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World Television Day : रायपुर में लगा था अविभाजित मध्यप्रदेश का पहला टीवी टावर - रुकावट के लिए खेद

विश्व टेलीविजन दिवस पर हम आपको बताएंगे कि कैसे रायपुर में अविभाजित मध्यप्रदेश का पहला टीवी टावर लगा था. इस टीवी टावर की क्या खासियत है. इससे भी हम आपको रु-ब-रु करवाएंगे.

World Television Day
सबसे पहला रायपुर में लगा था टीवी टावर
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Published : Nov 21, 2021, 9:51 PM IST

Updated : Nov 21, 2021, 10:31 PM IST

रायपुर: 21 नवंबर (21 November) को विश्व टेलीविजन दिवस (World Television Day) है. आइए हम आपको इसके इतिहास (History)के बारे में बताते हैं कि आखिरकार कहां टीवी का पहला टावर(TV tower) लगा था. दरअसल, अविभाजित मध्यप्रदेश (Undivided madhya pradesh) के रायपुर (Raipur) में सबसे पहले टीवी टावर लगा था. आज हम आपको उस टावर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी देंगे. इसके अलावा दूरदर्शन में रुकावट के लिए खेद कब (RUKAWAT KE LIYE KHED) और क्यों लिखा जाता था. ये भी हम बताएंगे.

विश्व टेलीविजन दिवस प

इन सभी जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने दूरदर्शन से रिटायर्ड अधिकारी अजीत कादिर से खास बातचीत की. आईए सवाल-जवाब के माध्यम से उनसे जानते हैं टीवी के इतिहास के बारे में...

सवाल : अजीत जी अविभाजित मध्यप्रदेश में सबसे पहले टीवी टावर कहां लगा था?

जवाब :अविभाजित मध्यप्रदेश में सबसे पहले टीवी टावर रायपुर, जो कि मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी है वहां लगाया गया था. यह टीम टावर 1977 लगाया गया था. उस समय 6 टीवी टावर लगाए जा रहे थे. उसमें से रायपुर का भी एक टीवी टावर शामिल था.उस समय विद्याचरण शुक्ल केंद्रीय मंत्री थे, उनके रहते टीवी टावर लगा. जब मैंने 1987 में दूरदर्शन मैं ज्वाइन किया, उस दौरान फिल्म कैमरे से रिकॉर्डिंग होती थी. प्रोसेसिंग के लिए दिल्ली मुंबई भेजा जाता था और वहां से प्रोसेसिंग होकर फिल्म और न्यूज सेक्शन में जाता था. वहां से इसका प्रसारण होता था. उसके बाद ट्यूब कैमरा आया. जो बहुत भारी होता था. लगभग 14 किलो वजन का होता था, उसे कैरी करना काफी मुश्किल भरा काम होता था. उसमें कैमरा अलग और रिकॉर्ड अलग होता था. उस दौरान काफी अलग काम होता था, जिसमें कई तरह की दिक्कतें भी होती थी. हालांकि बाद में काफी बदलाव हुआ. पहले बड़े कैमरे आते थे. अब धीरे-धीरे उसका स्वरूप छोटा हो गया. फिल्म रील की जगह कैसेट और अब चिप रिकॉर्डिंग होने लगी है. उस जमाने और आज के समय में काफी बदलाव आ चुका है. पूरा एडिटिंग सिस्टम भी एनालॉग था.

सवाल : क्या उस समय कैमरा हैंडल करने सहित एडिटिंग करना काफी दिक्कत भरा काम होता था?

जवाब : आज के समय में सब आसान हो गया है. डिजिटल क्रांति आने के बाद तो और भी आसान हो गया है. नहीं तो पहले कैमरे में रिकॉर्ड करने से लेकर एडिटिंग करने का प्रोसीजर काफी लम्बा होता था. पहले अगर रिकॉर्डिंग के दौरान कोई गलती होती है, तो उसे आप एडिट नहीं कर सकते थे. हमें कार्यक्रम फिर से पूरा रिकॉर्ड करना पड़ता था क्योंकि उस समय एडिट का कोई ऑप्शन नहीं होता था.

सवाल: दूरदर्शन में 'रुकावट के लिए खेद है' कब और क्यों लगाया जाता था ?

जवाब : उस दौरान एक कैसेट में एक कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग होती थी और जब बीच में दूसरी कैसेट लगाई जाती थी, तो उस बीच जो गैफ आता था उसे भरने के लिए 'रुकावट के लिए खेद है' लिखा जाता था. जो कहीं ना कहीं काफी चर्चा का विषय रहा. आज भी लोग इस बात की चर्चा करते हैं. उस दौरान जब रुकावट के लिए खेद लगाया जाता था. तो लोग पानी पीने या फिर कुछ छोटा-मोटा काम भी निपटा लेते थे.या यूं कहें कि उस समय विज्ञापन नहीं हुआ करता था. जिसकी जगह रुकावट के लिए खेद का इस्तेमाल किया जाता था.

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सवाल : उस दौरान टेलीविजन एंटीना काफी चर्चित रहा है. जरा सा एंटीना हिला कि पिक्चर गायब हो जाती थी और उसे फिर सेट करना पड़ता था.. जरा इसके बारे में बताएं.

जवाब : उस समय टेलीविजन का एंटीना सेट करने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी. एक आदमी छत पर एंटीना को घुमाता था और नीचे दूसरा आदमी बताता था कि पिक्चर आ रही है या नहीं. जब पिक्चर आती थी तो उसके बाद लोग टेलीविजन देखते थे. इस बीच कभी कोई परिंदा एंटीना पर बैठ गया तो फिर एंटीना का वही हाल हो जाता था और टीवी से पिक्चर गायब हो जाया करती थी.

सवाल : आज सब कुछ डिजिटल हो गया है, उस दौरान और आज के समय में क्या आप मानते हैं कि पूरी तरह से बदलाव आ गया है. या फिर कुछ है जो आज भी बची हुई है?

जवाब : तब से आज में लगभग टीवी पूरा ही बदल गया है. यह कह सकते हैं कि आज फिल्म बनाना हो या फिर कोई प्रोग्राम सिद्धांत वही है. बस उसे बनाने का तरीका बदल गया है. पहले जो चीज है जिसे वीसीआर में की जाती थी. आज वह कंप्यूटर में हो गई है. बहुत सारे ऑप्शन आ गए हैं, जिसका फायदा आज इस सेक्टर को मिल रहा है.

सवाल : पहले ब्लैक एंड वाइट था और आज कलर टेलीविजन भी हो गई है. उस दौर को भी आपने देखा है.

जवाब : 1982 में एशियन गेम्स हुए थे. उस दौरान कलर टेलीविजन आया कि हमारे यहां पहले से ही कलर ट्रांसमिशन था. लेकिन उसे सेट नहीं किया गया था. बाद में काफी मेहनत के बाद यहां भी कलर टेलीविजन चालू हो गया.

सवाल : रायपुर में टीवी टावर लगने के बाद इसका यहां के लोगों को क्या लाभ मिला?

जवाब : दूरदर्शन में काफी लंबे समय से जुड़ा हुआ हूं. मैने इसके काफी स्टेज देखे है. किस तरह से उस समय और आज में बदलाव हुए हैं. अब डिजिटल कैमरे आ गए हैं बहुत सारी चीजें हैं जो काफी बदल गई है.

सवाल : क्या सच में अब काम करना आसान हो गया है?

जवाब : तब की अपेक्षा अब काम करना काफी आसान हो गया है. कैमरे भी काफी छोटे आ गए हैं. उसकी क्वालिटी भी काफी जबरदस्त हो गई है. जो क्वालिटी बड़े कैमरे की उस समय नहीं होती थी. वह छोटे कैमरे या फिर मोबाइल में भी देखने को मिल रही है. हालांकि उस कैमरे के लेंस बड़े पावरफुल होते थे, लेकिन अब वह नहीं है.

सवाल : पहले लाइव के लिए ओबी वैन का इस्तेमाल किया जाता था आज मोबाइल से भी लाइव हो जाता है, इसके बारे में जरा बताएं.

जवाब : देखिए पहले पहले एक ओवी वैन जाता था, तो उसके साथ 20- 25 लोगों की एक पूरी टीम लगी होती थी. वह हफ्ते भर पहले लाइव वाली जगह पहुंच कर तैयारी करते थे. जनरेटर रखते थे, लाइट का कलेक्शन लेते थे. कई तरह की दिक्कतें आती थी. लोकेशन देखना पड़ता था. लेकिन आज स्थिति यह है कि आप आधे घंटे पहले कोई चीज लाइव करना चाह रहे हैं, तो वह लाईव हो जा रहा है. अब तो आप 2 मिनट में खबरें एक जगह से दूसरी जगह भेज सकते हैं, लेकिन पहले न्यूज भेजने के लिए फ्लाइट का इस्तेमाल किया जाता था. फीड भेजने के लिए टेलीफोन लाइन का इस्तेमाल किया जाता था. इस तरह के कई दिक्कतें उस दौरान थी. अब तो मिनटों में एक जगह से दूसरी जगह खबरे भेज सकते हैं. बस अंतर इतना है कि कोई भी चीज जितने मिनट की रिकॉर्ड होगी. उसे चलने में उतना मिनट ही लगेगा. अब तक ऐसा कोई ऑप्शन नहीं आया है. कि रिकॉर्ड की हुई चीज कम समय में चल जाए.

रायपुर: 21 नवंबर (21 November) को विश्व टेलीविजन दिवस (World Television Day) है. आइए हम आपको इसके इतिहास (History)के बारे में बताते हैं कि आखिरकार कहां टीवी का पहला टावर(TV tower) लगा था. दरअसल, अविभाजित मध्यप्रदेश (Undivided madhya pradesh) के रायपुर (Raipur) में सबसे पहले टीवी टावर लगा था. आज हम आपको उस टावर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी देंगे. इसके अलावा दूरदर्शन में रुकावट के लिए खेद कब (RUKAWAT KE LIYE KHED) और क्यों लिखा जाता था. ये भी हम बताएंगे.

विश्व टेलीविजन दिवस प

इन सभी जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने दूरदर्शन से रिटायर्ड अधिकारी अजीत कादिर से खास बातचीत की. आईए सवाल-जवाब के माध्यम से उनसे जानते हैं टीवी के इतिहास के बारे में...

सवाल : अजीत जी अविभाजित मध्यप्रदेश में सबसे पहले टीवी टावर कहां लगा था?

जवाब :अविभाजित मध्यप्रदेश में सबसे पहले टीवी टावर रायपुर, जो कि मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी है वहां लगाया गया था. यह टीम टावर 1977 लगाया गया था. उस समय 6 टीवी टावर लगाए जा रहे थे. उसमें से रायपुर का भी एक टीवी टावर शामिल था.उस समय विद्याचरण शुक्ल केंद्रीय मंत्री थे, उनके रहते टीवी टावर लगा. जब मैंने 1987 में दूरदर्शन मैं ज्वाइन किया, उस दौरान फिल्म कैमरे से रिकॉर्डिंग होती थी. प्रोसेसिंग के लिए दिल्ली मुंबई भेजा जाता था और वहां से प्रोसेसिंग होकर फिल्म और न्यूज सेक्शन में जाता था. वहां से इसका प्रसारण होता था. उसके बाद ट्यूब कैमरा आया. जो बहुत भारी होता था. लगभग 14 किलो वजन का होता था, उसे कैरी करना काफी मुश्किल भरा काम होता था. उसमें कैमरा अलग और रिकॉर्ड अलग होता था. उस दौरान काफी अलग काम होता था, जिसमें कई तरह की दिक्कतें भी होती थी. हालांकि बाद में काफी बदलाव हुआ. पहले बड़े कैमरे आते थे. अब धीरे-धीरे उसका स्वरूप छोटा हो गया. फिल्म रील की जगह कैसेट और अब चिप रिकॉर्डिंग होने लगी है. उस जमाने और आज के समय में काफी बदलाव आ चुका है. पूरा एडिटिंग सिस्टम भी एनालॉग था.

सवाल : क्या उस समय कैमरा हैंडल करने सहित एडिटिंग करना काफी दिक्कत भरा काम होता था?

जवाब : आज के समय में सब आसान हो गया है. डिजिटल क्रांति आने के बाद तो और भी आसान हो गया है. नहीं तो पहले कैमरे में रिकॉर्ड करने से लेकर एडिटिंग करने का प्रोसीजर काफी लम्बा होता था. पहले अगर रिकॉर्डिंग के दौरान कोई गलती होती है, तो उसे आप एडिट नहीं कर सकते थे. हमें कार्यक्रम फिर से पूरा रिकॉर्ड करना पड़ता था क्योंकि उस समय एडिट का कोई ऑप्शन नहीं होता था.

सवाल: दूरदर्शन में 'रुकावट के लिए खेद है' कब और क्यों लगाया जाता था ?

जवाब : उस दौरान एक कैसेट में एक कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग होती थी और जब बीच में दूसरी कैसेट लगाई जाती थी, तो उस बीच जो गैफ आता था उसे भरने के लिए 'रुकावट के लिए खेद है' लिखा जाता था. जो कहीं ना कहीं काफी चर्चा का विषय रहा. आज भी लोग इस बात की चर्चा करते हैं. उस दौरान जब रुकावट के लिए खेद लगाया जाता था. तो लोग पानी पीने या फिर कुछ छोटा-मोटा काम भी निपटा लेते थे.या यूं कहें कि उस समय विज्ञापन नहीं हुआ करता था. जिसकी जगह रुकावट के लिए खेद का इस्तेमाल किया जाता था.

World Prematurity Day 2021: प्रीमैच्योर डिलीवरी की क्या है वजह, कैसे इस समस्या से बचें जानिए यहां ?

सवाल : उस दौरान टेलीविजन एंटीना काफी चर्चित रहा है. जरा सा एंटीना हिला कि पिक्चर गायब हो जाती थी और उसे फिर सेट करना पड़ता था.. जरा इसके बारे में बताएं.

जवाब : उस समय टेलीविजन का एंटीना सेट करने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी. एक आदमी छत पर एंटीना को घुमाता था और नीचे दूसरा आदमी बताता था कि पिक्चर आ रही है या नहीं. जब पिक्चर आती थी तो उसके बाद लोग टेलीविजन देखते थे. इस बीच कभी कोई परिंदा एंटीना पर बैठ गया तो फिर एंटीना का वही हाल हो जाता था और टीवी से पिक्चर गायब हो जाया करती थी.

सवाल : आज सब कुछ डिजिटल हो गया है, उस दौरान और आज के समय में क्या आप मानते हैं कि पूरी तरह से बदलाव आ गया है. या फिर कुछ है जो आज भी बची हुई है?

जवाब : तब से आज में लगभग टीवी पूरा ही बदल गया है. यह कह सकते हैं कि आज फिल्म बनाना हो या फिर कोई प्रोग्राम सिद्धांत वही है. बस उसे बनाने का तरीका बदल गया है. पहले जो चीज है जिसे वीसीआर में की जाती थी. आज वह कंप्यूटर में हो गई है. बहुत सारे ऑप्शन आ गए हैं, जिसका फायदा आज इस सेक्टर को मिल रहा है.

सवाल : पहले ब्लैक एंड वाइट था और आज कलर टेलीविजन भी हो गई है. उस दौर को भी आपने देखा है.

जवाब : 1982 में एशियन गेम्स हुए थे. उस दौरान कलर टेलीविजन आया कि हमारे यहां पहले से ही कलर ट्रांसमिशन था. लेकिन उसे सेट नहीं किया गया था. बाद में काफी मेहनत के बाद यहां भी कलर टेलीविजन चालू हो गया.

सवाल : रायपुर में टीवी टावर लगने के बाद इसका यहां के लोगों को क्या लाभ मिला?

जवाब : दूरदर्शन में काफी लंबे समय से जुड़ा हुआ हूं. मैने इसके काफी स्टेज देखे है. किस तरह से उस समय और आज में बदलाव हुए हैं. अब डिजिटल कैमरे आ गए हैं बहुत सारी चीजें हैं जो काफी बदल गई है.

सवाल : क्या सच में अब काम करना आसान हो गया है?

जवाब : तब की अपेक्षा अब काम करना काफी आसान हो गया है. कैमरे भी काफी छोटे आ गए हैं. उसकी क्वालिटी भी काफी जबरदस्त हो गई है. जो क्वालिटी बड़े कैमरे की उस समय नहीं होती थी. वह छोटे कैमरे या फिर मोबाइल में भी देखने को मिल रही है. हालांकि उस कैमरे के लेंस बड़े पावरफुल होते थे, लेकिन अब वह नहीं है.

सवाल : पहले लाइव के लिए ओबी वैन का इस्तेमाल किया जाता था आज मोबाइल से भी लाइव हो जाता है, इसके बारे में जरा बताएं.

जवाब : देखिए पहले पहले एक ओवी वैन जाता था, तो उसके साथ 20- 25 लोगों की एक पूरी टीम लगी होती थी. वह हफ्ते भर पहले लाइव वाली जगह पहुंच कर तैयारी करते थे. जनरेटर रखते थे, लाइट का कलेक्शन लेते थे. कई तरह की दिक्कतें आती थी. लोकेशन देखना पड़ता था. लेकिन आज स्थिति यह है कि आप आधे घंटे पहले कोई चीज लाइव करना चाह रहे हैं, तो वह लाईव हो जा रहा है. अब तो आप 2 मिनट में खबरें एक जगह से दूसरी जगह भेज सकते हैं, लेकिन पहले न्यूज भेजने के लिए फ्लाइट का इस्तेमाल किया जाता था. फीड भेजने के लिए टेलीफोन लाइन का इस्तेमाल किया जाता था. इस तरह के कई दिक्कतें उस दौरान थी. अब तो मिनटों में एक जगह से दूसरी जगह खबरे भेज सकते हैं. बस अंतर इतना है कि कोई भी चीज जितने मिनट की रिकॉर्ड होगी. उसे चलने में उतना मिनट ही लगेगा. अब तक ऐसा कोई ऑप्शन नहीं आया है. कि रिकॉर्ड की हुई चीज कम समय में चल जाए.

Last Updated : Nov 21, 2021, 10:31 PM IST
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