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पैदल चलकर अपने गांव पहुंचने वाले लोगों की नहीं की जा रही जांच - Hanging lock in Quarantine Center

दूसरे राज्याें से पैदल चलकर घर वापसी कर रहे मजदूरों के लिए गांव में जांच की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ताजा मामला सोमनी गांव का है, जहां प्रवासी मजदूरों को रखने के लिए बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में ताला लटका हुआ है. वहीं अधिकारियों की ऐसी लापरवाही के कारण कोरोना संंकमण के फैलने का खतरा और भी बढ़ गया है.

Rajnandgaon Quarantine Center
क्वॉरेंटाइन सेंटर में लटका ताला
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Published : May 13, 2020, 1:46 PM IST

राजनांदगांव: स्पेशल ट्रेनों से आने वाले मजदूरों के लिए रेलवे स्टेशन में VIP की तरह सुरक्षा व्यवस्था कराई गई है. ट्रेन से उतरते ही मजदूरों की स्क्रीनिंग और सैनिटाइज किया गया. वहीं गृह जिला छोड़ने के लिए लगी बसों को भी सैनिटाइज किया गया, लेकिन मीलों पैदल चलकर घर वापसी कर रहे मजदूरों के लिए कहीं कोई सुविधा नहीं है और न ही उनकी स्क्रीनिंग हो रही है. इतना ही नहीं ऐसे मजदूरों को सैनिटाइजर भी नहीं दिया जा रहा है.

शहर में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों के लिए खाना और नाश्ता की व्यवस्था की गई है , लेकिन गांवों में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों के लिए कोई सुविधा नहीं की गई है. गांवों के क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों के नहाने और खाने की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण अधिकांश गांवों के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ताला लटका है. इसके कारण दूसरे राज्यों से गांव लौटे मजदूर अपने घर में ही आइसोलेट हैं.

क्वॉरेंटाइन सेंटरों में लटका ताला

शहर से लगे सोमनी गांव का क्वॉरेंटाइन सेंटर प्रशासनिक अव्यवस्था को उजागर कर रहा है. जानकारी के मुताबिक सोमनी गांव में 12 से ज्यादा मजदूर दूसरे राज्य से लौटे हैं, लेकिन उनको क्वॉरेंटाइन करने के लिए बनाए गए सेंटर में ताला जड़ा हुआ है. वहीं पहले तीन से चार मजदूर स्कूल में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके हुए थे. जो असुविधा को देखकर घर चले गए.

पढ़ें: दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर पहुंचे अपने जिले, सरकार को कहा धन्यवाद

बता दें कि दूसरे राज्यों से आ रहे मजदूरों को 14 दिनोंं तक क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रखकर उनपर निगरानी करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं, लेकिन क्वॉरेंटाइन सेंटर में लटके ताले को देखकर लगाता है कि उनको सरकार के फैसले और आदेश से कोई मतलब नहीं है.

राजनांदगांव: स्पेशल ट्रेनों से आने वाले मजदूरों के लिए रेलवे स्टेशन में VIP की तरह सुरक्षा व्यवस्था कराई गई है. ट्रेन से उतरते ही मजदूरों की स्क्रीनिंग और सैनिटाइज किया गया. वहीं गृह जिला छोड़ने के लिए लगी बसों को भी सैनिटाइज किया गया, लेकिन मीलों पैदल चलकर घर वापसी कर रहे मजदूरों के लिए कहीं कोई सुविधा नहीं है और न ही उनकी स्क्रीनिंग हो रही है. इतना ही नहीं ऐसे मजदूरों को सैनिटाइजर भी नहीं दिया जा रहा है.

शहर में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों के लिए खाना और नाश्ता की व्यवस्था की गई है , लेकिन गांवों में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों के लिए कोई सुविधा नहीं की गई है. गांवों के क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों के नहाने और खाने की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण अधिकांश गांवों के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ताला लटका है. इसके कारण दूसरे राज्यों से गांव लौटे मजदूर अपने घर में ही आइसोलेट हैं.

क्वॉरेंटाइन सेंटरों में लटका ताला

शहर से लगे सोमनी गांव का क्वॉरेंटाइन सेंटर प्रशासनिक अव्यवस्था को उजागर कर रहा है. जानकारी के मुताबिक सोमनी गांव में 12 से ज्यादा मजदूर दूसरे राज्य से लौटे हैं, लेकिन उनको क्वॉरेंटाइन करने के लिए बनाए गए सेंटर में ताला जड़ा हुआ है. वहीं पहले तीन से चार मजदूर स्कूल में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके हुए थे. जो असुविधा को देखकर घर चले गए.

पढ़ें: दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर पहुंचे अपने जिले, सरकार को कहा धन्यवाद

बता दें कि दूसरे राज्यों से आ रहे मजदूरों को 14 दिनोंं तक क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रखकर उनपर निगरानी करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं, लेकिन क्वॉरेंटाइन सेंटर में लटके ताले को देखकर लगाता है कि उनको सरकार के फैसले और आदेश से कोई मतलब नहीं है.

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