राजनांदगांव: आज सावन का पहला सोमवार है. सोमवार के दिन श्रावण की शुरुआत होने से इसका महत्व बढ़ गया है. हर साल बड़ी संख्या में शिव भक्त कांवड़ यात्रा कर भगवान शिव की आराधना कर अपनी मनोकामना अनुसार जलाभिषेक करते हैं, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से कांवड़ यात्रा नहीं हो पाई है.
हर साल भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक और मनोकामना की पूर्ती के लिए सांकरदाहर के पुराने शिव मंदिर से कांवड़ में जल लेकर नगर में स्थापित विभिन्न शिव मंदिरों में जलाभिषेक कर यात्रा को विराम देते हैं. सावन के आखिरी दिन भव्य रूप से कांवड़ यात्रा निकाली जाती है. ढोल नगाड़े, डीजे और अन्य संगीत सहित कांवड़ यात्रा नगर पहुंचती है.
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कई किलोमीटर की यात्रा तय कर आते हैं कांवड़िया
सावन के महीने में अपनी मनोकामना लेकर शिवभक्त जल लेने के लिए संकरदाहरा पहुंचते हैं. बता दें, डोंगरगांव, बांधा बाजार, सुंदरा, सोमनी, हल्दी, चौकी, पानेका, बिजाभाठा सहित अन्य स्थानों के कांवड़िया जल लेकर जाते हैं.
इस बार नहीं हुई कांवड़ यात्रा
प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार इस साल कांवड़ यात्रा नहीं होगी. मोक्षधाम सांकरदाहरा में शिवनाथ नदी का प्रवाह है और आगे महज कुछ किलोमीटर में घुमरिया और बगदई नदी का संगम होता है. वहीं संकरदाहरा में शिवनाथ नदी सात विभिन्न धाराओं में बंट जाती है जिसके चलते यहां छोटे-छोटे टापू बन गए हैं. संकरधारा में सभी धर्मों के प्रार्थना स्थल की स्थापना की गई है.
मान्यताओं के अनुसार संकरधारा, सांकलदाहरा में कोई भी गलत काम नहीं कर सकता था और गलत काम करने वालों को संकल से बांधकर सजा दी जाती थी. जिसके प्रमाण आज भी पत्थरों पर निशान के तौर पर मौजूद हैं.