रायपुर/हैदराबाद: जंगली जानवरों की सुरक्षा और जंगल में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकने के लिए हर साल वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ डे (विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस) 3 मार्च को मनाया जाता है. इस दिन पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और जंगली पेड़ पौधों को नुकसान के बचाने के प्रयासों पर मंथन करने के साथ ही विश्व बिरादरी सार्थक पहल भी करती है. स्कूल, काॅलेज सहित तमाम शिक्षण संस्थानों में जागरुकता कार्यक्रम भी चलाए जाते है, ताकि बच्चों को शुरू से ही जंगल और जंगली जानवरों की अहमियत का ध्यान रहे.
दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने की थी घोषणा: जंगली जानवरों को लुप्त होने से बचाने के लिए पहली बार 1872 में जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट) पारित किया गया था. यूनाइटेश नेशन ने 20 दिसंबर 2013 में वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ डे मनाने की घोषणा करते हुए इसके लिए हर साल 3 मार्च का दिन तय किया गया. इसके बाद पहला वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ डे 3 मार्च 2014 को मनाया गया.
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इस साल ये है वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ डे की थीम: जंगली जानवरों की सुरक्षा को लेकर जागरुकता के लिए वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ डे 2023 की थीम 'वन्यजीव संरक्षण के लिए साझेदारी' निर्धारित की गई है. पिछले साल की थीम 'पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए प्रमुख प्रजातियों की रिकवरी' थी.
लोगों का जागरूक होना क्यों है जरूरी: वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ डे मनाने का मकसद दुनियाभर में लोगों को वन्य जीवों और वनस्पतियों की तेजी से लुप्त हो रही प्रजातियों के बारे में बताना है. साथ ही इन्हें बचाने के तौर तरीकों पर मिलकर काम करना है, ताकि पर्यवरण का संतुलन बना रहे.
भारत में जंगली जीवों की सुरक्षा से जुड़े कानून: विश्व बिरादरी के साथ ही भारत भी जंगली जानवरों और वनस्पतियों की सुरक्षा को लेकर सजग है. केंद्र और राज्य की सरकारें समय समय पर नियम और कानून बनाकर जंगल और जंगली जानवरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करती रही हैं. इनमें से कुछ कानून ये हैं.
- मद्रास जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (1873)
- अखिल भारतीय हाथी संरक्षण अधिनियम (1879)
- जंगली पक्षी और पशु निषेध अधिनियम (1912)
- बंगाल गैंडा संरक्षण अधिनियम (1932)
- असम गैंडा संरक्षण अधिनियम (1954)
- भारतीय वन्यजीव बोर्ड (1952)
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972)