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SPECIAL: कभी फुटबॉल की नर्सरी कहा जाता था डोंगरगांव, आज प्रैक्टिस के लिए मैदान तक नहीं

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Published : Jul 30, 2020, 11:06 PM IST

एक समय पूरे भारत में डोंगरगांव को फुटबॉल की नर्सरी के रूप में जाना जाता था. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते यहां मैदान अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं. खिलाड़ियों की प्रैक्टिस तक के लिए आज मैदान नहीं बचे हैं.

bad condition of football grounds in Dongargaon of rajnandgaon
मैदानों की बदहाली

डोंगरगांव/राजनांदगांव: फुटबॉल के क्षेत्र में डोंगरगांव की एक विशेष पहचान रही है. एक समय था जब पूरे भारत में डोंगरगांव को फुटबॉल की नर्सरी के रूप में जाना जाता था. इस ख्याति का श्रेय आजादी के पहले गठित जेन्टस क्लब और उनके संस्थापक सदस्यों और पदाधिकारियों को जाता है. कुछ सालों पहले तक फुटबॉल खेलना क्षेत्र के बच्चों की दिनचर्या में शामिल था. नगर में शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां फुटबॉल के खिलाड़ी या प्रशंसक ना हो. स्थिति यह होती थी कि छोटे-बड़े हर उम्र के बच्चों की टोली नगर के अलग-अलग मैदानों में फुटबॉल के साथ दौड़ लगाते और हुनर दिखाते नजर आते थे. लेकिन नगर के मैदानों के सिमटते आकार और बढ़ते अतिक्रमण के चलते नगर अपनी पहचान खो रहा है.

'फुटबॉल की नर्सरी' में प्रैक्टिस के लिए मैदान तक नहीं

बच्चों में मैदान के बिगड़ते स्वरूप के बाद भी फुटबॉल का जूनून बरकरार है. नगर के जेन्ट्स क्लब मैदान में देश की ख्याति प्राप्त फुटबॉल टीमें अपने प्रदर्शन का जौहर दिखा चुकी हैं. इनमें मोहन बगान की बी टीम से लेकर जम्मू और कश्मीर, एयर फोर्स, रेल्वे, मुंबई, कोलकाता, आसनसोल, मद्रास(चेन्नई) सहित अनेक शहरों की नामी गिरामी टीमें यहां स्पर्धा में शामिल होती थी. लेकिन आज इस मैदान की हालत बद से बदतर हो चुकी है.

bad condition of football grounds in Dongargaon of rajnandgaon
मैदान के बीच लगे टेंट

पढ़ें-SPECIAL : खेल मंत्री के जिले रायगढ़ में खिलाड़ियों के भविष्य से खिलवाड़, कैसे पूरी होगी मेडल की आस ?

जेन्ट्स क्लब में फीफा के अधीन संचालित होने वाली राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में विदेशी खिलाड़ियों ने भी अपना जौहर दिखाया. लेकिन आज जेन्ट्स क्लब का मैदान अपनी बदहाल स्थिति पर पहुंच चुका है. यहां स्थानीय प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए थोक सब्जी बाजार को शिफ्ट किया है. पूरे मैदान में बेतरतीब गढ़े बांस-बल्ली और पाल लगे हुए है. लेकिन तंबूओं के बीच भी बच्चे फुटबॉल खेलना जारी रखे हुए हैं.

bad condition of football grounds in Dongargaon of rajnandgaon
खेल से खिलवाड़

खेलते वक्त बना रहता है हादसे का डर

इस संबंध में पूर्व फुटबॉलरों ने बताया कि बच्चों के लिए बांस बल्लियों के बीच फुटबॉल खेलना दुर्घटना का कारण बन सकता है. फुटबॉल में स्पीड और डॉच दो महत्वपूर्ण चीजें हैं और बाधारहित मैदान खिलाड़ियों के लिए उपयुक्त होता है.

bad condition of football grounds in Dongargaon of rajnandgaon
प्रैक्टिस के लिए नहीं जगह

प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे प्लेयर

बता दें कि अखिल भारतीय, राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय, के साथ यूनिवर्सिटी प्लेयर भी डोंगरगांव में है. इनकी टीम ने कई टूर्नामेंट में ट्रॉफी अपने नाम करते हुए डोंगरगांव नगर को गौरवान्वित किया है. लेकिन पिछले कुछ सालों से मैदान और संसाधनों की सुविधा के अभाव में ये खिलाड़ी प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं.

पढ़ें-SPECIAL: 'बिलासपुर का रफी', जिसने चाय का ठेला भी लगाया लेकिन गाना नहीं छोड़ा

अतिक्रमण की भेंट चढ़े मैदान

दो साल पहले जनसहयोग से तैयार हुए जनसहयोग मैदान जिसे बीते वर्ष शेरा क्लब ने व्यवस्थित मैदान का स्वरूप देकर बंद पड़े राष्ट्रीय फुटबॉल स्पर्धा को संचालित करने का प्रयास किया था, लेकिन वर्तमान में यह मैदान भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहा है. बता दें कि नगर में हर साल होने वाली राष्ट्रीय फुटबॉल स्पर्धा सालों से बंद पड़ी है. यही हाल करियाटोला मैदान का है, जहां बच्चे फुटबॉल खेलते है, वहां अब गौठान बनाने की तैयारी की जा रही है और इसके लिए भूमि आबंटन की प्रकिया जारी है.

परेशानी झेल रहे खिलाड़ी

खिलाड़ियों ने बताया कि जेन्ट्स क्लब, बीटीआई, आदर्श हाइ स्कूल, गर्ल्स हाई स्कूल, कॉलेज, जनसहयोग मैदान सहित अन्य मैदान कब्जा, वाहनों की पार्किंग, निर्माण कार्य आदि के कारण खिलाड़ियों को दिक्कत हो रही है. ये खिलाड़ी कोलकाता, गोवा, अरुणाचल प्रदेश की स्पर्धा के साथ-साथ नेशनल, स्टेट टूर्नामेंट में भाग लेते हैं. जिनमें 40 से ज्यादा खिलाड़ी शामिल है.

डोंगरगांव/राजनांदगांव: फुटबॉल के क्षेत्र में डोंगरगांव की एक विशेष पहचान रही है. एक समय था जब पूरे भारत में डोंगरगांव को फुटबॉल की नर्सरी के रूप में जाना जाता था. इस ख्याति का श्रेय आजादी के पहले गठित जेन्टस क्लब और उनके संस्थापक सदस्यों और पदाधिकारियों को जाता है. कुछ सालों पहले तक फुटबॉल खेलना क्षेत्र के बच्चों की दिनचर्या में शामिल था. नगर में शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां फुटबॉल के खिलाड़ी या प्रशंसक ना हो. स्थिति यह होती थी कि छोटे-बड़े हर उम्र के बच्चों की टोली नगर के अलग-अलग मैदानों में फुटबॉल के साथ दौड़ लगाते और हुनर दिखाते नजर आते थे. लेकिन नगर के मैदानों के सिमटते आकार और बढ़ते अतिक्रमण के चलते नगर अपनी पहचान खो रहा है.

'फुटबॉल की नर्सरी' में प्रैक्टिस के लिए मैदान तक नहीं

बच्चों में मैदान के बिगड़ते स्वरूप के बाद भी फुटबॉल का जूनून बरकरार है. नगर के जेन्ट्स क्लब मैदान में देश की ख्याति प्राप्त फुटबॉल टीमें अपने प्रदर्शन का जौहर दिखा चुकी हैं. इनमें मोहन बगान की बी टीम से लेकर जम्मू और कश्मीर, एयर फोर्स, रेल्वे, मुंबई, कोलकाता, आसनसोल, मद्रास(चेन्नई) सहित अनेक शहरों की नामी गिरामी टीमें यहां स्पर्धा में शामिल होती थी. लेकिन आज इस मैदान की हालत बद से बदतर हो चुकी है.

bad condition of football grounds in Dongargaon of rajnandgaon
मैदान के बीच लगे टेंट

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जेन्ट्स क्लब में फीफा के अधीन संचालित होने वाली राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में विदेशी खिलाड़ियों ने भी अपना जौहर दिखाया. लेकिन आज जेन्ट्स क्लब का मैदान अपनी बदहाल स्थिति पर पहुंच चुका है. यहां स्थानीय प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए थोक सब्जी बाजार को शिफ्ट किया है. पूरे मैदान में बेतरतीब गढ़े बांस-बल्ली और पाल लगे हुए है. लेकिन तंबूओं के बीच भी बच्चे फुटबॉल खेलना जारी रखे हुए हैं.

bad condition of football grounds in Dongargaon of rajnandgaon
खेल से खिलवाड़

खेलते वक्त बना रहता है हादसे का डर

इस संबंध में पूर्व फुटबॉलरों ने बताया कि बच्चों के लिए बांस बल्लियों के बीच फुटबॉल खेलना दुर्घटना का कारण बन सकता है. फुटबॉल में स्पीड और डॉच दो महत्वपूर्ण चीजें हैं और बाधारहित मैदान खिलाड़ियों के लिए उपयुक्त होता है.

bad condition of football grounds in Dongargaon of rajnandgaon
प्रैक्टिस के लिए नहीं जगह

प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे प्लेयर

बता दें कि अखिल भारतीय, राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय, के साथ यूनिवर्सिटी प्लेयर भी डोंगरगांव में है. इनकी टीम ने कई टूर्नामेंट में ट्रॉफी अपने नाम करते हुए डोंगरगांव नगर को गौरवान्वित किया है. लेकिन पिछले कुछ सालों से मैदान और संसाधनों की सुविधा के अभाव में ये खिलाड़ी प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं.

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अतिक्रमण की भेंट चढ़े मैदान

दो साल पहले जनसहयोग से तैयार हुए जनसहयोग मैदान जिसे बीते वर्ष शेरा क्लब ने व्यवस्थित मैदान का स्वरूप देकर बंद पड़े राष्ट्रीय फुटबॉल स्पर्धा को संचालित करने का प्रयास किया था, लेकिन वर्तमान में यह मैदान भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहा है. बता दें कि नगर में हर साल होने वाली राष्ट्रीय फुटबॉल स्पर्धा सालों से बंद पड़ी है. यही हाल करियाटोला मैदान का है, जहां बच्चे फुटबॉल खेलते है, वहां अब गौठान बनाने की तैयारी की जा रही है और इसके लिए भूमि आबंटन की प्रकिया जारी है.

परेशानी झेल रहे खिलाड़ी

खिलाड़ियों ने बताया कि जेन्ट्स क्लब, बीटीआई, आदर्श हाइ स्कूल, गर्ल्स हाई स्कूल, कॉलेज, जनसहयोग मैदान सहित अन्य मैदान कब्जा, वाहनों की पार्किंग, निर्माण कार्य आदि के कारण खिलाड़ियों को दिक्कत हो रही है. ये खिलाड़ी कोलकाता, गोवा, अरुणाचल प्रदेश की स्पर्धा के साथ-साथ नेशनल, स्टेट टूर्नामेंट में भाग लेते हैं. जिनमें 40 से ज्यादा खिलाड़ी शामिल है.

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