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विश्व हिंदी दिवस 2023: आजादी के 75 साल बाद भी न्यायालय हिंदी में नहीं करते सुनवाई, जानिए वजह - English is language of court

10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस है. world hindi day 2023 पहली बार विश्व हिंदी दिवस 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा दुनिया भर में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया गया था. इस दिन हिंदी को बढ़ावा देने कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है. लोगों को हिंदी के उपयोग के लिए जागरूक भी किया जाता है.why world hindi day celebrated लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी हिंदी सिर्फ कागजों पर ही बोली जा रही है. देश में अधिकतर जगहों पर अंग्रेजी में ही कामकाज हो रहा है.

world hindi day 2023
विश्व हिंदी दिवस
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Published : Jan 10, 2023, 2:24 PM IST

Updated : Jan 13, 2023, 3:39 PM IST

न्यायालयों में हिंदी में नहीं होती सुनवाई

रायपुर: आजादी के 75 साल बाद भी देश में अधिकतर जगहों पर अंग्रेजी में ही कामकाज हो रहा है. world hindi day 2023 यदि न्यायालय की बात की जाए, तो यहां की भाषा भी अंग्रेजी है. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अंग्रेजी में मामलों की सुनवाई की जाती है. साथ ही कोर्ट के फैसले भी अंग्रेजी में ही दिए जाते हैं. ऐसे में देश में सबसे अधिक हिंदी भाषी होने के बावजूद देश के कई संस्थानों और न्यायालयों में आज भी अंग्रेजी में बहस और फैसले हो रहे हैं.why world hindi day celebrated जिस वजह से ना सिर्फ आम लोगों को न्याय हासिल करने में परेशानी होती है, बल्कि मामलों की सुनवाई करने वाले वकीलों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

आखिर कोर्ट में हिंदी में क्यों नहीं होती बहस: देश को आजाद हुए 75 साल से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन आज भी हम अंग्रेजी से दूर नहीं हो सके. अधिकतर जगहों पर शासकीय कामकाज अंग्रेजी में किए जाते हैं. जिला सत्र न्यायालय में तो हिंदी सहित अन्य राज्यों की स्थानीय भाषाओं में मामलों की सुनवाई होती है और फैसले भी आते हैं. लेकिन जब मामला हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाता है, तो वहां अंग्रेजी में सुनवाई करना जरूरी है और फैसले भी अंग्रेजी में ही दिए जाते हैं. English is language of court

यह भी पढ़ें: चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ की शांति व्यवस्था बिगाड़ सकते हैं विपक्षी दल: टीएस सिंहदेव


कोर्ट की भाषा अंग्रेजी होने की क्या है वजह: आखिर ऐसी क्या वजह है कि कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है. क्या शुरू से अंग्रेजी भाषा का ही इस्तेमाल कोर्ट में किया जा रहा है या फिर पहले कोर्ट में किसी और भाषा का चलन था. इन बातों को जानने के लिए ईटीवी भारत ने बिलासपुर हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा से संपर्क किया. हमने यह जानने की कोशिश किया कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि देश में सबसे ज्यादा हिंदी बोली जाती है. court no hearing in Hindi

"HC और SC की ऑफिशियल लैंग्वेज है अंग्रेजी": ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल लैंग्वेज अंग्रेजी है. जहां अंग्रेजी में बहस और फैसले होते हैं. हालांकि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ऐसी व्यवस्था बनाई गई है कि वहां पर जो भी फाइल, किसी भी भाषा में जाए, उसे अंग्रेजी में अनुवाद किया जाता है." देश में सबसे ज्यादा हिंदी बोली जाती है. हिंदी बहुल क्षेत्र ज्यादा है. ऐसे में जिला सत्र न्यायालय में हिंदी का ज्यादा प्रयोग होता है. जब ये मामले हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं, तो पहले उसका अंग्रेजी में अनुवाद कराया जाता है."

"अदालत में हिंदी से होती है भाषाई परेशानी": सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हिंदी का चलन ना होने की वजह से दोनों पक्षों को कई तरह की परेशानी होती है. हालांकि कोर्ट में यह व्यवस्था और अधिकार दिया गया है कि यदि किसी व्यक्ति का कोई मामला कोर्ट में लगा हुआ है और वह अंग्रेजी नहीं जानता है तो उसे हिंदी में दस्तावेज देने की मांग की जा सकती है. लेकिन देश के जिला सत्र के बाद जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बहस की जाती है, तो उस दौरान अंग्रेजी ना आने पर दोनों ही पक्षों को काफी दिक्कत होती है."court no hearing in Hindi

यह भी पढ़ें: 2023 की संभावनाओं पर बोले टीएस सिंहदेव, आरक्षण की स्थिति पर जाहिर की चिंता

समय समय पर बदलती रही है कोर्ट की भाषा: सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "ऐसा नहीं है कि कोर्ट की भाषा शुरू से अंग्रेजी रही है. इसके पहले दूसरी भाषा में भी कोर्ट में बहस की जाती थी और फैसले आते थे. जब मुगलों का राज था, तो न्यायालय की भाषा उर्दू थी, यहां पर उर्दू का चलन था. उसके बाद जब अंग्रेज भारत आए, उनका शासन शुरू हुआ, उस दौरान काफी समय तक उर्दू और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का इस्तेमाल कोर्ट में किया जाता था. बाद में धीरे-धीरे उर्दू को समाप्त कर अंग्रेजी भाषा का चलन कोर्ट में शुरू कर दिया गया और कोर्ट की भाषा अंग्रेजी हो गई.''

"ऊपरी अदालतों में हिंदी अपनाने की चर्चा नहीं": सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "मेरी व्यक्तिगत राय है और मेरे लिए बड़ा दुख का विषय है कि आज भी ऐसी कोई चर्चा नहीं हो रही है कि न्यायालय की भाषा को हिंदी किया जाए. मेरा मानना है कि हिंदी भाषी ज्यादा होने की वजह से न्यायालय की भाषा ऑफिशियल हिंदी कर दी जाए. आज भी देश में अंग्रेजों के समय जो कानून बनाया गया है, वही कानून चले आ रहे हैं. क्योंकि उस समय अंग्रेजी में कानून बनाया गया था. वही मूल रूप में अब भी चला रहा है. उसमें बड़े पैमाने पर परिवर्तन की आवश्यकता है."court no hearing in Hindi

अंग्रेजी के साथ हिंदी का विकल्प की भी मांग: पेशे से वकील संजय ठाकुर का कहना है कि "अंग्रेजी में सुनवाई और फैसले होने की वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हम वकील को जो चीजें बता रहे हैं, क्या वह हमारी भावनाओं को समझ कर लिख पा रहा है या नहीं. जज का क्या फैसला आता है, वह हमें समझ नहीं आता. ऐसे में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाना चाहिए. जिससे दोनों ही पक्षकारों को बहस करने का फैसला समझने में आसानी हो सके. अंग्रेजी के साथ हिंदी का विकल्प भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दिया जाए."

न्यायालयों में हिंदी में नहीं होती सुनवाई

रायपुर: आजादी के 75 साल बाद भी देश में अधिकतर जगहों पर अंग्रेजी में ही कामकाज हो रहा है. world hindi day 2023 यदि न्यायालय की बात की जाए, तो यहां की भाषा भी अंग्रेजी है. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अंग्रेजी में मामलों की सुनवाई की जाती है. साथ ही कोर्ट के फैसले भी अंग्रेजी में ही दिए जाते हैं. ऐसे में देश में सबसे अधिक हिंदी भाषी होने के बावजूद देश के कई संस्थानों और न्यायालयों में आज भी अंग्रेजी में बहस और फैसले हो रहे हैं.why world hindi day celebrated जिस वजह से ना सिर्फ आम लोगों को न्याय हासिल करने में परेशानी होती है, बल्कि मामलों की सुनवाई करने वाले वकीलों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

आखिर कोर्ट में हिंदी में क्यों नहीं होती बहस: देश को आजाद हुए 75 साल से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन आज भी हम अंग्रेजी से दूर नहीं हो सके. अधिकतर जगहों पर शासकीय कामकाज अंग्रेजी में किए जाते हैं. जिला सत्र न्यायालय में तो हिंदी सहित अन्य राज्यों की स्थानीय भाषाओं में मामलों की सुनवाई होती है और फैसले भी आते हैं. लेकिन जब मामला हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाता है, तो वहां अंग्रेजी में सुनवाई करना जरूरी है और फैसले भी अंग्रेजी में ही दिए जाते हैं. English is language of court

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कोर्ट की भाषा अंग्रेजी होने की क्या है वजह: आखिर ऐसी क्या वजह है कि कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है. क्या शुरू से अंग्रेजी भाषा का ही इस्तेमाल कोर्ट में किया जा रहा है या फिर पहले कोर्ट में किसी और भाषा का चलन था. इन बातों को जानने के लिए ईटीवी भारत ने बिलासपुर हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा से संपर्क किया. हमने यह जानने की कोशिश किया कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि देश में सबसे ज्यादा हिंदी बोली जाती है. court no hearing in Hindi

"HC और SC की ऑफिशियल लैंग्वेज है अंग्रेजी": ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल लैंग्वेज अंग्रेजी है. जहां अंग्रेजी में बहस और फैसले होते हैं. हालांकि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ऐसी व्यवस्था बनाई गई है कि वहां पर जो भी फाइल, किसी भी भाषा में जाए, उसे अंग्रेजी में अनुवाद किया जाता है." देश में सबसे ज्यादा हिंदी बोली जाती है. हिंदी बहुल क्षेत्र ज्यादा है. ऐसे में जिला सत्र न्यायालय में हिंदी का ज्यादा प्रयोग होता है. जब ये मामले हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं, तो पहले उसका अंग्रेजी में अनुवाद कराया जाता है."

"अदालत में हिंदी से होती है भाषाई परेशानी": सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हिंदी का चलन ना होने की वजह से दोनों पक्षों को कई तरह की परेशानी होती है. हालांकि कोर्ट में यह व्यवस्था और अधिकार दिया गया है कि यदि किसी व्यक्ति का कोई मामला कोर्ट में लगा हुआ है और वह अंग्रेजी नहीं जानता है तो उसे हिंदी में दस्तावेज देने की मांग की जा सकती है. लेकिन देश के जिला सत्र के बाद जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बहस की जाती है, तो उस दौरान अंग्रेजी ना आने पर दोनों ही पक्षों को काफी दिक्कत होती है."court no hearing in Hindi

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समय समय पर बदलती रही है कोर्ट की भाषा: सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "ऐसा नहीं है कि कोर्ट की भाषा शुरू से अंग्रेजी रही है. इसके पहले दूसरी भाषा में भी कोर्ट में बहस की जाती थी और फैसले आते थे. जब मुगलों का राज था, तो न्यायालय की भाषा उर्दू थी, यहां पर उर्दू का चलन था. उसके बाद जब अंग्रेज भारत आए, उनका शासन शुरू हुआ, उस दौरान काफी समय तक उर्दू और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का इस्तेमाल कोर्ट में किया जाता था. बाद में धीरे-धीरे उर्दू को समाप्त कर अंग्रेजी भाषा का चलन कोर्ट में शुरू कर दिया गया और कोर्ट की भाषा अंग्रेजी हो गई.''

"ऊपरी अदालतों में हिंदी अपनाने की चर्चा नहीं": सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि "मेरी व्यक्तिगत राय है और मेरे लिए बड़ा दुख का विषय है कि आज भी ऐसी कोई चर्चा नहीं हो रही है कि न्यायालय की भाषा को हिंदी किया जाए. मेरा मानना है कि हिंदी भाषी ज्यादा होने की वजह से न्यायालय की भाषा ऑफिशियल हिंदी कर दी जाए. आज भी देश में अंग्रेजों के समय जो कानून बनाया गया है, वही कानून चले आ रहे हैं. क्योंकि उस समय अंग्रेजी में कानून बनाया गया था. वही मूल रूप में अब भी चला रहा है. उसमें बड़े पैमाने पर परिवर्तन की आवश्यकता है."court no hearing in Hindi

अंग्रेजी के साथ हिंदी का विकल्प की भी मांग: पेशे से वकील संजय ठाकुर का कहना है कि "अंग्रेजी में सुनवाई और फैसले होने की वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हम वकील को जो चीजें बता रहे हैं, क्या वह हमारी भावनाओं को समझ कर लिख पा रहा है या नहीं. जज का क्या फैसला आता है, वह हमें समझ नहीं आता. ऐसे में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाना चाहिए. जिससे दोनों ही पक्षकारों को बहस करने का फैसला समझने में आसानी हो सके. अंग्रेजी के साथ हिंदी का विकल्प भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दिया जाए."

Last Updated : Jan 13, 2023, 3:39 PM IST
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