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शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन, प्रवेश देने से पीछे हट रहे निजी स्कूल - एडमिशन प्रक्रिया पूरा करने का निर्देश

आरटीई (Right To Education) के तहत निजी स्कूलों में बच्चों के एडमिशन पर अघोषित रूप से रोक लगाने का मामला सामने आया है. इस पर डीईओ ने निजी स्कूलों को जल्द से जल्द एडमिशन प्रक्रिया पूरा करने का निर्देश दिया है.

Private schools are refusing to give admission
बच्चों के एडमिशन से पीछे हट रहे निजी स्कूल
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Published : Nov 1, 2020, 3:26 PM IST

राजनांदगांव: जिले में शिक्षा का अधिकार अधिनियम की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है. निजी स्कूल के संचालक पर मनमानी करते हुए आरटीई के तहत बच्चों को दिए जाने वाले एडमिशन पर अघोषित रूप से रोक लगाने का आरोप लगाया जा रहा है.

आरटीई (शिक्षा का अधिकार) के तहत आरक्षित सीटों पर एडमिशन के लिए बनाए गए वेब पोर्टल में निजी स्कूलों ने अबतक आरक्षित सीटों की जानकारी अपडेट नहीं की है. जबकि पहले निजी स्कूलों की ओर से जारी किए गए रिपोर्ट के आधार पर ही पालकों ने अपने बच्चों के एडमिशन के लिए स्कूलों में आवेदन दिया था. अब निजी स्कूल वाले सीटें नहीं होने का हवाला देकर एडमिशन की प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहे हैं. जिले भर में करीब 1 हजार 60 बच्चे आरक्षित सीटों में एडमिशन लेने से वंचित हैं. इसके चलते दूसरे चरण की लॉटरी प्रक्रिया अटकी हुई है.

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प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर रद्द हो सकती है मान्यता

डीईओ एचआर सोम ने निजी स्कूलों को सख्त हिदायत दी है कि वे जल्द से जल्द एडमिशन की प्रक्रिया पूरी करें. इसके बाद भी अगर स्कूल प्रबंधन एडमिशन प्रक्रिया पूरी नहीं करता है तो डीईओ ने स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए उच्च अधिकारियों को प्रतिवेदन भेज दिया जाएगा. डीईओ ने बताया कि आरक्षित सीटों का अनुमान पहले प्रवेश ले चुके बच्चों के आधार पर तय किया जाता है. निजी स्कूलों की ओर से आरक्षित सीट के मुताबिक ही राज्य स्तर से बच्चों को सीटों का आवंटन नि:शुल्क किया जाता है.

दूसरे चरण की लॉटरी अटकी

दूसरे चरण की लॉटरी निकलने में अभी थोड़ा समय है. 1 नवंबर से पूरी की जाने वाली प्रक्रिया की सूचना तो पालकों को मिली है, लेकिन यह तभी संभव है जब पहले चरण की लॉटरी में चयनित बच्चों का एडमिशन पूरा हो पाएगा. नोडल अधिकारी आवेदनों के स्टेटस पर विचार कर रहे हैं.

राजनांदगांव: जिले में शिक्षा का अधिकार अधिनियम की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है. निजी स्कूल के संचालक पर मनमानी करते हुए आरटीई के तहत बच्चों को दिए जाने वाले एडमिशन पर अघोषित रूप से रोक लगाने का आरोप लगाया जा रहा है.

आरटीई (शिक्षा का अधिकार) के तहत आरक्षित सीटों पर एडमिशन के लिए बनाए गए वेब पोर्टल में निजी स्कूलों ने अबतक आरक्षित सीटों की जानकारी अपडेट नहीं की है. जबकि पहले निजी स्कूलों की ओर से जारी किए गए रिपोर्ट के आधार पर ही पालकों ने अपने बच्चों के एडमिशन के लिए स्कूलों में आवेदन दिया था. अब निजी स्कूल वाले सीटें नहीं होने का हवाला देकर एडमिशन की प्रक्रिया पूरी नहीं कर रहे हैं. जिले भर में करीब 1 हजार 60 बच्चे आरक्षित सीटों में एडमिशन लेने से वंचित हैं. इसके चलते दूसरे चरण की लॉटरी प्रक्रिया अटकी हुई है.

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प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर रद्द हो सकती है मान्यता

डीईओ एचआर सोम ने निजी स्कूलों को सख्त हिदायत दी है कि वे जल्द से जल्द एडमिशन की प्रक्रिया पूरी करें. इसके बाद भी अगर स्कूल प्रबंधन एडमिशन प्रक्रिया पूरी नहीं करता है तो डीईओ ने स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए उच्च अधिकारियों को प्रतिवेदन भेज दिया जाएगा. डीईओ ने बताया कि आरक्षित सीटों का अनुमान पहले प्रवेश ले चुके बच्चों के आधार पर तय किया जाता है. निजी स्कूलों की ओर से आरक्षित सीट के मुताबिक ही राज्य स्तर से बच्चों को सीटों का आवंटन नि:शुल्क किया जाता है.

दूसरे चरण की लॉटरी अटकी

दूसरे चरण की लॉटरी निकलने में अभी थोड़ा समय है. 1 नवंबर से पूरी की जाने वाली प्रक्रिया की सूचना तो पालकों को मिली है, लेकिन यह तभी संभव है जब पहले चरण की लॉटरी में चयनित बच्चों का एडमिशन पूरा हो पाएगा. नोडल अधिकारी आवेदनों के स्टेटस पर विचार कर रहे हैं.

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