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first day of Navratri : पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा में इन बातों का रखें ध्यान ! - पंडित विनीत शर्मा

नवरात्रि का पहला दिवस माता शैलपुत्री की पूजा के रूप में मनाया जाता है. इस शुभ दिन हिमालय राज की सुपुत्री शैलपुत्री के रूप में भगवती की पूजा की जाती है. माता शैलपुत्री सती का ही दूसरा रूप मानी गई है.

Worship of Maa Shailputri
माता शैलपुत्री की कैसे करें पूजा
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Published : Mar 21, 2023, 7:07 PM IST

Updated : Mar 22, 2023, 8:43 AM IST

नवरात्रि का पहले दिन करें माता शैलपुत्री की आराधना

रायपुर : माता शैलपुत्री सती का ही स्वरूप मानी गई हैं. आपको बता दें कि सती राजा दक्ष की पुत्री थी. जिन्होंने अपने पति भगवान भोलेनाथ का अपमान होने पर यज्ञकुंड में प्राणों की आहूति दी थी. योग अग्नि के बल पर दूसरे जन्म में माता सती शैलपुत्री के रूप में जन्म लेती हैं. वो अपने दूसरे जन्म में हिमालयराज की सुपुत्री बनती हैं. माता शैलपुत्री इस वर्ष नाव के वाहन में भगवान गणेश और कार्तिकेय स्वामी के साथ पधार रहीं हैं.


चैत्र नवरात्रि में नाव में सवार होकर आ रही हैं माता : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "माता का नाव में आना सुविधा का संकेत है. नाव में आने से इस वर्ष अच्छी वर्षा और अच्छी फसल होने के संकेत मिलते हैं. यह किसानों के लिए सुखद खबर है. ईश्वर की कृपा से जल की आपूर्ति भी श्रेष्ठ रूप में रहने की संभावना है. इस वर्ष नवरात्रि में वर्षा भी हो सकती है.''

कैसे करें माता शैलपुत्री की पूजा : पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक ''माता शैलपुत्री को रोली, कुमकुम, चंदन, अष्ट चंदन, अक्षत, पुष्प चढ़ाए जाते हैं. सर्वप्रथम चौकी को साफ करके रंगोली सजाकर माता की स्थापना करनी चाहिए. घटस्थापन के शुभ मुहूर्त में माता भगवती की विधिवत आस्था पूर्वक स्थापना करनी चाहिए. ओम शैलपुत्री नमः इस महामंत्र का दिनभर पाठ करना चाहिए. आज के शुभ दिन सिद्ध कुंजिका स्त्रोत, दुर्गा सप्तशती, माता शैलपुत्री की आरती और दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ करना शुभ होता है. लाल वस्त्र में भगवती की स्थापना करनी चाहिए."

ये भी पढ़ें- जानिए गुड़ी पड़वा का महत्व


कैसे करें कलश की स्थापना :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन लगाकर भगवती की स्थापना की जाती है. यह शुभ कार्य अभिजीत मुहूर्त में करना श्रेष्ठ माना गया है. इसके साथ ही गोधूलि बेला और ब्रह्ममुहूर्त में भी माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. बुधवार शुक्ल योग लुम्बक और बव करण के सुंदर संयोग में माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. माता शैलपुत्री संकल्प की अधिष्ठात्री देवी हैं. माता शैलपुत्री की पूजा आराधना करने से संकल्प मजबूत होते हैं. मन सुदृढ़ होता है, और जीवन में आशावादीता जागृत होती है. माता शैलपुत्री भक्तों को चट्टान की तरह सत्य की राह में चलने की प्रेरणा देती है. इस दिन व्रत उपवास अनुष्ठान और साधना करने पर लाभ मिलता है. भक्तों की कामनाएं पूर्ण होती है. मामले, मुकदमों में विजय के संकेत मिलते हैं. माता शैलपुत्री को अक्षत, पुष्प, सफेद पुष्प और लाल पुष्प की माला चढ़ाई जाती है."

नवरात्रि का पहले दिन करें माता शैलपुत्री की आराधना

रायपुर : माता शैलपुत्री सती का ही स्वरूप मानी गई हैं. आपको बता दें कि सती राजा दक्ष की पुत्री थी. जिन्होंने अपने पति भगवान भोलेनाथ का अपमान होने पर यज्ञकुंड में प्राणों की आहूति दी थी. योग अग्नि के बल पर दूसरे जन्म में माता सती शैलपुत्री के रूप में जन्म लेती हैं. वो अपने दूसरे जन्म में हिमालयराज की सुपुत्री बनती हैं. माता शैलपुत्री इस वर्ष नाव के वाहन में भगवान गणेश और कार्तिकेय स्वामी के साथ पधार रहीं हैं.


चैत्र नवरात्रि में नाव में सवार होकर आ रही हैं माता : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "माता का नाव में आना सुविधा का संकेत है. नाव में आने से इस वर्ष अच्छी वर्षा और अच्छी फसल होने के संकेत मिलते हैं. यह किसानों के लिए सुखद खबर है. ईश्वर की कृपा से जल की आपूर्ति भी श्रेष्ठ रूप में रहने की संभावना है. इस वर्ष नवरात्रि में वर्षा भी हो सकती है.''

कैसे करें माता शैलपुत्री की पूजा : पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक ''माता शैलपुत्री को रोली, कुमकुम, चंदन, अष्ट चंदन, अक्षत, पुष्प चढ़ाए जाते हैं. सर्वप्रथम चौकी को साफ करके रंगोली सजाकर माता की स्थापना करनी चाहिए. घटस्थापन के शुभ मुहूर्त में माता भगवती की विधिवत आस्था पूर्वक स्थापना करनी चाहिए. ओम शैलपुत्री नमः इस महामंत्र का दिनभर पाठ करना चाहिए. आज के शुभ दिन सिद्ध कुंजिका स्त्रोत, दुर्गा सप्तशती, माता शैलपुत्री की आरती और दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ करना शुभ होता है. लाल वस्त्र में भगवती की स्थापना करनी चाहिए."

ये भी पढ़ें- जानिए गुड़ी पड़वा का महत्व


कैसे करें कलश की स्थापना :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन लगाकर भगवती की स्थापना की जाती है. यह शुभ कार्य अभिजीत मुहूर्त में करना श्रेष्ठ माना गया है. इसके साथ ही गोधूलि बेला और ब्रह्ममुहूर्त में भी माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. बुधवार शुक्ल योग लुम्बक और बव करण के सुंदर संयोग में माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. माता शैलपुत्री संकल्प की अधिष्ठात्री देवी हैं. माता शैलपुत्री की पूजा आराधना करने से संकल्प मजबूत होते हैं. मन सुदृढ़ होता है, और जीवन में आशावादीता जागृत होती है. माता शैलपुत्री भक्तों को चट्टान की तरह सत्य की राह में चलने की प्रेरणा देती है. इस दिन व्रत उपवास अनुष्ठान और साधना करने पर लाभ मिलता है. भक्तों की कामनाएं पूर्ण होती है. मामले, मुकदमों में विजय के संकेत मिलते हैं. माता शैलपुत्री को अक्षत, पुष्प, सफेद पुष्प और लाल पुष्प की माला चढ़ाई जाती है."

Last Updated : Mar 22, 2023, 8:43 AM IST
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