रायपुरः विश्व आयोडीन अल्पता दिवस (World Iodine Deficiency Day) 21 अक्टूबर (21st October) को मनाया जाता है. आयोडीन (Iodine) हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिये बेहद जरूरी है. इसकी कमी से होने वाली समस्याओं (Problems) को आयोडीन अल्पता विकार (Iodine deficiency disorder) भी कहा जाता है. आयोडीन की कमी से होने वाली समस्याओं का पता कई बार तुरंत नहीं लगता. लेकिन आयोडीन की कमी से होने वाले विकार कई बार गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं (Serious health problems) को जन्म देते हैं. हमारे शरीर की थायरायड ग्रंथि (Thyroid gland) को ठीक प्रकार से काम करने के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है और इसकी कमी से घेंघा या गोयटर (Goiter) भी हो सकता है. इस बीमारी में गर्दन में थायरायड ग्रंथि वाले स्थान पर सूजन आ जाती है. हमारे शरीर को प्रतिदिन अपने आहार में 100 से 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है.
आयोडीन की कमी के प्रति जागरूकता को लेकर संपूर्ण विश्व में 21 अक्टूबर 2020 में पहली बार मनाया गया. आयोडीन भोजन का सूक्ष्म पोषक तत्व है, जिसका भ्रूण के मानसिक विकास से वृद्ध के शारीरिक विकास क्रम तक महत्वपूर्ण योगदान है. आयोडीन की कमी बच्चों में बौद्धिक विकलांगता और मस्तिष्क क्षति के साथ गंभीर शारीरिक रोगों का प्रमुख कारण है. इतनी ही नहीं विश्व आयोडीन अल्पता निवारण दिवस का उद्देश्य सामान्य नागरिक व सरकार का आयोडीन जनित गंभीर बीमारियों की तरफ ध्यानाकर्षण है.
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क्या होता है आयोडीन
दरअसल, आयोडीन एक रासायनिक तत्व है. स्थिर हलोजन का सबसे भारी, यह मानक परिस्थितियों में एक चमकदार, बैंगनी-काले गैर-धातु ठोस के रूप में मौजूद है, इसकी खोज वर्ष 1811 में फ्रांसीसी रसायनज्ञ बर्नार्ड कोर्ट्टो द्वारा ठोस के रूप में की गई थी. यह सबसे भारी आवश्यक खनिज पोषक तत्व है. आयोडीन की कमी लगभग दो अरब लोगों को प्रभावित करती है और बौद्धिक अक्षमता का प्रमुख रोग है. आयोडीन के प्रमुख उत्पादक आज चिली और जापान हैं. आयोडीन और इसके यौगिकों का उपयोग मुख्य रूप से पोषण में किया जाता है. इसकी उच्च परमाणु संख्या और कार्बनिक यौगिकों के लिए लगाव में आसानी के कारण, यह एक गैर विषैले रेडियोकेन्ट्रास्ट सामग्री के रूप में भी अनुकूल पाया गया है. मानव शरीर द्वारा इसके उत्थान की विशिष्टता के कारण, आयोडीन के रेडियोधर्मी समस्थानिक का उपयोग थायराइड कैंसर के इलाज के लिए भी किया जा सकता है.
आयोडीन का क्या है महत्व
बता दें कि आयोडीन सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो कि मानव वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है. आयोडीन बढ़ते शिशु के दिमाग के विकास और थायराइड प्रक्रिया के लिए अनिवार्य एक माइक्रोपोशक तत्व है, आयोडीन हमारे शरीर के तापमान को भी विनियमित करता है, विकास में सहायक है और भ्रूण के पोशक तत्वों का एक अनिवार्य घटक है, शरीर में आयोडीन को संतुलित बनाने का कार्य थाइरोक्सिन हार्मोंस करता है जो मनुष्य की अंतस्रावी ग्रंथि थायराइड ग्रंथि से स्रावित होता है. आयोडीन मन को शांति प्रदान करता है, तनाव कम करता है, मस्तिष्क को सतर्क रखता है और बाल, नाखून, दांत और त्वचा को उत्तम स्थिति में रखने में मदद करता है.
आयोडीन युक्त खाद्य प्रदार्थ
कहा जाता है कि आयोडीन शरीर के अंदर उत्पन्न नहीं होता. इसलिए इसे दैनिक भोजन और पानी की खुराक के रूप में सेवन किया जाना चाहिए. एक पूर्ण विकसित वयस्क को मस्तिष्क और शरीर को ठीक से काम करने के लिए शरीर में प्रत्येक दिन 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है. आयोडीन का सबसे सामान्य स्रोत नमक है. आयोडीन युक्त कुछ अन्य खाद्य प्रदार्थ निम्नलिखित है जैसे: दूध, अंडा, समुद्री शैवाल, शेल्फिश, समुद्री मछली, समुद्री भोजन, मांस, दालें-अनाज इत्यादि आयोडीन से भरपूर होते हैं और इसलिए इसे दैनिक आहार का हिस्सा बनाने की आवश्यकता होती है. खाना पकाने में सबसे आम सामग्री- आयोडीन की दैनिक खुराक प्राप्त करने के लिए नमक को आयोडीन युक्त नमक से बदला जा सकता है.
विश्व आयोडीन अल्पता दिवस का उद्देश्य
- आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और आयोडीन की कमी के परिणामों पर प्रकाश डालना है.
- मानव शरीर में आयोडीन के महत्व को सिखाने और समझाने के लिए.
- प्रत्येक आयोडीन की कमी के विकार के लिए लक्षणों और निवारक उपायों की व्याख्या करना.
- आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों की पहचान करना और लोगों को उन्हें अपने आहार में शामिल करने के लिए प्रेरित करना.
- इस कमी के बारे में लोगों के संदेह को स्पष्ट करने के लिए.
- पैम्फलेट बांटकर जागरूकता फैलाना और आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों पर दृश्य-श्रव्य दिखाना.
आयोडीन की कमी से होती हैं ये दिक्कतें
- थायरॉयड ग्रंथि का बढ़ना.
- मानसिक बीमारी: मंदबुद्धि, मानसिक मंदता, बच्चों में संज्ञानात्मक विकास की गड़बड़ी और मस्तिष्क की क्षति.
- तंत्रिका-पेशी और स्तैमित्य (मांसपेशियों की जकड़न).
- एन्डेमिक क्रेटिनिज़म (शारीरिक और मानसिक विकास का अवरुद्ध होना).
- मृत जन्म और गर्भवती महिलाओं में स्वतः गर्भपात.
- जन्मजात असामान्यता जैसे कि बहरा-गूंगापन (बात करने में असमर्थता) और बौनापन.
- देखने, सुनने और बोलने में दोष.