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डोंगरगांव : 3 कांग्रेस समर्थित सरपंच को मात देकर टीकाराम बने सरपंच संघ के अध्यक्ष

डोंगरगांव में बुधवार को हुए ब्लॉक सरपंच संघ के चुनाव में 3 कांग्रेस समर्थित सरपंच को मात देकर टीकाराम सोनकर ने 2 वोटों से जीत हासिल की है.

Sarpanch Sangh election in dongargaon
टीकाराम सोनकर बने सरपंच संघ के अध्यक्ष
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Published : Aug 6, 2020, 5:22 AM IST

डोंगरगांव/राजनांदगांव: बुधवार को हुए ब्लॉक सरपंच संघ के चुनाव में भाजपा के कद्दावर सरपंच टीकाराम सोनकर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी और कांग्रेस विधायक की पसंद माने जाने वाले कमलनारायण वैष्णव को 2 वोटों से मात देकर अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया. जबकि कांग्रेस की ही महिला दावेदार अनीता चंद्राकर तीसरे नंबर पर रहीं. वहीं कांग्रेस के ही युवा सरपंच मयंक यदु 16 मत लेकर अंतिम स्थान पर रहे.

बता दें कि विजयी टीकाराम को 22 वोट मिले जबकि पराजित कमलनारायण और अनिता चंद्राकर को 20 और 17 मतों से संतोष करना पड़ा. जनपद क्षेत्र में कुल 76 सरपंच हैं. इनमें से 75 सरपंचों ने इस पूरे मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा लिया. जबकि एक स्वास्थ्यगत कारणों से अनुपस्थित रहे.

यह पहला अवसर था जब किसी महिला ने सरपंच संघ के अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी और सम्मानजनक मत भी प्राप्त किया. वहीं कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई के चलते बहुमत के बाद भी पराजय का सामना करना पड़ा है. जनपद के सभाकक्ष में संपन्न हुए इस चुनाव में निर्वाचन अधिकारी के रूप में जनपद अध्यक्ष टिकेश साहू और उपाध्यक्ष सुयश नाहटा उपस्थित थे.

पढ़ें-SPECIAL: छत्तीसगढ़ में हर कोरोना संक्रमितों को बेड मुहैया कराने के निर्देश, लेकिन क्या है सरकार की व्यवस्था

सरपंच संघ के अध्यक्ष के लिए वास्तव में जहां एकमात्र टीकाराम सोनकर का नाम अंतिम दौर में सामने आया था. वहीं कांग्रेस समर्थित अनेक सरपंच कुर्सी का ख्वाब देख रहे थे. इसके लिए बकायदा प्रचार-प्रसार और वरिष्ठजनों का आशीर्वाद होने की बात दावेदार करते रहे. जैसे-जैसे समय नजदीक आते गया दावेदारों की संख्या बढ़ती गई. हालात ये रहे कि बुधवार को कांग्रेस की ओर से तीन उम्मीदवारों ने अपने नामांकन दाखिल कर दिए. इनमें महिला दावेदार अनीता चंद्राकर, कमलनारायण वैष्णव और मयंक यदु शामिल हैं.

ये हार कांग्रेस की फूट का नतीजा ?

वहीं स्थिति को हाथ से निकलता देख कांग्रेस ने रणनीति की तहत जनपद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को चुनाव अधिकारी के रूप में नियुक्त कर मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया. लेकिन कांग्रेस की फूट का नतीजा रहा कि ब्लॉक सरपंच संघ के अध्यक्ष का पद कांग्रेस के हाथ से जाता रहा. राजनीतिक हल्कों के अनुसार विधायक के चहेतों की पराजय कांग्रेस के अंदर असंतोष को दर्शाता है.

डोंगरगांव/राजनांदगांव: बुधवार को हुए ब्लॉक सरपंच संघ के चुनाव में भाजपा के कद्दावर सरपंच टीकाराम सोनकर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी और कांग्रेस विधायक की पसंद माने जाने वाले कमलनारायण वैष्णव को 2 वोटों से मात देकर अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया. जबकि कांग्रेस की ही महिला दावेदार अनीता चंद्राकर तीसरे नंबर पर रहीं. वहीं कांग्रेस के ही युवा सरपंच मयंक यदु 16 मत लेकर अंतिम स्थान पर रहे.

बता दें कि विजयी टीकाराम को 22 वोट मिले जबकि पराजित कमलनारायण और अनिता चंद्राकर को 20 और 17 मतों से संतोष करना पड़ा. जनपद क्षेत्र में कुल 76 सरपंच हैं. इनमें से 75 सरपंचों ने इस पूरे मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा लिया. जबकि एक स्वास्थ्यगत कारणों से अनुपस्थित रहे.

यह पहला अवसर था जब किसी महिला ने सरपंच संघ के अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी और सम्मानजनक मत भी प्राप्त किया. वहीं कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई के चलते बहुमत के बाद भी पराजय का सामना करना पड़ा है. जनपद के सभाकक्ष में संपन्न हुए इस चुनाव में निर्वाचन अधिकारी के रूप में जनपद अध्यक्ष टिकेश साहू और उपाध्यक्ष सुयश नाहटा उपस्थित थे.

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सरपंच संघ के अध्यक्ष के लिए वास्तव में जहां एकमात्र टीकाराम सोनकर का नाम अंतिम दौर में सामने आया था. वहीं कांग्रेस समर्थित अनेक सरपंच कुर्सी का ख्वाब देख रहे थे. इसके लिए बकायदा प्रचार-प्रसार और वरिष्ठजनों का आशीर्वाद होने की बात दावेदार करते रहे. जैसे-जैसे समय नजदीक आते गया दावेदारों की संख्या बढ़ती गई. हालात ये रहे कि बुधवार को कांग्रेस की ओर से तीन उम्मीदवारों ने अपने नामांकन दाखिल कर दिए. इनमें महिला दावेदार अनीता चंद्राकर, कमलनारायण वैष्णव और मयंक यदु शामिल हैं.

ये हार कांग्रेस की फूट का नतीजा ?

वहीं स्थिति को हाथ से निकलता देख कांग्रेस ने रणनीति की तहत जनपद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को चुनाव अधिकारी के रूप में नियुक्त कर मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया. लेकिन कांग्रेस की फूट का नतीजा रहा कि ब्लॉक सरपंच संघ के अध्यक्ष का पद कांग्रेस के हाथ से जाता रहा. राजनीतिक हल्कों के अनुसार विधायक के चहेतों की पराजय कांग्रेस के अंदर असंतोष को दर्शाता है.

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