रायपुर: सर्वार्थ सिद्धि योग अनुराधा जेष्ठ नक्षत्र ध्रुव और राक्षसी योग बालव करण की उपस्थिति में षटतिला एकादशी का पर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा. इस दिन वृश्चिक और धनु राशि में चंद्रमा विद्यमान रहेगा. कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी (Shatila Ekadashi Vrat 2022) के रूप में मान्यता मिली है. इस दिन देवकीनंदन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है. इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान और ध्यान से निवृत्त होकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. इस दिन तुलसी माता की चौकी की परिक्रमा का भी विधान है. यह परिक्रमा विषम संख्या में 3,5,7 अथवा 9 बार होनी चाहिए. परिक्रमा कम से कम 3 बार होना आवश्यक है. माता तुलसी को पुष्प, धूप, दीपक, अगरबत्ती आदि अर्पित कर दिन की शुरुआत की जानी चाहिए. इस दिन तुलसी को जल भी अर्पित करने का विधान है.
संतान प्राप्ति के लिए करें ये उपाय
इस विषय में पंडित विनित शर्मा का कहना है कि ऐसे जातक जिनकी संतान नहीं हो रही हो, उन्हें षटतिला एकादशी व्रत का पालन आस्थापूर्वक करना चाहिए. निराहार रहते हुए इस उपवास को करना चाहिए. सारे दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल-बाल गोपाल रूप की पूजा की जानी चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण की प्रार्थना, उपासना और स्तुति से सारे बिगड़े काम बन जाते हैं.
यह भी पढ़ेंः पौष पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती में दलहन-तिलहन दान का है विशेष महत्व
ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र विशेष लाभदायक
इस एकादशी में तिल के दान का बड़ा महत्व है. श्वेत अथवा काला तिल इस दिन दान करने का विधान है. आचार्य विद्वान ब्राम्हण आदि जनों को अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार दान देने का विधान है. यह एकादशी व्रत करने पर कैंसर जैसी बीमारियां शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं. इस व्रत को निष्ठा के साथ करना चाहिए. इस पवित्र दिन में कृष्ण सहस्त्रनाम, गीता का पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है. सारा दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करना कल्याणकारी माना गया है. तुलसी की माला से इस मंत्र का पाठ करने पर मंगलकारी परिणाम मिलते हैं.