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Engineer Day Special: विश्व के पहले इंजीनियर थे भगवान विश्वकर्मा, इनके आशीर्वाद से पूरा होता है निर्माण काम

Engineer Day Special: आज इंजीनियर डे है. हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर डे मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं कि विश्व के सबसे पहले इंजीनियर कौन थे. दरअसल, विश्व के सबसे पहले इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा थे.आज भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा किसी भी निर्माण कार्य की शुरुआत में की जाती है. इनके आशिर्वाद के बगैर निर्माण काम पूरा नहीं होता है.vishwakarma puja 2023

vishwakarma puja 2023
विश्वकर्मा पूजा 2023
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 15, 2023, 5:17 PM IST

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: हर साल इंजीनियर डे 15 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन को इंजीनियरों के सम्मान में मनाया जाता है. भारत के अलावा श्रीलंका और तंजानिया में भी 15 सितंबर को ही इंजीनियर्स डे मनाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व के सबसे पहले इंजीनियर कौन थे? आइए आपको हम बताते हैं कि विश्व के सबसे पहले इंजीनियर कौन थे. भगवान विश्वकर्मा विश्व के पहले इंजीनियर थे. 17 सितंबर को हर साल विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है.

भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से होता है निर्माण काम: भगवान विश्वकर्मा ही सृष्टि के वास्तुकार इंजीनियर हैं. तकनीक वास्तु के साथ ही रचनात्मक निर्माण के अभियंता विश्वकर्मा भगवान माने जाते हैं. बड़े-बड़े कारखाने के मुख्य अभियंता श्री विश्वकर्मा देव ही माने जाते हैं. भगवान विश्वकर्मा रचनात्मक सृजनात्मकता के देव माने गए हैं. कोई भी निर्माण भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद के बगैर पूरा नहीं हो पाता. भगवान विश्वकर्मा उद्यम, श्रम, मेहनत और पुरुषार्थ के देवता माने जाते हैं. कई जगहों पर विश्वकर्मा पूजा के दिन फैक्ट्री में काम नहीं करके मशीनों को रिपेयरिंग करवाकर पूजा किया जाता है.

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ये है पूजा का शुभ मुहूर्त: विश्वकर्मा पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. इसके बाद भगवान विश्वकर्मा को गंगा जल से शुद्ध करके पवित्र कपड़े पहनाए जाते हैं. इसके साथ ही रोली, कुमकुम, अबीर, गुलाल, चंदन, परिमल, अष्ट, चंदन, गोपीचंदन से भगवान विश्वकर्मा को सजाया जाता है. इसके बाद भगवान विश्वकर्मा जी के 1008 नाम का जप और पाठ करना चाहिए. पूजा के अंत में भगवान विश्वकर्मा जी की आरती के बाद पूजा खत्म की जाती है.

बन रहा शुभ संयोग: विश्वकर्मा जयंती रविवार को पड़ रही है. इस दिन हस्त नक्षत्र, ब्रह्म योग कौलव और तैतिलकरण का सुखद संयोग बन रहा है. इस दिन वराह जयंती भी मनाई जाती है. इस दिन कन्या राशि में सूर्य का आगमन होगा. इसलिए इसे कन्या संक्रांति भी कहा जाता है. इस दिन कल कारखानों में सामूहिक रूप से विश्वकर्मा भगवान की पूजा की जाती है. इसके बाद विश्वकर्मा भगवान की कथा सुनी जाती है. इस दिन मशीनों को विश्राम दिया जाता है.

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: हर साल इंजीनियर डे 15 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन को इंजीनियरों के सम्मान में मनाया जाता है. भारत के अलावा श्रीलंका और तंजानिया में भी 15 सितंबर को ही इंजीनियर्स डे मनाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व के सबसे पहले इंजीनियर कौन थे? आइए आपको हम बताते हैं कि विश्व के सबसे पहले इंजीनियर कौन थे. भगवान विश्वकर्मा विश्व के पहले इंजीनियर थे. 17 सितंबर को हर साल विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है.

भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से होता है निर्माण काम: भगवान विश्वकर्मा ही सृष्टि के वास्तुकार इंजीनियर हैं. तकनीक वास्तु के साथ ही रचनात्मक निर्माण के अभियंता विश्वकर्मा भगवान माने जाते हैं. बड़े-बड़े कारखाने के मुख्य अभियंता श्री विश्वकर्मा देव ही माने जाते हैं. भगवान विश्वकर्मा रचनात्मक सृजनात्मकता के देव माने गए हैं. कोई भी निर्माण भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद के बगैर पूरा नहीं हो पाता. भगवान विश्वकर्मा उद्यम, श्रम, मेहनत और पुरुषार्थ के देवता माने जाते हैं. कई जगहों पर विश्वकर्मा पूजा के दिन फैक्ट्री में काम नहीं करके मशीनों को रिपेयरिंग करवाकर पूजा किया जाता है.

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ये है पूजा का शुभ मुहूर्त: विश्वकर्मा पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. इसके बाद भगवान विश्वकर्मा को गंगा जल से शुद्ध करके पवित्र कपड़े पहनाए जाते हैं. इसके साथ ही रोली, कुमकुम, अबीर, गुलाल, चंदन, परिमल, अष्ट, चंदन, गोपीचंदन से भगवान विश्वकर्मा को सजाया जाता है. इसके बाद भगवान विश्वकर्मा जी के 1008 नाम का जप और पाठ करना चाहिए. पूजा के अंत में भगवान विश्वकर्मा जी की आरती के बाद पूजा खत्म की जाती है.

बन रहा शुभ संयोग: विश्वकर्मा जयंती रविवार को पड़ रही है. इस दिन हस्त नक्षत्र, ब्रह्म योग कौलव और तैतिलकरण का सुखद संयोग बन रहा है. इस दिन वराह जयंती भी मनाई जाती है. इस दिन कन्या राशि में सूर्य का आगमन होगा. इसलिए इसे कन्या संक्रांति भी कहा जाता है. इस दिन कल कारखानों में सामूहिक रूप से विश्वकर्मा भगवान की पूजा की जाती है. इसके बाद विश्वकर्मा भगवान की कथा सुनी जाती है. इस दिन मशीनों को विश्राम दिया जाता है.

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