राजनांदगांव/डोंगरगांव: अग्रिकांड जैसे भयंकर मामलों में फायर ब्रिगेड की टीम देवदूत बनकर आती है. उन्हें चाहिए तो बस सही समय पर सूचना और सुरक्षा उपकरण उसके बाद ये दमकल की टीम अपनी जान जोखिम में डालकर भी भीषण से भीषण आग पर काबू पाने और अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा से पूरी करने के लिए तत्पर रहते हैं. हालांकि कई ऐसे मामले भी आते हैं जब उन्हें देर से सूचना मिलती है और पहुंचने में देरी होने के कारण उन्हें समाज और प्रभावितों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है.
वर्तमान में राजनांदगांव नगरीय निकाय के अंतर्गत डोंगरगांव नगर पंचायत में एक फायर ब्रिगेड गाड़ी और फायरमेन है, लेकिन तकनीकी खराबी और सुरक्षा उपकरणों के अभाव में ये टीम बेबस और मजबूर नजर आती है. यदि नगर पंचायत अग्रिकांड जैसे गंभीर मसले को ध्यान में रखते हुए तमाम सुरक्षा किट उपलब्ध कराएं तो गंभीर हादसों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
अधिकारी ध्यान दें तो होगी बेहतर व्यवस्था
डोंगरगांव में आगजनी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पिछले पंचवर्षीय में ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी खरीदी गई थी, जो अब देखरेख के अभाव में कंडम होने की कगार पर है. विगत कुछ माह से शहर और क्षेत्र में आगजनी होने पर डोंगरगांव को राजनांदगांव पर आश्रित होना पड़ता है. जिससे टीम को पहुंचने तक काफी देर हो जाती है, इसके अलावा आए दिन खराब होने वाले नगर पंचायत के इस फायर बिग्रेड की गाड़ी में कई खामियां हैं, जिसे जल्द दुरुस्त कराए जाने की जरूरत है.
नपं के पास नहीं है कोई सुरक्षा किट
अग्रिकांड जैसे भयंकर घटना पर बिना कोई सुरक्षा किट के किसी ऑपरेशन को अंजाम देना बहुत ही ज्यादा खतरनाक हो सकता है. बावजूद इसके नगर के फायरमैन और इस टीम में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बगैर किसी सुरक्षा के अपनी जान जोखिम में डालकर आगजनी की घटना को काबू करने निकल पड़ते हैं. वहीं राजनांदगांव या दुर्ग से आने वाले दमकल की गाड़ियां नगर सेना के अंतर्गत आती है, जिसके चलते वाहन, अग्रिशमन यंत्र की पूरी व्यवस्था और फायरमैन पूरे सुरक्षा उपकरणों के साथ घटना पर काबू पाने में सक्षम होते हैं, लेकिन नगरीय निकाय के अंतर्गत खरीदे गए दमकल वाहन में न तो कोई सुरक्षा यंत्र और न ही फायरमैन के पास कोई सुरक्षा किट है, उसके बाद भी नगर के फायरमैन आगजनी की घटना की सूचना पर अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटते हैं.
भारी पड़ी लापरवाही
केस -1: कुछ महीने पहले आरी गांव के साहू परिवार के पैरावट में भीषण आग लग गई थी. जिसे बुझाने के लिए घर मालिक सहित ग्रामीण मशक्कत कर रहे थे. घटना के बाद शहर के अग्रिशमन वाहन को बुलाने के लिए कॉल किया गया लेकिन वह मौके पर नहीं पहुंच सकी. काफी इंतजार के बाद राजनांदगांव फायर ब्रिगेड और एक प्राइवेट कंपनी के दमकल वाहन को मौके पर बुलाया गया, इस दौरान बड़ी आर्थिक क्षति किसान को हो चुकी थी. यदि नगर पंचायत की फायर ब्रिगेड की गाड़ी की कंडीशन ठीक होती तो कुछ ही समय में घटना स्थल पर पहुंच कर बड़े नुकसान को टाल जा सकता था.
केस -2: हाल ही में हुए एक भीषण आगजनी की घटना में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. उस दिन अग्रिकांड की सूचना मिलते ही यदि दमकल वाहन तमाम सुविधाओं के साथ मौके पर पहुंचता तो इतनी बड़ी घटना नहीं हो पाती. नगर पंचायत में खड़ा अग्रिशमन वाहन तकनीकी खराबी के चलते वहां नहीं पहुंच पाया, जिसके बाद राजनांदगांव से दमकल की टीम मौके पर पहुंची तब जाकर आग पर काबू पाया गया.
4 मई को अंतर्राष्ट्रीय अग्रिशमन दिवस मनाया जाता है. भारत में 14 अप्रैल 1944 को मुम्बई बंदरगाह में अचानक आग लग गई जिसमें 66 अग्निशमन कर्मियों की मौत हो गई थी, इन शहीदों की याद में देश में हर साल 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस मनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है.