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राजनांदगांव: लॉकडाउन में फूलों की खेती में घाटा, कर्ज में डूबे किसान

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Published : Apr 24, 2020, 4:16 PM IST

फूलों की खेती करने वाले किसानों के सामने आर्थिक संकट आ गया है. लॉकडाउन होने के कारण बाजार में फूलों की मांग नहीं है, लिहाजा फूल तोड़कर फेंकने पड़ रहे हैं, ऐसे में किसानों को घाटा हो रहा है.

Flowers are spoiling in fields
खेतों में खराब हो रहे हैं फूल

राजनांदगांव: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन का सीधा खामियाजा फूलों की खेती करने वाले किसानों को भुगतना पड़ रहा है. किसानों की फूलों से लहलहाती खेती बर्बादी की कगार पर है. लॉकडाउन होने से फूलों की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ तकरीबन 70 हजार तक का नुकसान उठाना पड़ा है. इस कारण वे अब कर्ज तले दबते जा रहे हैं. अब वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

फूलों के किसान परेशान

मांग ही नहीं अब क्या करें किसान

25 मार्च से हुए लॉकडाउन के कारण फूलों की मांग बाजार में अचानक खत्म हो गई. एक महीना बीत जाने के बाद भी बाजार में फूलों की डिमांड नहीं आ रही है. इसके चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ निकलने वाली तकरीबन 2 खेप पूरी बर्बाद हो चुकी है. 2 क्विंटल से अधिक फूल खराब हो चुके हैं, जिन्हें अब कचरे में फेंका जा रहा है.

कीटों और बीमारियों से प्रभावित

पौधों में फूल खिले हुए हैं, लेकिन समय पर इन्हें सही वक्त पर नहीं तोड़ने से इनमें कई तरह के कीट लग गए हैं, जिन्हें बचाने के लिए किसान कीटनाशक दवाओं का भी उपयोग कर रहे हैं. इससे उन्हें दोहरा नुकसान हो रहा है. खड़ी फसल नहीं बिकने से लागत और मेहनत दोनों का मूल्य नहीं मिल पा रहा है, वहीं खड़ी फसल को बचाने के लिए महंगे कीटनाशक खरीदकर उन्हें छिड़काव करना पड़ रहा है. इसके लिए अतिरिक्त राशि खर्च हो रही है. इससे फूल की खेती करने वाले किसानों पर दोहरी मार पड़ी है.

पढ़ें: कांकेर में नक्सलियों के बड़े शहरी नेटवर्क का खुलासा, 5 आरोपी गिरफ्तार

शादी का सीजन भी ठप

पूरे साल में फूलों की सबसे ज्यादा डिमांड मार्च, अप्रैल और मई के महीने के दौरान होती है. इन तीन महीनों में सबसे ज्यादा शादी के मुहूर्त होते हैं. इसके चलते फूलों की डिमांड अधिक होती है, लेकिन सरकार ने आयोजनों पर पाबंदी लगा दी है. ऐसे वक्त में न बाजार खुले और न ही कहीं से फूलों डिमांड आई है. जिले में इस बार तकरीबन ढाई हजार किसानों ने फूलों की खेती की थी. मौसम ने किसानों का साथ दिया और इस बार फसल भी अच्छी हुई थी.

कितना घाटा उठा रहे किसान

फूलों की डिमांड ही लॉक हो गई है. इसके चलते किसानों को इस बार जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों की मानें तो प्रति एकड़ करीब 70 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है. ये पहली बार है जब खेत में फसल तैयार है, लेकिन मार्केट में डिमांड नहीं होने के चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है, जबकि वे खुद खेत में मजदूरी करते हैं और पूरा परिवार भी फूलों की खेती पर ही निर्भर है.

मुआवजे की मांग

किसानों का कहना है कि धान की फसल खराब होने पर सरकार मुआवजे के तौर पर किसानों को राहत राशि देती है, लेकिन फूलों की खेती में इस बार बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. इसे ध्यान में रखकर शासन को किसानों के लिए सोचना चाहिए और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए, ताकि किसान आने वाले वक्त में कर्ज के तले ना दबें.

राजनांदगांव: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन का सीधा खामियाजा फूलों की खेती करने वाले किसानों को भुगतना पड़ रहा है. किसानों की फूलों से लहलहाती खेती बर्बादी की कगार पर है. लॉकडाउन होने से फूलों की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ तकरीबन 70 हजार तक का नुकसान उठाना पड़ा है. इस कारण वे अब कर्ज तले दबते जा रहे हैं. अब वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

फूलों के किसान परेशान

मांग ही नहीं अब क्या करें किसान

25 मार्च से हुए लॉकडाउन के कारण फूलों की मांग बाजार में अचानक खत्म हो गई. एक महीना बीत जाने के बाद भी बाजार में फूलों की डिमांड नहीं आ रही है. इसके चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ निकलने वाली तकरीबन 2 खेप पूरी बर्बाद हो चुकी है. 2 क्विंटल से अधिक फूल खराब हो चुके हैं, जिन्हें अब कचरे में फेंका जा रहा है.

कीटों और बीमारियों से प्रभावित

पौधों में फूल खिले हुए हैं, लेकिन समय पर इन्हें सही वक्त पर नहीं तोड़ने से इनमें कई तरह के कीट लग गए हैं, जिन्हें बचाने के लिए किसान कीटनाशक दवाओं का भी उपयोग कर रहे हैं. इससे उन्हें दोहरा नुकसान हो रहा है. खड़ी फसल नहीं बिकने से लागत और मेहनत दोनों का मूल्य नहीं मिल पा रहा है, वहीं खड़ी फसल को बचाने के लिए महंगे कीटनाशक खरीदकर उन्हें छिड़काव करना पड़ रहा है. इसके लिए अतिरिक्त राशि खर्च हो रही है. इससे फूल की खेती करने वाले किसानों पर दोहरी मार पड़ी है.

पढ़ें: कांकेर में नक्सलियों के बड़े शहरी नेटवर्क का खुलासा, 5 आरोपी गिरफ्तार

शादी का सीजन भी ठप

पूरे साल में फूलों की सबसे ज्यादा डिमांड मार्च, अप्रैल और मई के महीने के दौरान होती है. इन तीन महीनों में सबसे ज्यादा शादी के मुहूर्त होते हैं. इसके चलते फूलों की डिमांड अधिक होती है, लेकिन सरकार ने आयोजनों पर पाबंदी लगा दी है. ऐसे वक्त में न बाजार खुले और न ही कहीं से फूलों डिमांड आई है. जिले में इस बार तकरीबन ढाई हजार किसानों ने फूलों की खेती की थी. मौसम ने किसानों का साथ दिया और इस बार फसल भी अच्छी हुई थी.

कितना घाटा उठा रहे किसान

फूलों की डिमांड ही लॉक हो गई है. इसके चलते किसानों को इस बार जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों की मानें तो प्रति एकड़ करीब 70 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है. ये पहली बार है जब खेत में फसल तैयार है, लेकिन मार्केट में डिमांड नहीं होने के चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है, जबकि वे खुद खेत में मजदूरी करते हैं और पूरा परिवार भी फूलों की खेती पर ही निर्भर है.

मुआवजे की मांग

किसानों का कहना है कि धान की फसल खराब होने पर सरकार मुआवजे के तौर पर किसानों को राहत राशि देती है, लेकिन फूलों की खेती में इस बार बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. इसे ध्यान में रखकर शासन को किसानों के लिए सोचना चाहिए और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए, ताकि किसान आने वाले वक्त में कर्ज के तले ना दबें.

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