खैरागढ़/राजनांदगांव: गातापार जंगल थाना के घाघरा बेस कैंप में तैनात CAF के जवान ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली है. जानकारी के मुताबिक मंगलवार रात 8 से 9 बजे के बीच जवान ने अपने कमरे में जान दे दी. शव को खैरागढ़ सिविल अस्पताल लाया गया है. जहां पोस्टमार्टम किया जाएगा.
जवान के आत्मघाती कदम उठाने के पीछे का कारण पता नहीं चल पाया है. खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने वाला जवान अब्दुल शाहिद छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स में हवलदार के पद पर पदस्थ था. जवान उत्तर प्रदेश के झांसी का रहने वाला था. जवान अब्दुल नक्सलियों के रेड कॉरीडाेर माने जाने वाले घाघरा के बेस कैंप में शुरूआत से ही ड्यूटी कर रहा था. बताया जा रहा है कि बेस कैंप में पदस्थापना के बाद से ही जवान चुप रहा करता था और किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था.
गोली की आवाज सुनकर दौड़े साथी जवान
एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि जवान बहुत ही होनहार था. पुलिस अधीक्षक ने साथी जवानों से किसी भी प्रकार के मनमुटाव की बात से इंकार किया है. उन्होंने बताया कि जवान अपने रूम में गया और थोड़ी देर बाद अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी. गोली की आवाज सुनकर साथी अब्दुल शाहिद खान के रूम की तरफ दौड़े, तब तक उसकी जान जा चुकी थी.
एसपी और थाना प्रभारी ने की पुष्टि
एसपी जितेन्द्र शुक्ल और गातापार थाना प्रभारी रामेश्वर देशमुख ने घटना की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि CAF जवान ने रायफल से खुद की जान ली है. आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है. पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है. जवान CAF की 21वीं बटालियन में था.
पढ़ें- टेंशन में रखवाले: क्यों अपनी और अपनों की जान के दुश्मन बने जवान ?
छत्तीसगढ़ में सुरक्षा में तैनात जवान डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवान ज्यादा टेंशन में हैं. आलम ये है कि जवान अपनी और अपनों की जान के दुश्मन बन गए हैं. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों को ज्यादा मानसिक तनाव में देखा जा रहा है. कोरोना संकट की वजह से छुट्टी ना मिलने से भी इन जवानों का मानसिक तनाव और बढ़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर त्वरित अमल करते हुए राज्य पुलिस ने जवानों को अवसाद और तनाव से बचाने के लिए 2 जून से स्पंदन अभियान की शुरूआत हुई है. यह योजना प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश सभी पुलिस अधीक्षकों एवं सेनानियों को जारी कर दिए गए हैं.
आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े
पिछले साल प्रदेश में 36 जवानों ने आत्महत्या कर ली थी. छत्तीसगढ़ में ऐसी भी कई घटनाएं हुई हैं, जिसमें जवानों ने अपनी सर्विस राइफल या पिस्टल का इस्तेमाल दुश्मनों पर नहीं किया, बल्कि अपने साथियों को मार दिया या फिर खुद को खत्म कर लिया. राज्य के पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं. वहीं साल 2020 में करीब 6 से ज्यादा जवान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं.