राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में मानसून की दस्तक के साथ ही बारिश ने इलाके को तरबतर कर दिया है. इससे आम लोगों को तो गर्मी से राहत मिली ही है, इसका लाभ किसानों को भी मिल रहा है. डोंगरगांव इलाके में इन दिनों धान की बुआई का काम तेजी पर है. अधिकतर किसान खेतों में नजर आ रहे हैं. इनमें विशेष रूप से साधनविहीन और भगवान भरोसे खेती करने वाले किसान खोर्रा बोनी में व्यस्त हैं.
डोंगरगांव इलाके के किसानों की स्थिति यह है कि स्थानीय स्तर पर जो भी सुविधाएं मिल रही हैं, वह उसका उपयोग कर तुरंत बोनी के कार्य को निपटाने में लग गए हैं. वहीं एक साथ इस काम में किसानों के जुटने के कारण क्षेत्र में ट्रैक्टर और आधुनिक उपकरणों की डिमांड बढ़ गई है, जबकि वनांचल क्षेत्रों में अब भी परंपरागत 'नागर' (हल) का उपयोग कर बुआई का काम किया जा रहा है. धान की फसल को किसान प्रमुखता से लेते हैं.
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बुआई-जुताई के काम में जुटा परिवार
धान की बुआई को लेकर उमरवाही के किसानों ने बताया कि वे सभी धान की पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं. वहीं बोनी के लिए हल का उपयोग करते हैं. किसानों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बहुतायत में किसान पारंपरिक खेती को महत्व देते हैं, क्योंकि यही उनके जीविकोपार्जन का साधन है. ऐसे में पूरा परिवार खेत में फसल की बुआई से लेकर रखवाली और कटाई में पूरा समय देता है.
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बच्चे सीख रहे किसानी के गुर
वर्तमान में ग्रामीण इलाकों में खेतों में बुआई का काम शुरू हो गया है. इस काम में लगे किसानों के बच्चे भी खेत पहुंच रहे हैं. जहां वह खेती के गुर सीख रहे हैं. उमरवाही गांव के एक किसान की दो बेटियां हैं, जिसमें से एक 11वीं और दूसरी 8वीं की पढ़ाई कर रही है, लेकिन वर्तमान में लॉकडॉउन और स्कूल नहीं खुलने के कारण वह वर्चुअल क्लास के साथ-साथ खेती-किसानी भी सीख रही है. उनके पिता भी उन्हें खेती की बारीकियां सीखा रहे हैं.
किसानी के पारंपरिक उपकरणों की हो रही मरम्मत
मानसून की दस्तक के बाद लगभग सभी किसानों ने खेतों में खरीफ फसलों को लेकर कामकाज शुरू कर दिया है. वहीं कुछ किसान काम शुरू करने से पहले खेती में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की मरम्मत कार्य में लगे हैं, ताकि वह धान की बुआई कर सकें.