रिपोर्ट के अनुसार 65 फीसदी मिडिल स्कूल के बच्चे गुणा-भाग में पूरी तरह से फेल हैं. वहीं प्राइमरी स्कूल के 60 फीसदी बच्चों को जोड़ना और घटाना तक नहीं आता.
इस रिपोर्ट से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर में किस तरह की गिरावट आ रही है. बता दें कि ASER हर साल देशभर में स्कूली शिक्षा को लेकर सर्वे करता है.
रिपोर्ट के आंकड़े
- तीसरी से पांचवीं कक्षा के 59.4% छात्र नहीं पढ़ पाते कक्षा दूसरी की किताबें.
- तीसरी से पांचवीं कक्षा तक 60.1% छात्र नहीं जानते जोड़ना और घटाना.
- छठवीं से आठवीं कक्षा तक के 23.7% छात्रों को नहीं आता किताब पढ़ना.
- तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के 40.6% बच्चे ही हिंदी में भी कक्षा दूसरी की किताब पढ़ सकते हैं.
- छठवीं से आठवीं कक्षा तक के 76.3% बच्चे ही कक्षा दूसरी की किताब पढ़ पाते हैं.
- गणित में भी स्थिति खराब है. तीसरी से पांचवी कक्षा तक के 39.9% बच्चे ही जोड़ना और घटाना कर पाते हैं.
- छठवीं से आठवीं कक्षा तक के 35.5% बच्चे ही गुणा और भाग आसानी से कर पाते हैं.
ऐसे हैं सरकारी स्कूलों के आंकड़े
जिले में प्राथमिक स्कूलों की संख्या 1 हजार 845 हैं. वहीं 787 मिडिल स्कूल हैं. इन स्कूलों में पहली कक्षा में तकरीबन 3 हजार 451 छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं. वहीं आठवीं कक्षा में 4 हजार 858 छात्र अध्ययनरत हैं. इन छात्रों को अध्यापन व्यवस्था के लिए वर्ग 2 और वर्ग 3 के शिक्षाकर्मी मौजूद हैं.
'किए जा रहे सुधार के प्रयास'
इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी जीके मरकाम का कहना है कि बच्चों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. रिपोर्ट्स देखने के बाद कई बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा. आने वाले समय में स्थिति में काफी सुधार होगा.