रायपुर: चुनावी बिसात पर कांग्रेस एक बार फिर भरोसे के सम्मेलन से एक नया दांव खेलने जा रही है. कांग्रेस 8 सितंबर को बीजेपी के स्ट्रॉन्ग होल्ड क्षेत्र राजनांदगांव में भरोसे के सम्मेलन से जनता को लुभाने की कोशिश करेगी. इस भरोसे के सम्मेलन में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हिस्सा लेंगे. इस सियासी जमघट से बीजेपी पर यहां क्या प्रभाव पड़ेगा. क्योंकि राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह का विधानसभा क्षेत्र है. राजनांदगांव के ठेकवा में आयोजित भरोसे के सम्मेलन में खड़गे शामिल होंगे. उनके साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्रिमंडल के सदस्य विधायक सांसद, पार्टी पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता भी यहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे.
सीएम बघेल भरोसे के सम्मेलन को लेकर उत्साहित (cg election 2023): सीएम भूपेश बघेल भरोसे के इस सम्मेलन को लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि" मल्लिकार्जुन खड़गे भरोसे के सम्मेलन में आ रहे हैं. उसके पहले वे जांजगीर चांपा में आए थे. प्रियंका जी भी बस्तर आई थी. खड़गे जी 8 तारीख को राजनांदगांव आ रहे हैं." कांग्रेस खेमे से मिली जानकारी के मुताबिक खड़गे के इस दौरे के बाद ही प्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट जारी हो सकती है. इसलिए भी यह दौरा अहम माना जा रहा है. द दूसरा इस दौरे से कांग्रेस सीधे बीजेपी के उस चेहरे पर हमला करेगी. जो प्रदेश में 15 साल तक सत्ता की बागडोर संभाल चुके हैं.
बीजेपी ने खड़गे के दौरे को लेकर कांग्रेस पर साधा निशाना: रमन के गढ़ में खड़गे के दौरे को लेकर जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस दौरे से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा. क्योंकि छत्तीसगढ़ की जनता ने कांग्रेस की बघेल सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है. अरुण साव ने कहा "सरकार खुद आकलन करे. सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया. छत्तीसगढ़ को अपराध और भ्रष्टाचार का गढ़ बनाने का काम कांग्रेस सरकार ने किया है. यहां धर्मांतरण, माफियाराज और ड्रग्स की तस्करी जोरों पर हो रही है. बघेल सरकार ने जनता के हर वर्ग को ठगने का काम किया है. इस सरकार ने जनता के लिए कोई भी काम नहीं किया है. इसलिए उसका जाना तय है."
कांग्रेस का बीजेपी पर पलटवार: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के बयान पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि" डॉ रमन सिंह 15 साल मुख्यमंत्री थे. वे राजनांदगांव के विधायक रहे हैं. लेकिन राजनांदगांव काफी पिछड़ गया. वहां भरोसे का सम्मेलन कर हम बदलाव लाना चाहते हैं. निश्चित रूप से वहां से कांग्रेस की जीत होगी. राजनांदगांव की जनता ने भूपेश सरकार पर भरोसा जताया है. यही वजह आगामी विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव से रमन सिंह को वहां के लोग हराएंगे"
रमन सिंह को घेरने की रणनीति पर क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार: कांग्रेस की तरफ से बीजेपी के गढ़ राजनांदगांव में बीजेपी के स्टार चेहरे रमन सिंह को घेरने की रणनीति पर राजनीतिक जानकार इसे एक अच्छी कोशिश बता रहे हैं. लेकिन वह साथ में यह भी जता रहे हैं कि रमन सिंह का ग्राफ इस क्षेत्र में काफी ज्यादा ऊंचा है. साल 2018 के सत्ता विरोधी लहर के दौरान भी कांग्रेस उन्हें राजनांदगांव से नहीं हरा पाई थी.
"रमन सिंह तीन बार के मुख्यमंत्री रहे हैं. उसके पहले वे केन्द्र सरकार में मंत्री रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के पहले वह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. यदि उनका राजनीतिक ग्राफ देखा जाए तो काफी ऊंचा है.उन्हें काफी अनुभव है. निश्चित रूप से 15 साल जिस जगह पर मुख्यमंत्री रहे. वहां की जमीन अपने आप मजबूत हो जाती है. इसलिए उनकी अपनी पकड़ मजबूत रहती है. आस पास की 18 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. लेकिन रमन सिंह का प्रभाव बीते चुनाव में बना रहा. ऐसे में यदि कांग्रेस मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा वहां करने जा रही है तो निश्चित रूप से यह एक अच्छी रणनीति मानी जा सकती है. : अनिरुद्ध दुबे, राजनीतिक जानकार
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की बात करें तो यह अब रोचक स्थिति में पहुंचता जा रहा है. राज्य का सियासी तापमान हाई है. बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों ने सभाओं और रैलियों का ग्राफ बढ़ा दिया है. ऐसे में कांग्रेस अब बीजेपी के नेताओं को टारगेट कर उनके गढ़ में सभा करने की रणनीति बना रही है. देखना होगा कि बीजेपी इसका काट कैसे तैयार कर पाती है.