रायपुर: 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस दिन व्रत करने वाले निर्जल रहते हैं. इस व्रत से जीवन में आ रही समस्या से मनुष्य को छुटकारा मिलता है. सनातम धर्म में निर्जला एकादशी को काफी खास माना गया है. कई क्षेत्रों में इस दिन विशेष पूजा के साथ दान करने की भी प्रथा है. ज्यादातर लोग इस दिन घड़ा, शरबत और फल दान करते हैं.
तिथि और पारण का समय: हिंदू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी 30 मई दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से शुरू होगी. इसका समापन 31 मई दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा. उदय तिथि के अनुसार 31 मई को ये व्रत रखा जाएगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है. ये योग सुबह 5 बजकर 24 से सुबह 6 बजे तक रहेगा. 1 जून को सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 8 बजकर 10 मिनट के बीच का समय पारण के लिए सही है. इस समय पर व्रत करने वाले पारण कर सकते हैं.
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इस विधि से करे पूजन:
- एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें.
- पूजा के स्थान को साफ करें.
- भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें.
- एक चौकी पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़क दें.
- पीले कपड़े पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें.
- गंध, पुष्प, धूप, दीप से भगवान विष्णु की पूजा करें.
- पीले फल या मिठाई का भोग लगाए.
- विष्णु चालीसा और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें.
- भगवान विष्णु की आरती करें.
24 एकादशी व्रतों में खास: निर्जला एकादशी 24 एकादशी व्रतों में सबसे खास है. इस एक व्रत में 24 एकादशी व्रत का फल मिलता है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की खास पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी. इस दिन फल और पेय पदार्थ जैसे शरबत दान करने का खास महत्व है. कई लोग इस दिन घड़ा भी दान करते हैं.