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छत्तीसगढ़ में वैद्यों की स्थिति चिंताजनक

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Published : Jul 11, 2022, 6:23 PM IST

छत्तीसगढ़ में आयुर्वेदिक उपचार करने वाले वैद्यों की स्थिति चिंताजनक (condition of Ayurveda in chhattisgarh ) है. लोग आयुर्वेद की ओर रुख न कर महंगे इलाज पर ज्यादा विश्वास करते हैं.

ayurveda doctors in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में वैद्य

रायपुर: छत्तीसगढ़ में वैद्यों की स्थिति खराब है. वैद्यों का पंजीयन तो किया जा रहा है लेकिन रफ्तार बहुत धीमी है. उनकी उपचार विधि को लिपिबद्ध करने पर सरकार विचार कर रही है. एक वैद्य अस्पताल भी रायपुर में खोला गया लेकिन चंद महीने में ही ताला लग गया. प्रदेश के दूरदराज के जिलों से वैद्य उपचार करने यहां पहुंचते थे. लोग भी बड़ी संख्या में इलाज के लिए आते थे. अब अस्पताल बंद होने से वैद्यों में मायूसी छाई है.

छत्तीसगढ़ में वैद्यों की स्थिति चिंताजनक

क्या सरकारी मदद मिल रही है?: प्रदेश भर के वैध को एक स्थान पर लाने के लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित पंडरी में एक वैद्य परामर्श केंद्र यानी वैद्य अस्पताल खोला गया था. कुछ महीने तक यह वैद्य अस्पताल सुचारू रूप से संचालित भी होता रहा. यहां पर प्रदेश भर के 46 वैद्यों की एक सूची बनाई गई थी, जिसमें प्रदेश भर के जिलों से छह-छह वैद्य अलग-अलग दिन अलग-अलग बीमारियों का उपचार करने रायपुर पहुंचे थे. लेकिन पिछले दो-तीन माह से इस अस्पताल पर ताला लटका हुआ है. यहां उपचार के लिए पहुंचने वालों को इधर-उधर भटकना पड़ता है.

उपचार के बदले मिलती है कम राशि: छत्तीसगढ़ परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ के उपाध्यक्ष वैद्य शुक्ला प्रसाद धुर्वे का कहना है कि ''वैद्यों को उपचार के बदले मिलने वाली राशि नाम मात्र की होती है. यही वजह है कि वैद्यों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं हो पाती है. कई बार तो इन्हें भरण पोषण की भी दिक्कतें होती है. यही वजह है कि आने वाली पीढ़ी इस उपचार विधि को सीखने से बच रही है.'' वैद्यों को जड़ी बूटी जुटाने के लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है.

जड़ी-बूटी एकत्र करने में काफी मेहनत: छत्तीसगढ़ परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ के उपाध्यक्ष वैद्य शुक्ला प्रसाद धुर्वे बताते हैं कि ''एक-एक जड़ी बूटियों की तलाश करना और उसे उपचार लायक बनाने में कई दिन से कई महीने तक लग जाते हैं. कई जड़ी बूटियों को तोड़ने और सुखाने की एक तय समय सीमा होती है. उसे इसी बीच में तोड़ना और सुखाना पड़ता है. वर्ना ये जड़ी बूटियां काम नहीं करती हैं.''

मानसून के लिए पहले से जड़ी-बूटी करना होता है तैयार: वैद्य शुक्ला प्रसाद धुर्वे का कहना है ''मानसून के पहले बड़े पैमाने पर तैयारी करनी पड़ती है. ना सिर्फ जड़ी बूटियों को लाकर उसे पीसकर पाउडर बनाकर रखना होता है बल्कि उसके सुरक्षित संग्रहण की व्यवस्था भी करनी पड़ती है. जिससे बरसात के समय जरूरत पड़ने पर इन औषधीय जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जा सके.जरा सी असावधानी से इनके खराब होने का खतरा होता है. यदि ये पाउडर खराब हो गया तो उपचार योग्य नहीं होता.''

अन्य राज्यों में भी उपचार करने जाते हैं वैद्य: वैद्य शुक्ला प्रसाद धुर्वे का दावा है कि इनके उपचार से बड़ी-बड़ी बीमारी दूर हो जाती है. कुछ वैद्य तो ऐसे हैं, जो सिर्फ नाड़ी पकड़ कर बीमारी बता देते हैं. छत्तीसगढ़ के वैद्य छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों में भी जड़ी-बूटी से उपचार करने जाते हैं.

इन बीमारियों के लिए ये हैं औषधीय पौधे:

औषधीय पौधेबीमारी
अडूषादमा, खांसी व एलर्जी
सतावरमहिलाओं की शारीरिक कमजोरी
कालमेघ मधुमेह, मलेरिया बुखार
पत्थर चूर्ण पथरी
गुड़मारमधुमेह
निरगुड़ीवात रोग
पिपलीसर्दी जुकाम
ब्राह्मीबुद्धि बढ़ाना
मडूप पाणिदस्त व मस्तिष्क संबंधी बीमारी
स्टिवियामधुमेह (इसकी एक पत्ती चीनी से 15 गुणा मीठी है)

रायपुर: छत्तीसगढ़ में वैद्यों की स्थिति खराब है. वैद्यों का पंजीयन तो किया जा रहा है लेकिन रफ्तार बहुत धीमी है. उनकी उपचार विधि को लिपिबद्ध करने पर सरकार विचार कर रही है. एक वैद्य अस्पताल भी रायपुर में खोला गया लेकिन चंद महीने में ही ताला लग गया. प्रदेश के दूरदराज के जिलों से वैद्य उपचार करने यहां पहुंचते थे. लोग भी बड़ी संख्या में इलाज के लिए आते थे. अब अस्पताल बंद होने से वैद्यों में मायूसी छाई है.

छत्तीसगढ़ में वैद्यों की स्थिति चिंताजनक

क्या सरकारी मदद मिल रही है?: प्रदेश भर के वैध को एक स्थान पर लाने के लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित पंडरी में एक वैद्य परामर्श केंद्र यानी वैद्य अस्पताल खोला गया था. कुछ महीने तक यह वैद्य अस्पताल सुचारू रूप से संचालित भी होता रहा. यहां पर प्रदेश भर के 46 वैद्यों की एक सूची बनाई गई थी, जिसमें प्रदेश भर के जिलों से छह-छह वैद्य अलग-अलग दिन अलग-अलग बीमारियों का उपचार करने रायपुर पहुंचे थे. लेकिन पिछले दो-तीन माह से इस अस्पताल पर ताला लटका हुआ है. यहां उपचार के लिए पहुंचने वालों को इधर-उधर भटकना पड़ता है.

उपचार के बदले मिलती है कम राशि: छत्तीसगढ़ परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ के उपाध्यक्ष वैद्य शुक्ला प्रसाद धुर्वे का कहना है कि ''वैद्यों को उपचार के बदले मिलने वाली राशि नाम मात्र की होती है. यही वजह है कि वैद्यों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं हो पाती है. कई बार तो इन्हें भरण पोषण की भी दिक्कतें होती है. यही वजह है कि आने वाली पीढ़ी इस उपचार विधि को सीखने से बच रही है.'' वैद्यों को जड़ी बूटी जुटाने के लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है.

जड़ी-बूटी एकत्र करने में काफी मेहनत: छत्तीसगढ़ परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ के उपाध्यक्ष वैद्य शुक्ला प्रसाद धुर्वे बताते हैं कि ''एक-एक जड़ी बूटियों की तलाश करना और उसे उपचार लायक बनाने में कई दिन से कई महीने तक लग जाते हैं. कई जड़ी बूटियों को तोड़ने और सुखाने की एक तय समय सीमा होती है. उसे इसी बीच में तोड़ना और सुखाना पड़ता है. वर्ना ये जड़ी बूटियां काम नहीं करती हैं.''

मानसून के लिए पहले से जड़ी-बूटी करना होता है तैयार: वैद्य शुक्ला प्रसाद धुर्वे का कहना है ''मानसून के पहले बड़े पैमाने पर तैयारी करनी पड़ती है. ना सिर्फ जड़ी बूटियों को लाकर उसे पीसकर पाउडर बनाकर रखना होता है बल्कि उसके सुरक्षित संग्रहण की व्यवस्था भी करनी पड़ती है. जिससे बरसात के समय जरूरत पड़ने पर इन औषधीय जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जा सके.जरा सी असावधानी से इनके खराब होने का खतरा होता है. यदि ये पाउडर खराब हो गया तो उपचार योग्य नहीं होता.''

अन्य राज्यों में भी उपचार करने जाते हैं वैद्य: वैद्य शुक्ला प्रसाद धुर्वे का दावा है कि इनके उपचार से बड़ी-बड़ी बीमारी दूर हो जाती है. कुछ वैद्य तो ऐसे हैं, जो सिर्फ नाड़ी पकड़ कर बीमारी बता देते हैं. छत्तीसगढ़ के वैद्य छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों में भी जड़ी-बूटी से उपचार करने जाते हैं.

इन बीमारियों के लिए ये हैं औषधीय पौधे:

औषधीय पौधेबीमारी
अडूषादमा, खांसी व एलर्जी
सतावरमहिलाओं की शारीरिक कमजोरी
कालमेघ मधुमेह, मलेरिया बुखार
पत्थर चूर्ण पथरी
गुड़मारमधुमेह
निरगुड़ीवात रोग
पिपलीसर्दी जुकाम
ब्राह्मीबुद्धि बढ़ाना
मडूप पाणिदस्त व मस्तिष्क संबंधी बीमारी
स्टिवियामधुमेह (इसकी एक पत्ती चीनी से 15 गुणा मीठी है)
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