राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में तीज का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. सभी घर की बेटियां शादी के बाद तीज मनाने अपने मायके आती हैं. इस साल कोरोना संक्रमण ने सभी त्योहारों के साथ ही तीज के त्योहार का रंग भी फीका कर दिया है. ग्रामीण इलाकों में बहू-बेटियों के पीहर आने-जाने पर रोक लगा दी गई है. बस और अन्य ट्रांसपोर्ट बंद होने की वजह से भी इस साल बहू-बेटियां अपने मायके नहीं जा पा रही हैं. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव कपड़ा कारोबार पर देखने को मिला है. इस साल साड़ियों का कारोबार नहीं के बराबर है.
गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले छत्तीसगढ़ में तीज का व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने मायके जाकर ये व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. तीज के दिन सभी महिलाओं को उनके मायके से सुहाग का सामान दिया जाता है. इसके लिए महीनों पहले से ही बाजार सज जाते हैं. नई-नई साड़ियों की वरायटी बाजार पहुंच जाती है. इस साल कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए तीज का त्योहार महिलाएं अपने ससुराल में ही मना रही हैं.
गांव-गांव में फरमान जारी
राजनांदगांव के लिटिया गांव के ग्रामीणों ने एकजुट होकर ये तय किया है कि इस साल इस गांव से न तो कोई बहू तीज के लिए मायके जाएगी और न ही कोई बेटी गांव में आएगी. इस फैसले को लेकर पूरे गांव में मुनादी करा दी गई है. इस वजह से सभी महिलाएं इस साल तीज अपने ही घर में ही रहकर मना रही हैं. इस तरह का फरमान कई गांवों में जारी कर दिया गया है. हालांकि शासन ने पर्व को लेकर कोई पाबंदी नहीं लगाई है.
व्यापार हुआ प्रभावित
तीज का पर्व पूरे प्रदेश में जोर शोर से मनाया जाता है. इसके लिए महीनों पहले से महिलाएं खरीदारी करना शुरू कर देती हैं. इस साल कोरोना संक्रमण के मद्देनजर महिलाएं भी बाजार जाने से घबरा रही हैं. इस वजह से बाजार काफी हद तक प्रभावित हुआ है. महिलाओं के मायके नहीं जाने की वजह से साड़ी कारोबारियों को नुकसान पहुंचा है.
कपड़ा, सराफा, मिठाई का कारोबार प्रभावित
तीज का त्योहार इस साल फीका पड़ गया है. इस वजह से कपड़ा, सराफा और मिठाई का कारोबार काफी प्रभावित हुआ है. कपड़ा दुकान में एक से दो महिलाएं ही साड़ियां लेने पहुंच रही हैं. बाजार के एक अनुमान के मुताबिक, तीज पर तकरीबन 10 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ है.