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राजनादगांव के सिविल इंजीनियर मयंक पारख का एक्टिंग का सफर, 'रीजेक्शन से सीखना चाहिए'

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Published : Sep 14, 2022, 6:22 PM IST

छत्तीसगढ़ के युवा हर क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल कर रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको राजनांदगांव से निकलकर अभिनय के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले मयंक पारख से मिलाने जा रहे हैं. मयंक पारख सिविल इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ एक्टिंग और स्टैंड अप कॉमेडी में नाम कमा रहे हैं.

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सिविल इंजीनियर मयंक पारख के एक्टिंग का सफर

रायपुर: राजनांदगांव के मयंक पारख का शौक कब पेशे में बदल गया, यह उन्हें भी पता नहीं चला. एनआईटी रायपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद मयंक ने हैदराबाद में रहकर नौकरी की. अब उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर पूरा समय एक्टिंग और स्टैंड अप कॉमेडी को दे दिया है. दोनों ही विधाओं में मयंक पारख नाम कमा रहे हैं. छत्तीसगढ़ का नाम रौशन कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने मयंक पारख से खास बातचीत की..

सिविल इंजीनियर मयंक पारख के एक्टिंग का सफर
सवाल: एक इंजीनियर से एक्टर बनने का सफर कैसा रहा ?जवाब: अपने जीवन में मैंने कोई चीजे डिसाइडेड नहीं की. घर वालों ने बोला इंजीनियरिंग कर लो, तो कर ली. बड़े भाई ने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएशन कर लो, नौकरी अच्छी मिलेगी. मैंने अपने मन से पूरी तरह से कोई चीज नहीं की, जो धारा बह रही है, उस पर में बहता चला गया. मैंने रायपुर एनआईटी से पढ़ाई की है. कॉलेज फेस्टिवल में होने वाले प्रोग्राम में भाग लिया था. रॉक बैंड, सिंगिंग, एक्टिंग और स्टैंड अप कॉमेडी से कोई लेना देना नहीं था. गोवा में पीजी पढ़ाई कर रहा था. उस समय मैंने परेश रावल का नाटक किशन vs कन्हैया देखा था. नाटक देखकर मैं इंस्पायर हुआ. मैंने सोचा कि अगर देखने में मजा आ रहा है तो एक्टिंग करने में शायद ज्यादा मजा आए. लेकिन मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद मेरी नौकरी लग गई थी. मैं हैदराबाद में सिविल इंजीनियर की नौकरी करने लगा. हैदराबाद में ही मैंने एक्टिंग वर्कशॉप की. धीरे धीरे हैदराबाद में रहकर मैं काम के साथ थियेटर करता था. नाटक करते किसी ने मेरी एक्टिंग पसंद की और मुझे तेलुगु फिल्म गुणाचारी में काम करने का मौका मिला.
सवाल: हिंदी भाषी होने के साथ साउथ की फिल्मों में आप काम कर रहे हैं, लैंग्वेज को लेकर कितनी परेशानियां हुई?जवाब: मैं थिएटर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में किया करता था. लेकिन तेलुगू फिल्मों में काम करने के दौरान शुरुआती समय में काफी परेशानियां हुई. अब भी कई बार परेशानियां होती है. लेकिन मैंने एक ट्यूटर हायर कर लिया है. शुरू से ही अपनी भाषा में काम करना और अपनी आवाज सुनना चाहता था. डबिंग होकर जो आवाज आती है, वह मुझे खटकती थी. हर फिल्मों में डायलॉग मैं पहले मंगवा लेता हूं. आज के समय में तेलुगु भाषा में मैं डबिंग भी करता हूं. ज्यादातर देखा जाता है, नार्थ के लोगों को लगता है कि साउथ इंडिया की भाषा एक जैसी है, लेकिन जब हम वहां रहते हैं, तब समझ में आती है कि साउथ की 4 भाषाएं बेहद अलग है.


यह भी पढ़ें: राजनांदगांव में निकाली गई भव्य गणेश विसर्जन झांकी,भक्तिगीतों पर झूमते नजर आये लोग

सवाल: राजनांदगांव जैसे छोटे शहर से निकलकर आज बड़े शहर में आप अपना नाम कमा रहे हैं?

जवाब: मैं राजनांदगांव के संयुक्त मारवाड़ी जैन परिवार का रहने वाला हूं. उन चीजों से निकलकर बड़े शहरों में काम कर रहा हूं. कभी पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे यकीन ही नहीं होता. मुझे भी नहीं पता, बस धारा में बहता चला गया. छोटे शहर और बड़े शहर के लोगों में जो माइंडसेट होता है, मुझे यह चीज ब्रेक करने में बहुत समय लगा. उसका परिणाम भी दिख रहा है.


सवाल: एक्टिंग और स्टैंड अप कॉमेडी अलग अलग है. स्टैंड अप कॉमेडी की शुरुआत आपने कब की?

जवाब: बचपन से ही लोगों की नकल उतारने की आदत रही है. जब नाटक की शुरुआत की, तब नाटक के हिस्से में स्टैंड अप ऐक्ट करना था. मैंने नाटक में उस रोल को अच्छे से किया. वहां से स्टैंड अप कॉमेडी का चस्का लगा और मुझे इसमें मजा आने लगा. इस तरह से मैंने स्टैंड अप कॉमेडी की शुरुआत की. जब हम कोई फिल्म करते हैं, तो हमें किसी किरदार में जाना होता है. स्टैंड अप कॉमेडी में हम अपनी बातों को लेकर आते हैं. अपनी पर्सनॉलिटी लोगों के सामने पेश करते हैं. एक्टिंग और स्टैंड अप कॉमेडी दोनों ही अलग अलग है. जब आपके स्टैंड अप कॉमेडी पर हॉल में बैठे लोग हंसते हैं, तो उससे ज्यादा खुशी कहीं नहीं मिलती.


सवाल: हाल ही में स्टैंड अप कॉमेडी को लेकर विवाद हो गए हैं, उन पर आपकी क्या राय है?

जवाब: यह चॉइस की बात होती है. इनमें पोलिटिकल तंज, रिलीजियस जोक और कुछ लोग सिर्फ क्लीन कॉमेडी करते है. मैं आब्जर्वेशन कॉमेडी करता हूं. मुझे छोटे शहर के लोगों की छोटी छोटी बातें करना पसंद है. एक्शन पर छोटे शहर का आदमी और बड़े शहर का आदमी कैसा रिएक्ट करेगा, इस तरह के ह्यूमरस क्रिएट करता हूं.

सवाल: इंजीनियर की नौकरी छोड़कर आपने जब एक्टिंग के फील्ड में कदम रखा, तब परिवार वालों का क्या कहना था?

जवाब: घर में सभी का बीपी हाई हो गया था. हॉर्ट अटैक के करीब थे सारे. नौकरी छोड़ी, तो घर में रिश्ते आने बंद हो गए. जब तक मैं नौकरी के साथ यह सारी चीजें करता था, तब तक सभी का पूरा सपोर्ट था. नौकरी छोड़कर जब मैंने 1 दिन की शुरुआत की, तब भी घर वालों की मनाही नहीं थी. लेकिन वे कहा करते थे कि नौकरी क्यों छोड़ दी. जिस इंडस्ट्री में मैंने कदम रखा, वहां कोई निश्चित नहीं है. हर मंथ एंड में आप को सैलरी मिलेगी, यह भी तय नहीं होता. एक बार हैदराबाद से अपना नाटक राजनांदगांव में लेकर आया, उस नाटक को 700 लोगों ने देखा. जब घर वालों ने यह सारी चीजें देखी, उस दिन से घर वालों में स्वीकार्यता बढ़ी. जब साउथ के स्टार नागार्जुन के साथ मैंने वाइल्ड डॉग फिल्म किया, तब से हालात बदल गए हैं. परिवार का पूरा सपोर्ट मुझे मिल रहा है.

सवाल: घर वाले जो फाइनेंशियल प्रॉब्लम की चिंता करते थे, वह खत्म हुई?


जवाब: शुरुआत में थोड़ी परेशानी जरूर हुई. क्योंकि मैंने सिविल इंजीनियर की नौकरी कर रखी थी. उसकी जो सेविंग थी, उसने मुझे मुंबई जैसे बड़े शहरों में सरवाइव करवाया. बाद में मुझे एक वेब सीरीज "लाखों में एक" में काम मिला और वह मेरा पहला बड़ा काम था. वहां से चीजें बदलनी शुरू हुई. हैदराबाद से मुझे वाइल्ड डॉग फिल्म का ऑफर आया. उस फिल्म के लिए मैंने चार बार ऑडिशन दिया. बिना तेलुगु सीखे ही उसमें बड़े बड़े डायलॉग बोलता था. 3 महीने में 12 किलो वजन कम किया. तब जाकर मुझे वाइट डॉग के कैरेक्टर में काम करने का मौका मिला.

सवाल: आपने अपनी नौकरी छोड़कर एक्टिंग में जाने का एक बड़ा डिसीजन लिया, जो युवा इस फिल्ड में जाना चाहते हैं, उन्हें क्या संदेश देंगे?

जवाब: सबसे पहले मैं युवाओं को यह कहना चाहूंगा कि उन्हें रिजेक्शन की आदत डालनी होगी. रिजेक्शन से लोग निराश हो जाते हैं. मेरे साथ भी यह बहुत हुआ है. अमेजन प्राइम की लाखों में से एक सीरीज में मुझे जो काम मिला, उसके पहले मैं शो ऑडिशन में रिजेक्ट हो चुका था. दो बार मैंने घर वापसी की टिकट भी करवाई थी, लेकिन कुछ चीजों ने मुझे रोके रखा. रिजेक्शन से सीखना बहुत जरूरी है. यह कहना बहुत आसान है, लेकिन जब मुझे रिजेक्शन मिलते थे, तो मैं भी बहुत गुस्सा होता था. लेकिन पेशेंस रखने के बाद एक दिन आता है. युवाओं से मैं यही कहना चाहूंगा कि एक्टिंग पहले सीखें. कुछ लोग बिना सीखे ही एक्टर बनने चले जाते हैं और ऑडिशन लेते हैं. आप इस फील्ड में आ रहे हैं तो थोड़ा सीख कर जरूर आएं. एक्टिंग सिखाई नहीं जाती, वह अंदर से निकलती है. लेकिन एक्टिंग को निकालने के लिए उसे निकालने वाला होना चाहिए और इसके लिए आपको एक्टिंग सीखनी होगी.


सवाल: आपके आने वाले प्रोजेक्ट क्या होंगे?

जवाब: दीपावली के आसपास सामंता के साथ फिल्म यशोदा आ रही है. गामी नाम की फिल्म zee 5 में तेलगू वेब सीरीज पुलिमेका, हॉट स्टार में एक वेब सीरीज दिसम्बर में आने वाली है. आने वाले 6 महीने में 5 से 6 प्रोजेक्ट आने वाले है.

रायपुर: राजनांदगांव के मयंक पारख का शौक कब पेशे में बदल गया, यह उन्हें भी पता नहीं चला. एनआईटी रायपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद मयंक ने हैदराबाद में रहकर नौकरी की. अब उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर पूरा समय एक्टिंग और स्टैंड अप कॉमेडी को दे दिया है. दोनों ही विधाओं में मयंक पारख नाम कमा रहे हैं. छत्तीसगढ़ का नाम रौशन कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने मयंक पारख से खास बातचीत की..

सिविल इंजीनियर मयंक पारख के एक्टिंग का सफर
सवाल: एक इंजीनियर से एक्टर बनने का सफर कैसा रहा ?जवाब: अपने जीवन में मैंने कोई चीजे डिसाइडेड नहीं की. घर वालों ने बोला इंजीनियरिंग कर लो, तो कर ली. बड़े भाई ने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएशन कर लो, नौकरी अच्छी मिलेगी. मैंने अपने मन से पूरी तरह से कोई चीज नहीं की, जो धारा बह रही है, उस पर में बहता चला गया. मैंने रायपुर एनआईटी से पढ़ाई की है. कॉलेज फेस्टिवल में होने वाले प्रोग्राम में भाग लिया था. रॉक बैंड, सिंगिंग, एक्टिंग और स्टैंड अप कॉमेडी से कोई लेना देना नहीं था. गोवा में पीजी पढ़ाई कर रहा था. उस समय मैंने परेश रावल का नाटक किशन vs कन्हैया देखा था. नाटक देखकर मैं इंस्पायर हुआ. मैंने सोचा कि अगर देखने में मजा आ रहा है तो एक्टिंग करने में शायद ज्यादा मजा आए. लेकिन मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद मेरी नौकरी लग गई थी. मैं हैदराबाद में सिविल इंजीनियर की नौकरी करने लगा. हैदराबाद में ही मैंने एक्टिंग वर्कशॉप की. धीरे धीरे हैदराबाद में रहकर मैं काम के साथ थियेटर करता था. नाटक करते किसी ने मेरी एक्टिंग पसंद की और मुझे तेलुगु फिल्म गुणाचारी में काम करने का मौका मिला.सवाल: हिंदी भाषी होने के साथ साउथ की फिल्मों में आप काम कर रहे हैं, लैंग्वेज को लेकर कितनी परेशानियां हुई?जवाब: मैं थिएटर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में किया करता था. लेकिन तेलुगू फिल्मों में काम करने के दौरान शुरुआती समय में काफी परेशानियां हुई. अब भी कई बार परेशानियां होती है. लेकिन मैंने एक ट्यूटर हायर कर लिया है. शुरू से ही अपनी भाषा में काम करना और अपनी आवाज सुनना चाहता था. डबिंग होकर जो आवाज आती है, वह मुझे खटकती थी. हर फिल्मों में डायलॉग मैं पहले मंगवा लेता हूं. आज के समय में तेलुगु भाषा में मैं डबिंग भी करता हूं. ज्यादातर देखा जाता है, नार्थ के लोगों को लगता है कि साउथ इंडिया की भाषा एक जैसी है, लेकिन जब हम वहां रहते हैं, तब समझ में आती है कि साउथ की 4 भाषाएं बेहद अलग है.


यह भी पढ़ें: राजनांदगांव में निकाली गई भव्य गणेश विसर्जन झांकी,भक्तिगीतों पर झूमते नजर आये लोग

सवाल: राजनांदगांव जैसे छोटे शहर से निकलकर आज बड़े शहर में आप अपना नाम कमा रहे हैं?

जवाब: मैं राजनांदगांव के संयुक्त मारवाड़ी जैन परिवार का रहने वाला हूं. उन चीजों से निकलकर बड़े शहरों में काम कर रहा हूं. कभी पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे यकीन ही नहीं होता. मुझे भी नहीं पता, बस धारा में बहता चला गया. छोटे शहर और बड़े शहर के लोगों में जो माइंडसेट होता है, मुझे यह चीज ब्रेक करने में बहुत समय लगा. उसका परिणाम भी दिख रहा है.


सवाल: एक्टिंग और स्टैंड अप कॉमेडी अलग अलग है. स्टैंड अप कॉमेडी की शुरुआत आपने कब की?

जवाब: बचपन से ही लोगों की नकल उतारने की आदत रही है. जब नाटक की शुरुआत की, तब नाटक के हिस्से में स्टैंड अप ऐक्ट करना था. मैंने नाटक में उस रोल को अच्छे से किया. वहां से स्टैंड अप कॉमेडी का चस्का लगा और मुझे इसमें मजा आने लगा. इस तरह से मैंने स्टैंड अप कॉमेडी की शुरुआत की. जब हम कोई फिल्म करते हैं, तो हमें किसी किरदार में जाना होता है. स्टैंड अप कॉमेडी में हम अपनी बातों को लेकर आते हैं. अपनी पर्सनॉलिटी लोगों के सामने पेश करते हैं. एक्टिंग और स्टैंड अप कॉमेडी दोनों ही अलग अलग है. जब आपके स्टैंड अप कॉमेडी पर हॉल में बैठे लोग हंसते हैं, तो उससे ज्यादा खुशी कहीं नहीं मिलती.


सवाल: हाल ही में स्टैंड अप कॉमेडी को लेकर विवाद हो गए हैं, उन पर आपकी क्या राय है?

जवाब: यह चॉइस की बात होती है. इनमें पोलिटिकल तंज, रिलीजियस जोक और कुछ लोग सिर्फ क्लीन कॉमेडी करते है. मैं आब्जर्वेशन कॉमेडी करता हूं. मुझे छोटे शहर के लोगों की छोटी छोटी बातें करना पसंद है. एक्शन पर छोटे शहर का आदमी और बड़े शहर का आदमी कैसा रिएक्ट करेगा, इस तरह के ह्यूमरस क्रिएट करता हूं.

सवाल: इंजीनियर की नौकरी छोड़कर आपने जब एक्टिंग के फील्ड में कदम रखा, तब परिवार वालों का क्या कहना था?

जवाब: घर में सभी का बीपी हाई हो गया था. हॉर्ट अटैक के करीब थे सारे. नौकरी छोड़ी, तो घर में रिश्ते आने बंद हो गए. जब तक मैं नौकरी के साथ यह सारी चीजें करता था, तब तक सभी का पूरा सपोर्ट था. नौकरी छोड़कर जब मैंने 1 दिन की शुरुआत की, तब भी घर वालों की मनाही नहीं थी. लेकिन वे कहा करते थे कि नौकरी क्यों छोड़ दी. जिस इंडस्ट्री में मैंने कदम रखा, वहां कोई निश्चित नहीं है. हर मंथ एंड में आप को सैलरी मिलेगी, यह भी तय नहीं होता. एक बार हैदराबाद से अपना नाटक राजनांदगांव में लेकर आया, उस नाटक को 700 लोगों ने देखा. जब घर वालों ने यह सारी चीजें देखी, उस दिन से घर वालों में स्वीकार्यता बढ़ी. जब साउथ के स्टार नागार्जुन के साथ मैंने वाइल्ड डॉग फिल्म किया, तब से हालात बदल गए हैं. परिवार का पूरा सपोर्ट मुझे मिल रहा है.

सवाल: घर वाले जो फाइनेंशियल प्रॉब्लम की चिंता करते थे, वह खत्म हुई?


जवाब: शुरुआत में थोड़ी परेशानी जरूर हुई. क्योंकि मैंने सिविल इंजीनियर की नौकरी कर रखी थी. उसकी जो सेविंग थी, उसने मुझे मुंबई जैसे बड़े शहरों में सरवाइव करवाया. बाद में मुझे एक वेब सीरीज "लाखों में एक" में काम मिला और वह मेरा पहला बड़ा काम था. वहां से चीजें बदलनी शुरू हुई. हैदराबाद से मुझे वाइल्ड डॉग फिल्म का ऑफर आया. उस फिल्म के लिए मैंने चार बार ऑडिशन दिया. बिना तेलुगु सीखे ही उसमें बड़े बड़े डायलॉग बोलता था. 3 महीने में 12 किलो वजन कम किया. तब जाकर मुझे वाइट डॉग के कैरेक्टर में काम करने का मौका मिला.

सवाल: आपने अपनी नौकरी छोड़कर एक्टिंग में जाने का एक बड़ा डिसीजन लिया, जो युवा इस फिल्ड में जाना चाहते हैं, उन्हें क्या संदेश देंगे?

जवाब: सबसे पहले मैं युवाओं को यह कहना चाहूंगा कि उन्हें रिजेक्शन की आदत डालनी होगी. रिजेक्शन से लोग निराश हो जाते हैं. मेरे साथ भी यह बहुत हुआ है. अमेजन प्राइम की लाखों में से एक सीरीज में मुझे जो काम मिला, उसके पहले मैं शो ऑडिशन में रिजेक्ट हो चुका था. दो बार मैंने घर वापसी की टिकट भी करवाई थी, लेकिन कुछ चीजों ने मुझे रोके रखा. रिजेक्शन से सीखना बहुत जरूरी है. यह कहना बहुत आसान है, लेकिन जब मुझे रिजेक्शन मिलते थे, तो मैं भी बहुत गुस्सा होता था. लेकिन पेशेंस रखने के बाद एक दिन आता है. युवाओं से मैं यही कहना चाहूंगा कि एक्टिंग पहले सीखें. कुछ लोग बिना सीखे ही एक्टर बनने चले जाते हैं और ऑडिशन लेते हैं. आप इस फील्ड में आ रहे हैं तो थोड़ा सीख कर जरूर आएं. एक्टिंग सिखाई नहीं जाती, वह अंदर से निकलती है. लेकिन एक्टिंग को निकालने के लिए उसे निकालने वाला होना चाहिए और इसके लिए आपको एक्टिंग सीखनी होगी.


सवाल: आपके आने वाले प्रोजेक्ट क्या होंगे?

जवाब: दीपावली के आसपास सामंता के साथ फिल्म यशोदा आ रही है. गामी नाम की फिल्म zee 5 में तेलगू वेब सीरीज पुलिमेका, हॉट स्टार में एक वेब सीरीज दिसम्बर में आने वाली है. आने वाले 6 महीने में 5 से 6 प्रोजेक्ट आने वाले है.

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