राजनांदगांव: कोरोना वायरस के कारण लंबे समय से जारी लॉकडाउन के कारण सभी जगह काम काज बंद है, जिसके बाद से दूसरे राज्यों से वापस अपने घर लौटे मजदूरों को गांव के ही क्वॉरेंटाइन सेंटर में ठहराया जा रहा है. बता दें, क्वॉरेंटाइन सेंटर में श्रमिकों को 14 से 28 दिन रहना है, लेकिन गंभीर बात यह है कि जो श्रमिक 14 दिन या फिर सप्ताहभर क्वॉरेंटाइन में रह चुके हैं, उनके साथ गांव लौटने वाले नए श्रमिकों को भी क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है, जिससे संक्रमण बढ़ने की आशंका बढ़ गई है.
लॉकडाउन में काफी दिनों से बंद पड़े काम-काज के बाद दूसरे प्रदेशाें से मजदूर वापस अपने घर लौट रहे थे, जिसके बाद इन श्रमिकों को गांव के ही क्वॉरेंटाइन सेंटर में ठहराया गया था. प्रशासन ने खैरागढ़ ब्लॉक में करीब 348 क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए हैं, जिसमें से 266 क्वॉरेंटाइन सेंटर में 2 हजार 614 मजदूर ठहरे हैं. वहीं लगातार गांव लौट रहे श्रमिकों को इन्हीं क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है, जिसके कारण जिले का क्वॉरेंटाइन सेंटर कंटेनमेंट जोन में तब्दील होता नजर आ रहा है. पिछले पांच दिनों में जिले में कोरोना के 21 मरीज सामने आए हैं, इनमें से ज्यादातर मरीज दूसरे राज्यों (ज्यादातर महाराष्ट्र) से लौटे प्रवासी श्रमिक हैं. बावजूद प्रशासनिक व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
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बता दें, क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहने वाले श्रमिकों की किसी तरह की कोई निगरानी नहीं हो रही है. खासकर अंचल के क्वॉरेंटाइन सेंटर की मॉनिटरिंग करने वाला कोई नहीं है. हालांकि प्रशासन ने पंचायत सचिवों के साथ मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की क्वॉरेंटाइन सेंटर में ड्यूटी लगाई है, लेकिन ज्यादातर सेंटरों में मितानिनों व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के भरोसे ही प्रवासी श्रमिकों की मॉनिटरिंग हो रही है. पंचायत सचिवों की भी लापरवाही सामने आ रही है. स्वास्थ्य विभाग की टीम भी केवल कागजों में क्वॉरेंटाइन सेंटरों की मॉनिटरिंग कर रही है. हालत ज्यादा बिगड़ने पर ही स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंच रही है, जिसके कारण क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके श्रमिकों की परेशानी बढ़ गई है.