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लॉकडाउन में बढ़े खाद्य तेल के दाम, आम आदमी की जेब पर पड़ रहा सीधा असर - लॉकडाउन में बढ़े खाद्यान्न तेल के दाम

राजनांदगांव में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच खाद्य तेल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं. तेल के दाम बढ़ने से आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ा है. बीजेपी जिला अध्यक्ष मधुसूदन यादव का कहना है कि राज्य सरकार और अधिकारी बाजार में झांक कर नहीं देख रहे हैं. जिसका नुकसान जनता को उठाना पड़ रहा है.

foodgrain oil prices increased
लॉकडाउन में बढ़े खाद्यान्न तेल के दाम
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Published : May 20, 2021, 9:08 PM IST

राजनांदगांव: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच खाद्य तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. आम लोगों पर इसका सीधा असर भी पड़ रहा है. सोयाबीन तेल की खपत जिले में सबसे ज्यादा है. सोयाबीन तेल 15 लीटर 2500 तक की कीमत में लोगों को उपलब्ध हो पा रहा है. जबकि तकरीबन 6 महीने पहले इसकी कीमत महज 1900 के आसपास थी.

टोटल लॉकडाउन के चलते व्यापार जहां बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है. वहीं महंगाई भी बढ़ने लगी है. पिछले 6 महीने में खाद्य तेल की कीमतों में सबसे ज्यादा उछाल देखने को मिला है. 6 महीने के अंदर करीब 800 रुपये की बढ़ोतरी तेल की कीमत में हुई है.

हालांकि जमाखोरी के आरोपों को सिरे से नकारते हुए थोक व्यवसायी लवी सिंह का कहना है कि कंपनी से स्टॉक कम आ रहे हैं. वहीं ट्रांसपोर्टिंग का भी भाड़ा बढ़ा हुआ है. इसके चलते तेल की कीमत बढ़ी है. जमाखोरी जैसी कोई भी बात नहीं है. सामान जिस रेट में आएगा उसमें थोक व्यापारी मुनाफा कमाकर ही बेचते हैं.

बिगड़ रहा घर का बजट

तेल के दाम बढ़ने से आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ा है. उपभोक्ता मोना वैष्णव का कहना है कि तेल घर की सबसे बड़ी जरूरत है. बावजूद इसके इसके दाम में नियंत्रण नहीं होने से आम आदमी का बजट बिगड़ रहा है. प्रशासन को बाजार में जमाखोरी करने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए.

जमाखोरी पर नहीं कसी गई नकेल

जिला प्रशासन ने अब तक के जमाखोरी पर कोई भी नकेल नहीं कसी है. इसका सीधा फायदा व्यापारी उठा रहे हैं. लगातार जरूरत की चीजें महंगी होती जा रही है. बाजार में जमाखोरी चरम पर है. लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारियों ने इसपर कोई संज्ञान नहीं लिया है. कलेक्टर टीके वर्मा का कहना है कि खाद्य विभाग की टीम को जमाखोरी पर नकेल कसने के लिए टीम बनाकर काम करने को कहा गया है.

बढ़ती कीमतों पर शुरू हुई राजनीति

खाद्य तेल की कीमतों में भारी इजाफे पर भाजपा ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि गरीबों के हितों का ध्यान रखते हुए सरकार बाजार पर नियंत्रण करें. जिला अध्यक्ष मधुसूदन यादव का कहना है कि राज्य सरकार और अधिकारी बाजार में झांक कर नहीं देख रहे हैं. जिसका नुकसान जनता को उठाना पड़ रहा है.

राजनांदगांव: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच खाद्य तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. आम लोगों पर इसका सीधा असर भी पड़ रहा है. सोयाबीन तेल की खपत जिले में सबसे ज्यादा है. सोयाबीन तेल 15 लीटर 2500 तक की कीमत में लोगों को उपलब्ध हो पा रहा है. जबकि तकरीबन 6 महीने पहले इसकी कीमत महज 1900 के आसपास थी.

टोटल लॉकडाउन के चलते व्यापार जहां बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है. वहीं महंगाई भी बढ़ने लगी है. पिछले 6 महीने में खाद्य तेल की कीमतों में सबसे ज्यादा उछाल देखने को मिला है. 6 महीने के अंदर करीब 800 रुपये की बढ़ोतरी तेल की कीमत में हुई है.

हालांकि जमाखोरी के आरोपों को सिरे से नकारते हुए थोक व्यवसायी लवी सिंह का कहना है कि कंपनी से स्टॉक कम आ रहे हैं. वहीं ट्रांसपोर्टिंग का भी भाड़ा बढ़ा हुआ है. इसके चलते तेल की कीमत बढ़ी है. जमाखोरी जैसी कोई भी बात नहीं है. सामान जिस रेट में आएगा उसमें थोक व्यापारी मुनाफा कमाकर ही बेचते हैं.

बिगड़ रहा घर का बजट

तेल के दाम बढ़ने से आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ा है. उपभोक्ता मोना वैष्णव का कहना है कि तेल घर की सबसे बड़ी जरूरत है. बावजूद इसके इसके दाम में नियंत्रण नहीं होने से आम आदमी का बजट बिगड़ रहा है. प्रशासन को बाजार में जमाखोरी करने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए.

जमाखोरी पर नहीं कसी गई नकेल

जिला प्रशासन ने अब तक के जमाखोरी पर कोई भी नकेल नहीं कसी है. इसका सीधा फायदा व्यापारी उठा रहे हैं. लगातार जरूरत की चीजें महंगी होती जा रही है. बाजार में जमाखोरी चरम पर है. लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारियों ने इसपर कोई संज्ञान नहीं लिया है. कलेक्टर टीके वर्मा का कहना है कि खाद्य विभाग की टीम को जमाखोरी पर नकेल कसने के लिए टीम बनाकर काम करने को कहा गया है.

बढ़ती कीमतों पर शुरू हुई राजनीति

खाद्य तेल की कीमतों में भारी इजाफे पर भाजपा ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि गरीबों के हितों का ध्यान रखते हुए सरकार बाजार पर नियंत्रण करें. जिला अध्यक्ष मधुसूदन यादव का कहना है कि राज्य सरकार और अधिकारी बाजार में झांक कर नहीं देख रहे हैं. जिसका नुकसान जनता को उठाना पड़ रहा है.

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