राजनांदगांव/खैरागढ़: लॉकडाउन में काम-काज बंद होने से दूसरे राज्यों में कमाने-खाने गए श्रमिकों की हालत दयनीय हो गई है. रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने वाले श्रमिक अब अपने घर लौट रहे हैं. इनमें सबसे अधिक संख्या बुजुर्ग श्रमिकों की है, जो अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए दूसरे प्रदेशों में मजदूरी करने गए थे.
ऐसे बुजुर्ग श्रमिकों के लिए लॉकडाउन किसी बड़ी विपदा से कम नहीं है. यातायात सेवा बंद पड़ने से श्रमिकों को मीलों पैदल चलना पड़ रहा है. खैरागढ़ ब्लॉक के ग्राम विक्रमपुर में रहने वाले 56 वर्षीय जयचंद वर्मा अपने परिवार के 6 लोगों के साथ रविवार को सूरत से राजनांदगांव पहुंचे.
मजदूरों ने ETV भारत को सुनाया दुखड़ा
लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों को हो रही परेशानी को बुजुर्ग श्रमिक जयचंद ने ETV भारत से साझा की. उन्होंने कहा कि जनता कर्फ्यू के दिन से काम बंद पड़ गया है. दो महीने जैसे-तैसे सूरत में काट लिए, लेकिन फिर भी काम शुरू नहीं हुआ तो ठेकेदार ने वहां से भगा दिया. पैसे तक नहीं दिए. सूरत से पैदल ही निकले थे. रास्ते में बिस्किट और टोस्ट खाकर ही मीलों पैदल चले.
मालवाहक और ट्रैक्टर की मिली मदद
इस बीच कुछ जगह मालवाहक और ट्रैक्टर की मदद मिली. इसी तरह बालोद जिले के करहीभदर निवासी 53 वर्षीय नीलकंठ देशलहरे ने बताया कि वो अपने 9 साथियों के साथ हैदराबाद से पैदल आ रहे हैं. रास्ते में कुछ जगहों पर मालवाहकों में लिफ्ट मिली पर खाने के लिए तरस गए. लॉकडाउन के कारण कहीं भोजन नहीं मिला.
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प्रदेश में आकर मिला भोजन
वहीं बागनदी पहुंचते ही कुछ लोगों ने सब्जी-पूड़ी दी. हफ्तेभर से भोजन नहीं करने से साथी भी भूख से परेशान हो गए थे. पुड़ी-सब्जी खाकर काफी राहत मिली. उन्होंने कहा कि बीच में मालवाहक में मदद मिलने से ज्यादा पैदल नहीं चलना पड़ा. करीब चार सौ किमी पैदल चले हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अभी 72 किमी और पैदल सफर करना बाकी है.