा है, तो उनमें सवारियों की कमी है. ऐसे में बस चालकों के सामने अब भी वही समस्या बरकरार है.

6 महीने का समय बीतने के बाद भी इन बस चालकों की जिंदगी पटरी पर नहीं लौटी पाई. बस चालकों के कहना है कि सोसायटी से चावल मिल रहा है, लेकिन उसके साथ और भी जरूरतें है. घर के राशन के साथ ही बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी बढ़ गया है. अब हर स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दे रहा है, ऐसे में अपने बच्चों को मोबाइल फोन कैसे उपलब्ध कराए.

मांगे पूरी नहीं होने पर आत्मदाह करने की चेतावनी

बस चालकों का कहना है कि जब वे आंदोलन करते हैं, तो सरकार और प्रशासन कहता है कि कोरोना संक्रमण काल में एकजुट होकर आंदोलन ना करें, इससे संक्रमण फैलने का खतरा है. लेकिन उनकी भी अपनी मजबूरी है. बस चालकों के कहना है कि वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. शासन ने अगर उनकी मदद नहीं की तो सीएम हाउस के सामने प्रदर्शन करेंगे और अगर उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने आत्मदाह करने की चेतावनी दी है.

पढ़ें- बड़ी लापरवाही: बसों में क्षमता से ज्यादा भरे जा रहे सवारी, कोरोना संक्रमण का खतरा

बस चालकों का कहना है कि उन्होंने 3-3 चुनाव में ड्यूटी की. चालकों के मुताबिक चुनाव के वक्त प्रशासन बसों को जबरदस्ती अधिग्रहित कर लेती है या फिर बस मालिकों पर दबाव बनाकर ड्यूटी कराई जाती है. इन सबके बाद ड्यूटी का पैसा भी नहीं दिया जाता है. उनका कहना है कि उनके इतना काम करने के बाद भी शासन-प्रशासन उनपर ध्यान नहीं देते.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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