राजनांदगांव: किसान मनोज चौधरी बाकल में अलग किस्म के केले की खेती कर रहे है. केले के पौधे से शुरू की गई यह खेती साढ़े तीन एकड़ में फैल चुकी है. किसान के कड़ी मेहनत से लगभग 8 वर्षों से बाकल में केले की देसी पद्धति से खेती तैयार की हैं. इस केले का दूसरा नाम माल भोग है.
कृषक मनोज चौधरी ने कहा कि, उनके मित्र के माध्यम से उन्हें माल भोग केले का एक पौधा मिला था. अब यह पौधा एक से अनेक होकर लगभग साढे़ 3 एकड़ में फैल चुका है. केले को तैयार करने में गोबर खाद का यूज किया गया है. केले का स्वाद भी आम केलों से अलग है. इस केले की फसल के तैयार होते ही जानकार लोग खेतों तक पहुंचकर किलो के भाव से खरीदारी कर लेते हैं.
यह केला आम केलों के मुकाबले छोटा है, लेकिन इसके गुण आम केलों से कहीं ज्यादा दिखाई देते हैं. यहां अकेला औषधीय गुणों से भी भरपूर है. कहा जाता है कि पेट दर्द, बुखार और डायरिया में यह अकेला लाभदायक है. कई बार बाजार में दुकानदारों को मलाई केला कहते सुना जाता है.