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जिसने जिले को दी अंतरराष्ट्रीय पहचान उसकी प्रतिमा को भी सुरक्षित नहीं रख पाए लोग

मेजर ध्यानचंद की स्मृति को सजाने के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम के किनारे मेजर ध्यानचंद की मूर्ति के साथ एयर मैन बेस्टियन और रामनारायण पटेल की मूर्ति बनवाई गई थी, लेकिन आज इस मूर्ति की हालत बहुत ही खस्ता हो चुकी है.

जर्जर हुई प्रतिमा
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Published : Aug 29, 2019, 11:34 PM IST

राजनांदगांव: 'हॉकी के जादूगर' मेजर ध्यानचंद की आज 114वीं जयंती है. करीब 49 साल पहले राजनांदगांव की धरती पर मेजर ध्यानचंद के कदम पड़े थे और तब से यहां हॉकी की नर्सरी की शुरुआत हुई. एक-एक करके इस नर्सरी ने कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्लेयर निकले. जिन्होंने संस्कारधानी को हॉकी की नर्सरी के रूप में अच्छी पहचान दी. बावजूद इसके हॉकी की नर्सरी में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की यादों पर अब धूल पड़ती नजर आ रही है. अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम के किनारे मेजर ध्यानचंद की मूर्ति में दरारें आने लगी है.

अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम

निगम द्वारा मेजर ध्यानचंद की स्मृति को सजाने के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम के किनारे मेजर ध्यानचंद की मूर्ति के साथ एयर मैन बेस्टियन और रामनारायण पटेल की मूर्ति बनवाई गई थी, लेकिन आज इस मूर्ति की हालत बहुत ही खस्ता हो चुकी है. मूर्ति के पीछे बनाया गया शेड बहुत पहले ही उखड़ चुका है और जिस समय शेड उखड़ा था, मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. मूर्ति की हालत इस समय बहुत ही खराब है इसमें कई जगह दरारें आ गई है. पुराने पेंट भी अब निकल कर झड़ने लगे हैं. बावजूद इसके नगर निगम ने इस मूर्ति के संरक्षण के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया है.

खेल प्रेमियों ने भी नहीं जताई आपत्ति
मेजर ध्यानचंद की जयंती के अवसर पर खेल प्रेमियों ने मूर्ति पर माल्यार्पण किया, लेकिन मूर्ति की स्थिति को देखने की किसी ने भी जहमत नहीं उठाई. खेल प्रेमियों ने मूर्ति पर माल्यार्पण कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली और जर्जर हुई मूर्ति को जस का तस छोड़ दिया. नगर निगम के बनाए गए इस वाटिका में आवारा मवेशियों का कब्जा हो गया है. नगर निगम यहां की व्यवस्था को सुधारने की दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है.

ऐसी है मेजर ध्यानचंद की यादें
बताया जाता है कि रियासत काल से ही हॉकी का क्रेज राजनांदगांव में रहा है. 49 साल पहले जब मेजर ध्यानचंद यहां पर पहुंचे थे तो उन्हें यहां के गली और मोहल्ले में हॉकी के प्रति दीवानगी दिखी थी और इसे तभी से हॉकी का नर्सरी कहा गया था. तब से लेकर आज तक यहां से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकल चुके हैं. इसमें मृणाल चौबे, रेणुका यादव, रेणुका राजपूत जैसे खिलाड़ी हॉकी की नर्सरी की पहचान है.

राजनांदगांव: 'हॉकी के जादूगर' मेजर ध्यानचंद की आज 114वीं जयंती है. करीब 49 साल पहले राजनांदगांव की धरती पर मेजर ध्यानचंद के कदम पड़े थे और तब से यहां हॉकी की नर्सरी की शुरुआत हुई. एक-एक करके इस नर्सरी ने कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्लेयर निकले. जिन्होंने संस्कारधानी को हॉकी की नर्सरी के रूप में अच्छी पहचान दी. बावजूद इसके हॉकी की नर्सरी में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की यादों पर अब धूल पड़ती नजर आ रही है. अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम के किनारे मेजर ध्यानचंद की मूर्ति में दरारें आने लगी है.

अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम

निगम द्वारा मेजर ध्यानचंद की स्मृति को सजाने के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम के किनारे मेजर ध्यानचंद की मूर्ति के साथ एयर मैन बेस्टियन और रामनारायण पटेल की मूर्ति बनवाई गई थी, लेकिन आज इस मूर्ति की हालत बहुत ही खस्ता हो चुकी है. मूर्ति के पीछे बनाया गया शेड बहुत पहले ही उखड़ चुका है और जिस समय शेड उखड़ा था, मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. मूर्ति की हालत इस समय बहुत ही खराब है इसमें कई जगह दरारें आ गई है. पुराने पेंट भी अब निकल कर झड़ने लगे हैं. बावजूद इसके नगर निगम ने इस मूर्ति के संरक्षण के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया है.

खेल प्रेमियों ने भी नहीं जताई आपत्ति
मेजर ध्यानचंद की जयंती के अवसर पर खेल प्रेमियों ने मूर्ति पर माल्यार्पण किया, लेकिन मूर्ति की स्थिति को देखने की किसी ने भी जहमत नहीं उठाई. खेल प्रेमियों ने मूर्ति पर माल्यार्पण कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली और जर्जर हुई मूर्ति को जस का तस छोड़ दिया. नगर निगम के बनाए गए इस वाटिका में आवारा मवेशियों का कब्जा हो गया है. नगर निगम यहां की व्यवस्था को सुधारने की दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है.

ऐसी है मेजर ध्यानचंद की यादें
बताया जाता है कि रियासत काल से ही हॉकी का क्रेज राजनांदगांव में रहा है. 49 साल पहले जब मेजर ध्यानचंद यहां पर पहुंचे थे तो उन्हें यहां के गली और मोहल्ले में हॉकी के प्रति दीवानगी दिखी थी और इसे तभी से हॉकी का नर्सरी कहा गया था. तब से लेकर आज तक यहां से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकल चुके हैं. इसमें मृणाल चौबे, रेणुका यादव, रेणुका राजपूत जैसे खिलाड़ी हॉकी की नर्सरी की पहचान है.

Intro:राजनांदगांव हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की आज 114 वीं जयंती है तकरीबन 49 साल पहले राजनांदगांव की धरती पर मेजर ध्यानचंद के कदम पड़े थे और तब से यहां हॉकी की नर्सरी की शुरुआत हुई एक-एक करके इस नर्सरी ने कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्लेयर दिए जिन्होंने संस्कारधानी को हॉकी की नर्सरी के रूप में अमिट पहचान दे दी. बावजूद इसके हाथी की नर्सरी में ही हाकी के जादूगर की यादों पर अब दरारें आ चुकी है जी हां हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम के किनारे हाकी के जादूगर की बनाई गई प्रतिमा की.


Body:नगर निगम ने मेजर ध्यानचंद की स्मृति को सजाने के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम के किनारे मेजर ध्यानचंद की मूर्ति सहित एयर मैन बेस्टियन और रामनारायण पटेल की मूर्ति की स्थापना की लेकिन आज यह मूर्ति खस्ताहाल हो रही है मूर्ति के ठीक पीछे बनाए गए शेड बहुत पहले ही उखड़ चुका है तब भी इस पर भ्रष्टाचार किए जाने के आरोप लगे थे लेकिन वर्तमान में जो हालात मूर्ति के हैं वह काफी ही खराब है मूर्ति में ना तो ठीक से पेंट किया गया है वही पुराना पेंट भी अब उखड़ चुका है जगह-जगह से मूर्ति में दरारें आ चुकी हैं नगर निगम ने इस मूर्ति के संधारण और संरक्षण के लिए अब तक कोई भी कदम नहीं उठाया है.
खेल प्रेमियों ने भी नहीं किया खेद व्यक्त
मेजर ध्यानचंद की मूर्ति में जगह-जगह से दरारे आ चुकी है आज उनकी जयंती के अवसर पर खेल प्रेमियों ने उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण को किया लेकिन मूर्ति की स्थिति को देखने की जहमत नहीं उठाई खेल प्रेमियों ने उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर खानापूर्ति करते हुए अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली जबकि मूर्ति कई जगह से जर्जर हो चुकी है और पेंट तक उखड़ चुके हैं.
आवारा मवेशियों का कब्जा
नगर निगम के बनाए गए इस वाटिका में आवारा मवेशियों का कब्जा हो गया है पूर्व में यहां पर तरह-तरह के पौधे लगाए गए थे जिसे अब आवारा मवेशी घुसकर कर चट कर चुके हैं नगर निगम ने यहां की व्यवस्था को सुधारने की दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया है इसके चलते वाटिका अब उजाड़ होती जा रही है.
ऐसी है मेजर ध्यानचंद की यादें
रियासत कालीन से ही हाकी का क्रेज राजनांदगांव में रहा है 49 साल पहले जब मेजर ध्यानचंद यहां पर पहुंचे थे तो उन्होंने यहां के गली मोहल्लों में हाकी के प्रति दीवानगी को देखते हुए इसे हाकी का नर्सरी कहा तब से लेकर के आज तक यहां से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकल चुके हैं मृणाल चौबे रेणुका यादव रेणुका राजपूत जैसे खिलाड़ी हॉकी की नर्सरी की पहचान है.


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