राजनांदगांव: डोंगरगांव में कोरोना संक्रमित मरीजों का शव उठाने के लिए एक भी वाहन नहीं है. एक दिन पहले नगर पंचायत में कचरा उठाने वाली गाड़ी से शव उठाया गया था. जिसपर जिला प्रशासन की काफी आलोचना हुई थी. दूसरे दिन भी डोंगरगांव में बडी प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की मौत के बाद शव ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था नहीं हो पाई. संक्रमित मरीज के परिवार से ही वाहन लाने को कहा गया, ऐसी स्थिति में संक्रमित मरीज के परिवारों ने ट्रैक्टर में शव लादकर शमशान ले गए.
डोंगरगांव में कोरोना के हालत दिनों दिन बिगड़ते जा रहा है. प्रशासन और जनप्रतिनिधि मौन हैं. गुरुवार को फिर से बुधवार की तरह कोरोना मरीजों के प्रति प्रशासन की बदइंतजामी दिखाई दी. शहर के कोविड सेंटर में कोरोना से आसरा के रहने वाले एक शख्स की मौत हो गई. प्रशासन ने मृत व्यक्ति के शव को कोरोना गाइडलाइन के तहत दाह संस्कार नहीं किया, बल्कि मृत व्यक्ति के परिजनों से शव ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था करवाई गई. मृत के परिजन चार घंटे तक भटकते रहे. इसके बाद एक ट्रैक्टर मिला, जिसमें शव को शमशान ले जाना पड़ा.
जनप्रतिनिधियों से आम लोग नाराज
कोरोना से लड़ने के लिए बेहतर इंतजाम न होने के कारण अब आम लोग मौजूदा विधायक पर सवाल खड़े कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि शहर में कोरोना का हाल बेहाल है और विधायक दलेश्वर साहू के सुध नहीं ले रहे हैं. कोविड सेंटर में कोरोना का हाल बेहाल है. सरकारी सिस्टम की पूरी तरह कलाई खुल रही है. जहां आए दिन लोगों की मृत्यु हो रही है, वहीं कोविड सेंटर में भर्ती अन्य मरीज भयभीत हैं. डोंगरगांव ब्लॉक में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है.
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संक्रमण फैला तो जिम्मेदार कौन ?
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज का शव खुले में एक ट्रैक्टर में लादकर मुक्तिधाम भेजा गया. मामले में एसडीएम का कहना है कि वाहन के लिए कोशिश की गई थी, लेकिन वाहन की व्यवस्था नहीं हो पाई. जिसके बाद सरपंच ने ट्रैक्टर उपलब्ध कराया. जिसमें शव को भेजा गया. एसडीएम ने कहा कि वे शव वाहन के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन शहर में शव वाहन नहीं मिल रहा है. हालांकि अब ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि खुले वाहन में शव ले जाने से अगर संक्रमण फैलता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.