राजनांदगांव: जिले के अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र पेन्दोडी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम ढोढरी और मेतातोड़के के ग्रामीण झरिया का पानी पीने को मजबूर हैं. जानकारी के मुताबिक ढोढरी में बने हैंडपंप से गंदा पानी तो वहीं मेटातोड़के के हैंडपंप से आयरनयुक्त पानी आ रहा है. ऐसे में इन दोनों गांवों के ग्रामीण झरिया के पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
ETV भारत की टीम इसकी जानकारी लेने ढोढरी गांव पहुंची. जहां ग्रामीणों ने बताया की उनके गांव में बिजली ,सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यहां न तो रोजगार गारंटी का काम चलता है न ही किसी प्रकार की कोई सरकार की योजना के बारे में जानकारी मिलती है. इस गांव में शासन-प्रशासन के कोई भी अधिकारी वर्षों से ग्रामीणों की सुध लेने नहीं आए हैं.
कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं यहां के ग्रामीण
यूं तो प्रशासन लाख दावा करता रहता है कि हर घर बिजली पहुंच चुकी है, हर गांव तक सड़क, शिक्षा है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. आज भी इन दोनों गांव के लोग अपने-अपने घरों में बिजली का बल्ब जलते हुए नहीं देखे हैं, न ही पक्की सड़क पर चले हैं. इन गांवों के लोगों को आजादी के बाद भी कई मूलभूत सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है.
ग्रामीणों ने की शासन-प्रशासन से मांग
ढोढरी के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में पंचायत सचिव के अलावा कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा है. मेताटोड़के और ढोढरी के लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए झरिया का पानी पीने को मजबूर हैं. दोनों गावों के ग्रामीणों ने बताया कि यहां हैंडपंप खोदे गए हैं, लेकिन एक गांव में आयरनयुक्त पानी आता है, तो दूसरे गांव में खराब और बदबूदार पानी है. आयरनयुक्त पानी का सेवन करने से ग्रामीणों के दांत पीले हो गए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि हैंडपंप में गंदा पाने आने के कारण उन्हें मजबूरी में झरिया के पानी पर आश्रित रहना पड़ रहा है. वहीं झरिया के पानी को पीने से कई ग्रामीण बीमार भी हो रहे हैं. ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली, पानी ,सड़क और स्वास्थ्य सेवाएं सभी गांवों की तरह उनके यहां भी उपलब्ध करायी जाए.