राजनांदगांव : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन ने कुम्हारों की कमर तोड़कर रख दी है. इस साल कुम्हार अपने मुख्य सीजन में लॉकडाउन का सामना कर रहे हैं. इसके चलते उनका व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है. सालभर में अक्षय तृतीया, वैवाहिक सीजन सहित गर्मी के सीजन में बिकने वाले घड़े कुम्हारों के घर पर ही पड़े हैं. ऐसी स्थिति में कुम्हार अब कर्ज के तले दब चुके हैं.
जिले में तकरीबन 6 हजार कुम्हार रहते हैं. इनका मुख्य व्यवसाय मिट्टी से दैनिक उपयोग की वस्तुएं बनाना है. इनमें घड़े से लेकर के मिट्टी के बर्तन तक शामिल है. इनमें भी सबसे ज्यादा दीए, मिट्टी के खिलौने और घड़ों की डिमांड बाजार में रहती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते कुम्हारों का व्यापार सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. कुम्हारों ने कर्ज लेकर इस बार सीजन में मिट्टी के घड़े तैयार किए थे, जो अक्षय तृतीया और गर्मी के मौसम के लिए थे, लेकिन इस बीच लॉकडाउन होने के कारण ना तो शादियां हो पाईं और ना ही अक्षय तृतीया जैसे त्योहार को मनाने की छूट मिली. वहीं लॉकडाउन के कारण दुकानें बंद होने के चलते ये घड़े नहीं बिक पाए. नतीजा यह हुआ कि कुम्हारों का बनाया गया स्टॉक धरा का धरा रह गया.
इस बार पूरे सीजन में कुम्हारों के हरेक परिवार को करीब सत्तर हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है. मार्च, अप्रैल और मई के दौरान कुम्हारों का व्यापार पूरे जोरों पर रहता है. वैवाहिक कार्यक्रमों और गर्मियों को देखते हुए मिट्टी के घड़ों की डिमांड सबसे ज्यादा रहती है.
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90 फीसदी तक हुआ नुकसान
कुम्हारों ने बताया कि लॉकडाउन होने के पहले वे पूरी तैयारी के साथ बाजार में आए, लेकिन अचानक लॉकडाउन होने से सबकुछ थम सा गया. कुम्हारों का कहना है कि वे कर्ज लेकर मिट्टी खरीदते हैं. इसके बाद अपनी कारीगरी से सामान बनाकर उसे खुले बाजार में बेचते हैं. इस बार उनके बनाए गए सामानों की बिक्री पर करीब-करीब 90 फीसदी का नुकसान हुआ है.
आकंड़ों की बात करें तो-
- राजनांदगांव जिले में करीब 6 हजार कुम्हार परिवार
- बाजार बंद होने से 90 फीसदी स्टॉक की बिक्री नहीं हुई
- प्रत्येक कुम्हार परिवारों को 70 हजार का नुकसान
- जिले में करीब 2 करोड़ का व्यापार प्रभावित
- कुम्हार परिवारों पर लाखों का कर्ज
कर्ज के तले दबे कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. लॉकडाउन की मार झेल रहे ये परिवार सरकार से आर्थिक मदद की आस लगाए बैठे हैं. उम्मीद करते हैं जल्द ही इनकी जिंदगी की चाक घूमने लगेगी.