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कहीं जुगाड़ से, कहीं दिमाग से, सरगुजा के ये अस्पताल कोविड काल में कर रहे 'कमाल' - सरगुजा न्यूज

ईटीवी भारत की टीम सरगुजा जिले के ग्राम लहपटरा और ग्राम सालका पहुंची. जहां ईटीवी भारत की टीम ने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया. पड़ताल में यह बात सामने आई कि ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल शहरों से भी ज्यादा सुरक्षा अपना रहे हैं.

health facilities in rural areas of surguja
सरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पड़ताल
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Published : May 22, 2021, 10:40 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के विधानसभा क्षेत्र के गांवों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र किस हाल में हैं, ETV भारत की टीम इसका जायजा लेने पहुंची. ETV भारत ने ये जानने की कोशिश की कि कोरोना की दूसरी लहर में ये स्वास्थ्य केंद्र किस स्थिति में हैं ? यहां डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ है या नहीं ? इलाज की व्यवस्थाएं कैसी हैं ?

गांव गांव ईटीवी भारत

सबसे पहले ETV भारत लहपटरा गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा. यहां अस्पताल के मुख्य द्वार का गेट बंद मिला और उस पर अंदर से ताला लगा हुआ था. पहली बार देखने पर यही लगा कि शायद अस्पताल बंद है. लेकिन वहीं बगल में इस अस्पताल के प्रभारी खड़े थे. उन्होंने बताया कि असल सुरक्षा की दृष्टि से यह ताला लगाया गया है. इसी अस्पताल में कोविड के मरीज आते हैं. यहीं नॉन कोविड और खासकर के गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. ऐसे में अगर अस्पताल का गेट खोलकर सभी को अंदर प्रवेश दिया गया तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा.

गांव-गांव ईटीवी भारत: लुंड्रा क्षेत्र के गांवों में काबू में हालात, वैक्सीनेशन को लेकर ग्रामीण जागरूक

बिना संपर्क में आए हो रहा इलाज

आगे पूछने पर पता लगा की ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल शहरों से भी ज्यादा सुरक्षा का ख्याल रख रहे हैं. यहां आने वाले हर मरीज के लिये सुरक्षित नियम बनाए गए हैं. मरीज खिड़की से ओपीडी रजिस्ट्रेशन कराते हैं. खिड़की से ही मरीज को चिकित्सकीय परामर्श मिलता है. अस्पताल के बाहर ही लैब बनी है. कोरोना के संदेह पर मरीज को बाहर से ही लैब भेज दिया जाता है. सैम्पल के लिये. और फिर अस्पताल के मुख्य द्वार पर बनाये गए देसी जुगाड़ के जरिये इन्हें दवाई दे दी जाती है. दरअसल जालीदार गेट में एक बॉक्स लगाया गया है, जिसमे फार्मासिस्ट अंदर से दवाइयां रख देते हैं. मरीज उस दवाई को उठा लेते हैं. अंदर से ही दवाइयों के सेवन का नियम उन्हें समझा दिया जाता है, ऐसे में मरीज या स्टाफ दोनों संक्रमण के खतरे से दूर हैं. इस अस्पताल में उतने ही स्टाफ अपनी टेबल पर होते हैं, जिनकी जरूरत होती है. बाकी के स्टाफ अस्पताल के बाहर गार्डन में टेबल कुर्सी लगाकर ऑफिशियल वर्क करते हैं.

पर्ची मरीज नहीं, वार्ड ब्वॉय लेकर जाते हैं

नॉन कोविड मरीजों और खासकर गर्भवती महिलाओं के लिये अस्पताल के पीछे का दरवाजा खोला गया है, जिन्हें सीधे अस्पताल के अंदर ले जाया जाता है. यहां व्यवस्थित प्रसव कक्ष के साथ नवजात शिशु के बेहतर देख रेख के लिए भी विशेष बेड की व्यवस्था है. साथ ही प्रसव के बाद प्रसूताओं के रहने के लिये भी अलग से कक्ष बनाया गया है. यहां नेत्र चिकित्सा यूनिट भी संचालित है. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लोगों की आंखों का इलाज भी गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही करते हैं. इस अस्पताल ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये एक और बढ़िया तरकीब निकाली है. यहां किसी भी मरीज को ओपीडी पर्ची नहीं दी जा रही है. ओपीडी काउंटर से डॉक्टर के पास, लैब और फार्मासिस्ट तक पर्ची को वार्ड ब्वाय लेकर जाते हैं. मरीज को पर्ची नहीं दी जाती है, ताकि एक दूसरे के संपर्क में बार बार आने से संक्रमण ना फैल जाए. अंत में मरीज को दवाई के साथ उसकी पर्ची बिना छुए दी जाती है.

गांव-गांव ईटीवी भारत: बेमेतरा के मारो गांव में अब तक शुरू नहीं हो पाया कोविड अस्पताल

ग्राम सालका के उप स्वास्थ्य केंद्र का हाल

इसके बाद हम पहुंचे इससे भी छोटे अस्पताल ग्राम सालका के उप स्वास्थ्य केंद्र में. यहां भी व्यवस्था बढ़िया दिखी. इस छोटे से अस्पताल ने वर्तमान में 84 कोरोना मरीजों को संभाल रखा है. 3602 की आबादी वाले इस गांव में कोरोना के दूसरे चरण में कुल 98 लोग संक्रमित हो चुके हैं. वर्तमान में 84 एक्टिव केस हैं. बड़ी बात यह है कि एक भी मरीज अस्पताल जाने की स्थिति तक नही पहुंच सका है. ये सभी होम आइसोलेशन में ही ठीक हो रहे हैं. अस्पताल में शासन द्वारा निर्धारित कोरोना दवाइयों की किट उपलब्ध है, कोविड जांच भी यहीं होती है. जांच की रिपोर्ट आने पर यहीं से लोगों को दवाइयां दे दी जाती है. मितानिन के माध्यम से घर मे जागरूकता फैलाई जा रही है. लोगों को होम आइसोलेशन के नियमों का पालन कराया जाता है.

गांव-गांव ईटीवी भारत: छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री के गांव में भी कोरोना का कहर

45 प्लस के लोगों का हुआ 99 फीसदी टीकाकरण

सालका के उप स्वास्थ्य केंद्र ने पूरे कोरोना काल में एक वर्ष में 3190 ओपीडी संचालित किए हैं. जबकि 37 प्रसव कराए हैं. नवजात शिशु टीकाकरण में पहला डोज 100℅ दूसरा डोज 98% तीसरा डोज 95% है. यहां गर्भवती महिलाओं का पंजीयन 84% है और गर्भवती महिलाओं को टीटी का टीका 100% लगाया गया है. 45 वर्ष से ऊपर के कोविड टीकाकरण में भी इस गांव का प्रदर्शन बेहतर है. यहां 850 लोगों में से 843 लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है.

ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारियों की अहम भूमिका

आपको बता दें की छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिये त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम शुरू किए गये थे. लेकिन इन्हें कभी डॉक्टर की मान्यता नहीं मिली. लेकिन आज इस भयंकर महामारी के दौर में यही ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारी ही प्रदेश में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को संभाले हुये हैं. ज्यादातर ग्रामीण अस्पताल में इन्ही की बदौलत लोगों को बेहतर इलाज मिल पा रहा है. हालांकि बदलते वक्त में मेडिकल कॉलेज की बढ़ी संख्या के कारण अब हर वर्ष नये एमबीबीएस डॉक्टर भी प्रदेश को मिल रहे हैं. लेकिन अब भी प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं है. ऐसे में आरएचओ ही कई ग्रामीण अस्पतालों को संभाले हुए है.

गांव गांव ईटीवी भारत: धमतरी का ऐसा गांव जहां ग्रामीणों की समझदारी से कम हुई कोरोना संक्रमण की दर

ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा

बहरहाल ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं की पड़ताल में यहां व्यवस्था बेहतर दिखी. नए प्रयोग के साथ स्वास्थ्य कर्मी हर वो प्रयास कर रहे हैं, जिससे देश कोरोना की जंग जीत सके.

सरगुजा: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के विधानसभा क्षेत्र के गांवों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र किस हाल में हैं, ETV भारत की टीम इसका जायजा लेने पहुंची. ETV भारत ने ये जानने की कोशिश की कि कोरोना की दूसरी लहर में ये स्वास्थ्य केंद्र किस स्थिति में हैं ? यहां डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ है या नहीं ? इलाज की व्यवस्थाएं कैसी हैं ?

गांव गांव ईटीवी भारत

सबसे पहले ETV भारत लहपटरा गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा. यहां अस्पताल के मुख्य द्वार का गेट बंद मिला और उस पर अंदर से ताला लगा हुआ था. पहली बार देखने पर यही लगा कि शायद अस्पताल बंद है. लेकिन वहीं बगल में इस अस्पताल के प्रभारी खड़े थे. उन्होंने बताया कि असल सुरक्षा की दृष्टि से यह ताला लगाया गया है. इसी अस्पताल में कोविड के मरीज आते हैं. यहीं नॉन कोविड और खासकर के गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. ऐसे में अगर अस्पताल का गेट खोलकर सभी को अंदर प्रवेश दिया गया तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा.

गांव-गांव ईटीवी भारत: लुंड्रा क्षेत्र के गांवों में काबू में हालात, वैक्सीनेशन को लेकर ग्रामीण जागरूक

बिना संपर्क में आए हो रहा इलाज

आगे पूछने पर पता लगा की ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल शहरों से भी ज्यादा सुरक्षा का ख्याल रख रहे हैं. यहां आने वाले हर मरीज के लिये सुरक्षित नियम बनाए गए हैं. मरीज खिड़की से ओपीडी रजिस्ट्रेशन कराते हैं. खिड़की से ही मरीज को चिकित्सकीय परामर्श मिलता है. अस्पताल के बाहर ही लैब बनी है. कोरोना के संदेह पर मरीज को बाहर से ही लैब भेज दिया जाता है. सैम्पल के लिये. और फिर अस्पताल के मुख्य द्वार पर बनाये गए देसी जुगाड़ के जरिये इन्हें दवाई दे दी जाती है. दरअसल जालीदार गेट में एक बॉक्स लगाया गया है, जिसमे फार्मासिस्ट अंदर से दवाइयां रख देते हैं. मरीज उस दवाई को उठा लेते हैं. अंदर से ही दवाइयों के सेवन का नियम उन्हें समझा दिया जाता है, ऐसे में मरीज या स्टाफ दोनों संक्रमण के खतरे से दूर हैं. इस अस्पताल में उतने ही स्टाफ अपनी टेबल पर होते हैं, जिनकी जरूरत होती है. बाकी के स्टाफ अस्पताल के बाहर गार्डन में टेबल कुर्सी लगाकर ऑफिशियल वर्क करते हैं.

पर्ची मरीज नहीं, वार्ड ब्वॉय लेकर जाते हैं

नॉन कोविड मरीजों और खासकर गर्भवती महिलाओं के लिये अस्पताल के पीछे का दरवाजा खोला गया है, जिन्हें सीधे अस्पताल के अंदर ले जाया जाता है. यहां व्यवस्थित प्रसव कक्ष के साथ नवजात शिशु के बेहतर देख रेख के लिए भी विशेष बेड की व्यवस्था है. साथ ही प्रसव के बाद प्रसूताओं के रहने के लिये भी अलग से कक्ष बनाया गया है. यहां नेत्र चिकित्सा यूनिट भी संचालित है. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लोगों की आंखों का इलाज भी गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही करते हैं. इस अस्पताल ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये एक और बढ़िया तरकीब निकाली है. यहां किसी भी मरीज को ओपीडी पर्ची नहीं दी जा रही है. ओपीडी काउंटर से डॉक्टर के पास, लैब और फार्मासिस्ट तक पर्ची को वार्ड ब्वाय लेकर जाते हैं. मरीज को पर्ची नहीं दी जाती है, ताकि एक दूसरे के संपर्क में बार बार आने से संक्रमण ना फैल जाए. अंत में मरीज को दवाई के साथ उसकी पर्ची बिना छुए दी जाती है.

गांव-गांव ईटीवी भारत: बेमेतरा के मारो गांव में अब तक शुरू नहीं हो पाया कोविड अस्पताल

ग्राम सालका के उप स्वास्थ्य केंद्र का हाल

इसके बाद हम पहुंचे इससे भी छोटे अस्पताल ग्राम सालका के उप स्वास्थ्य केंद्र में. यहां भी व्यवस्था बढ़िया दिखी. इस छोटे से अस्पताल ने वर्तमान में 84 कोरोना मरीजों को संभाल रखा है. 3602 की आबादी वाले इस गांव में कोरोना के दूसरे चरण में कुल 98 लोग संक्रमित हो चुके हैं. वर्तमान में 84 एक्टिव केस हैं. बड़ी बात यह है कि एक भी मरीज अस्पताल जाने की स्थिति तक नही पहुंच सका है. ये सभी होम आइसोलेशन में ही ठीक हो रहे हैं. अस्पताल में शासन द्वारा निर्धारित कोरोना दवाइयों की किट उपलब्ध है, कोविड जांच भी यहीं होती है. जांच की रिपोर्ट आने पर यहीं से लोगों को दवाइयां दे दी जाती है. मितानिन के माध्यम से घर मे जागरूकता फैलाई जा रही है. लोगों को होम आइसोलेशन के नियमों का पालन कराया जाता है.

गांव-गांव ईटीवी भारत: छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री के गांव में भी कोरोना का कहर

45 प्लस के लोगों का हुआ 99 फीसदी टीकाकरण

सालका के उप स्वास्थ्य केंद्र ने पूरे कोरोना काल में एक वर्ष में 3190 ओपीडी संचालित किए हैं. जबकि 37 प्रसव कराए हैं. नवजात शिशु टीकाकरण में पहला डोज 100℅ दूसरा डोज 98% तीसरा डोज 95% है. यहां गर्भवती महिलाओं का पंजीयन 84% है और गर्भवती महिलाओं को टीटी का टीका 100% लगाया गया है. 45 वर्ष से ऊपर के कोविड टीकाकरण में भी इस गांव का प्रदर्शन बेहतर है. यहां 850 लोगों में से 843 लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है.

ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारियों की अहम भूमिका

आपको बता दें की छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिये त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम शुरू किए गये थे. लेकिन इन्हें कभी डॉक्टर की मान्यता नहीं मिली. लेकिन आज इस भयंकर महामारी के दौर में यही ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारी ही प्रदेश में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को संभाले हुये हैं. ज्यादातर ग्रामीण अस्पताल में इन्ही की बदौलत लोगों को बेहतर इलाज मिल पा रहा है. हालांकि बदलते वक्त में मेडिकल कॉलेज की बढ़ी संख्या के कारण अब हर वर्ष नये एमबीबीएस डॉक्टर भी प्रदेश को मिल रहे हैं. लेकिन अब भी प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं है. ऐसे में आरएचओ ही कई ग्रामीण अस्पतालों को संभाले हुए है.

गांव गांव ईटीवी भारत: धमतरी का ऐसा गांव जहां ग्रामीणों की समझदारी से कम हुई कोरोना संक्रमण की दर

ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा

बहरहाल ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं की पड़ताल में यहां व्यवस्था बेहतर दिखी. नए प्रयोग के साथ स्वास्थ्य कर्मी हर वो प्रयास कर रहे हैं, जिससे देश कोरोना की जंग जीत सके.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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