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SPECIAL :क्या ऐसे पूरा होगा राइट टू एजुकेशन का सपना? स्कूलों को अब तक नहीं हुआ राशि का भुगतान

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Published : Oct 30, 2020, 8:08 PM IST

Updated : Oct 30, 2020, 9:15 PM IST

'सब पढ़ें सब बढ़ें' के उद्देश्य से राइट टू एजुकेशन लाया गया था. जिसमें गरीब वर्ग के बच्चे अपनी पढ़ाई का सपना निजी और बड़े स्कूलों में कर सकें. लेकिन राजनांदगांव जिले में शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों की फीस का भुगतान राज्य सरकार ने पिछले तीन सालों से नहीं किया है.

RTE funds not given to private school owners of Rajnandgaon
निजी स्कूल संचालकों का RTE का भुगतान नहीं हुआ

राजनांदगांव: जिले में शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों की फीस देने में राज्य शासन खुद कोताही बरत रहा है. आरटीई के तहत जिले के 304 निजी स्कूलों के करीब 10 करोड़ की राशि का भुगतान राज्य शासन ने अब तक स्कूलों के खाते में ट्रांसफर नहीं किए हैं. कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते निजी स्कूल तकरीबन 9 माह से बंद पड़े हैं ऐसी स्थिति में शासन से यह राशि अगर निजी स्कूलों को मिलती है तो निजी स्कूलों के लिए ऑक्सीजन का काम करेगी

निजी स्कूल संचालकों का RTE का भुगतान नहीं हुआ

10 करोड़ की राशि का भुगतान बाकी

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले के 304 निजी स्कूलों के वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 तक की 10 करोड़ की राशि आज तक नहीं मिल पाई है. शिक्षा विभाग ने जिले के तकरीबन 14 हजार से ज्यादा ज्यादा बच्चों को शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन कराया था. दाखिल बच्चों की फीस राज्य शासन को देनी है, लेकिन यह राशि अब तक निजी स्कूलों को नहीं मिल पाई है. आरटीई की बकाया राशि नहीं मिलने से निजी स्कूलों की माली हालत काफी खराब हो गई है. यहां तक कई स्कूल तो बंद होने के कगार पर भी आ गए हैं. बावजूद इसके शिक्षा विभाग केवल निजी स्कूलों को राशि आने का हवाला देकर इस सत्र में भी आरटीई के तहत एडमिशन के लिए दबाव बना रहा है.

पढें- 20 साल का छत्तीसगढ़, गौरवशाली इतिहास, समृद्ध परंपरा और संस्कृति का गढ़ है यह प्रदेश

निजी स्कूलों की हालत खराब

कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते तकरीबन 9 माह से निजी स्कूलों में ताले लगे हुए हैं. राज्य शासन ने अलग-अलग आदेश जारी कर निजी स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर फीस लेने पर भी रोक लगा दी है. ऐसी स्थिति में निजी स्कूलों के संचालकों के पास कोई भी आवक का जरिया नहीं है. ऐसी स्थिति में राज्य शासन को आरटीई के तहत जो राशि बकाया है उसका भुगतान समय पर देना चाहिए, जिससे निजी स्कूलों को राहत मिल सके.वर्तमान में आधा सत्र बीत चुका है लेकिन अब तक राज्य शासन ने निजी स्कूलों की आरटीई के तहत बकाया रकम उनके खातों में नहीं भेजी है. संचालकों का कहना है कि पालको पर भी फीस को लेकर के दबाव नहीं बनाया जा सकता. ऐसी स्थिति में निजी स्कूल के संचालक कर्ज में लग चुके हैं और स्कूल बंद करने की नौबत तक आ गई है.

दिवाली के पहले हो भुगतान

निजी स्कूलों के संचालकों ने राज्य शासन के समक्ष मांग रखी है कि दिवाली के पूर्व आरटीई के तहत जो राशि भुगतान करना है उसे जल्द से जल्द की जाए, जिससे संचालक स्कूल में कार्यरत शिक्षकों, कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान कर सकें. वर्तमान में निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि उनके हालात कतई सही नहीं है कि इस दिवाली पर शिक्षकों को वेतन दिया जा सके. आरटीई की बकाया राशि का शासन अगर भुगतान कर दे तो दिवाली के पूर्व शिक्षकों को वेतन देने में काफी आसानी होगी.

पढ़ें- 20 बछर के छत्तीसगढ़: RKC में आयोजित किया गया था छत्तीसगढ़ का पहला विधानसभा सत्र

राज्य शासन से आग्रह किया गया

इस मामले में नीरज पैरंट्स प्राईड स्कूल के संचालक नीरज बाजपेयी का कहना है कि तकरीबन 3 साल होने को आए लेकिन आरटीई की राशि अब तक राज्य शासन ने निजी स्कूलों को नहीं दी. राज्य शासन से बार-बार इस मामले को लेकर आग्रह किया गया, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है. आरटीई की राशि नहीं मिलने से स्कूल के संचालन में काफी दिक्कतों का सामना निजी स्कूलों के संचालकों को करना पड़ रहा है.

जिम्मेदार अधिकारी भी कह रहे काम अधूरा

इस मामले में डीईओ एचआर सोम का कहना है कि आरटीई के पोर्टल में अभी कुछ एंट्रियां बाकी है जिसे जल्द से जल्द पूरा करने को कहा गया है और इसके बाद उच्च अधिकारियों ने आरटीई के तहत बकाया राशि का भुगतान किए जाने की जानकारी दी है. हालांकि डीईओ के इस बयान के बाद भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर 3 साल होने को आए. साल दर साल निजी स्कूलों को भुगतान क्यों नहीं किया गया.

  • आरटीई के तहत निजी स्कूलों का 3 साल का भुगतान बकाया
  • वित्तीय वर्ष 2018, 2019 और 2020 की राशि अब तक नहीं मिली.
  • आरटीई के तहत रोकी गई राशि 10 करोड़ की राशि.
  • राजनांदगांव जिले में 304 निजी स्कूल कार्यरत.
  • सरकार ने 14 हजार बच्चों को आरटीई के तहत दाखिला कराया.
  • इस साल भी 4700 बच्चों का दाखिला आरटीई के तहत हुआ.
  • आधा साल बीतने आया, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया गया.
  • जिले के करीब 4 हजार निजी स्कूल के शिक्षकों को नहीं मिल पा रहा वेतन
  • करीब 1500 निजी स्कूल स्टाफ पर भी वेतन का संकट
  • जिले के तकरीबन 18% स्कूल बंद होने के कगार पर

राजनांदगांव: जिले में शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों की फीस देने में राज्य शासन खुद कोताही बरत रहा है. आरटीई के तहत जिले के 304 निजी स्कूलों के करीब 10 करोड़ की राशि का भुगतान राज्य शासन ने अब तक स्कूलों के खाते में ट्रांसफर नहीं किए हैं. कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते निजी स्कूल तकरीबन 9 माह से बंद पड़े हैं ऐसी स्थिति में शासन से यह राशि अगर निजी स्कूलों को मिलती है तो निजी स्कूलों के लिए ऑक्सीजन का काम करेगी

निजी स्कूल संचालकों का RTE का भुगतान नहीं हुआ

10 करोड़ की राशि का भुगतान बाकी

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले के 304 निजी स्कूलों के वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 तक की 10 करोड़ की राशि आज तक नहीं मिल पाई है. शिक्षा विभाग ने जिले के तकरीबन 14 हजार से ज्यादा ज्यादा बच्चों को शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन कराया था. दाखिल बच्चों की फीस राज्य शासन को देनी है, लेकिन यह राशि अब तक निजी स्कूलों को नहीं मिल पाई है. आरटीई की बकाया राशि नहीं मिलने से निजी स्कूलों की माली हालत काफी खराब हो गई है. यहां तक कई स्कूल तो बंद होने के कगार पर भी आ गए हैं. बावजूद इसके शिक्षा विभाग केवल निजी स्कूलों को राशि आने का हवाला देकर इस सत्र में भी आरटीई के तहत एडमिशन के लिए दबाव बना रहा है.

पढें- 20 साल का छत्तीसगढ़, गौरवशाली इतिहास, समृद्ध परंपरा और संस्कृति का गढ़ है यह प्रदेश

निजी स्कूलों की हालत खराब

कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते तकरीबन 9 माह से निजी स्कूलों में ताले लगे हुए हैं. राज्य शासन ने अलग-अलग आदेश जारी कर निजी स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर फीस लेने पर भी रोक लगा दी है. ऐसी स्थिति में निजी स्कूलों के संचालकों के पास कोई भी आवक का जरिया नहीं है. ऐसी स्थिति में राज्य शासन को आरटीई के तहत जो राशि बकाया है उसका भुगतान समय पर देना चाहिए, जिससे निजी स्कूलों को राहत मिल सके.वर्तमान में आधा सत्र बीत चुका है लेकिन अब तक राज्य शासन ने निजी स्कूलों की आरटीई के तहत बकाया रकम उनके खातों में नहीं भेजी है. संचालकों का कहना है कि पालको पर भी फीस को लेकर के दबाव नहीं बनाया जा सकता. ऐसी स्थिति में निजी स्कूल के संचालक कर्ज में लग चुके हैं और स्कूल बंद करने की नौबत तक आ गई है.

दिवाली के पहले हो भुगतान

निजी स्कूलों के संचालकों ने राज्य शासन के समक्ष मांग रखी है कि दिवाली के पूर्व आरटीई के तहत जो राशि भुगतान करना है उसे जल्द से जल्द की जाए, जिससे संचालक स्कूल में कार्यरत शिक्षकों, कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान कर सकें. वर्तमान में निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि उनके हालात कतई सही नहीं है कि इस दिवाली पर शिक्षकों को वेतन दिया जा सके. आरटीई की बकाया राशि का शासन अगर भुगतान कर दे तो दिवाली के पूर्व शिक्षकों को वेतन देने में काफी आसानी होगी.

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राज्य शासन से आग्रह किया गया

इस मामले में नीरज पैरंट्स प्राईड स्कूल के संचालक नीरज बाजपेयी का कहना है कि तकरीबन 3 साल होने को आए लेकिन आरटीई की राशि अब तक राज्य शासन ने निजी स्कूलों को नहीं दी. राज्य शासन से बार-बार इस मामले को लेकर आग्रह किया गया, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है. आरटीई की राशि नहीं मिलने से स्कूल के संचालन में काफी दिक्कतों का सामना निजी स्कूलों के संचालकों को करना पड़ रहा है.

जिम्मेदार अधिकारी भी कह रहे काम अधूरा

इस मामले में डीईओ एचआर सोम का कहना है कि आरटीई के पोर्टल में अभी कुछ एंट्रियां बाकी है जिसे जल्द से जल्द पूरा करने को कहा गया है और इसके बाद उच्च अधिकारियों ने आरटीई के तहत बकाया राशि का भुगतान किए जाने की जानकारी दी है. हालांकि डीईओ के इस बयान के बाद भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर 3 साल होने को आए. साल दर साल निजी स्कूलों को भुगतान क्यों नहीं किया गया.

  • आरटीई के तहत निजी स्कूलों का 3 साल का भुगतान बकाया
  • वित्तीय वर्ष 2018, 2019 और 2020 की राशि अब तक नहीं मिली.
  • आरटीई के तहत रोकी गई राशि 10 करोड़ की राशि.
  • राजनांदगांव जिले में 304 निजी स्कूल कार्यरत.
  • सरकार ने 14 हजार बच्चों को आरटीई के तहत दाखिला कराया.
  • इस साल भी 4700 बच्चों का दाखिला आरटीई के तहत हुआ.
  • आधा साल बीतने आया, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया गया.
  • जिले के करीब 4 हजार निजी स्कूल के शिक्षकों को नहीं मिल पा रहा वेतन
  • करीब 1500 निजी स्कूल स्टाफ पर भी वेतन का संकट
  • जिले के तकरीबन 18% स्कूल बंद होने के कगार पर
Last Updated : Oct 30, 2020, 9:15 PM IST
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