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SPECIAL: ऐतिहासिक बूढ़ा तालाब में तोड़ा गया धोबी घाट, कई परिवारों पर रोजी रोटी का संकट

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Published : Jul 26, 2020, 10:18 PM IST

राजधानी रायपुर में ऐतिहासिक बूढ़ा तालाब में स्थित धोबी घाट को तोड़ दिया गया है. बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण के तहत घाट को तोड़ा गया है, जिससे करीब 40 धोबी परिवारों के सामने आर्थिक परेशानी आ खड़ी हुई है. धोबी समाज ने मांग की है कि जल्द से जल्द उन्हें घाट बनाकर दिया जाए, जिससे उनका व्यवसाय शुरू किया जा सके. वहीं महापौर एजाज ढेबर ने घाट के वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने की बात कही है.

dhobi ghat raipur
धोबी घाट टूटने से धोबी समाज परेशान

रायपुर: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बूढ़ा तालाब में सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है. इस ऐतिहासिक तालाब के सौंदर्यीकरण करने के चलते यहां मौजूद धोबीघाट को नगर नगम ने तोड़ दिया है. इस वजह से धोबी समाज के लोगों का काम प्रभावित हुआ है. कोरोना काल में पहले ही लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक घाट के तोड़े जाने से करीब 40 धोबी परिवारों का व्यवसाय ठप पड़ गया है और उनकी माली हालात खराब हो गई है.

नगर निगम ने तोड़ा बूढ़ा तालाब का धोबी घाट

धोबी समाज के लोग कई पीढ़ियों से बूढ़ा तालाब में अपना व्यवसाय कर रहे हैं. कपड़े धोना ही उनकी आजीविका का प्रमुख साधन है. लेकिन निगम के इस कदम से उनके सामने अब रोजी-रोटी की बड़ी मुसीबत आ खड़ी हुई है.

धोबी घाट टूटने से कई परिवारों के सामने आर्थिक संकट

धोबी घाट में काम करने वाले धोबी समाज के लोगों ने बताया कि वे परंपरागत यह कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा उन्हें कोई काम भी नहीं आता, ऐसे में जिस जगह पर वे पिछले 70-80 सालों से कपड़ा धोते आ रहे हैं. ऐसे में घाट तोड़े जाने से उनका कार्य प्रभावित हुआ है.

स्मार्ट सिटी रायपुर और नगर निगम ने मिलकर बूढ़ा तालाब का कायाकल्प करने की योजना बनाई है. जिसके तहत तालाब को नया रूप दिया जा रहा है. इस दौरान धोबी समाज के सैकड़ों लोगों की आमदनी को नुकसान हुआ है. समाज के लोगों की मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द धोबी घाट बनाकर दिया जाना चाहिए. जिससे परिवार का पालन-पोषण करने में दिक्कत न हो.

जल्द धोबी घाट बनाकर देने की मांग

धोबी समाज के राधेश्याम बुंदेला ने बताया कि बूढ़ा तालाब में पहले भी सौंदर्यीकरण का काम किया गया है, लेकिन आज तक कभी धोबी घाट को नहीं हटाया गया. उन्होंने बताया कि पूर्व में महापौर तरुण चटर्जी के कार्यकाल के दौरान घाट को बनाकर सुरक्षित स्थान दिया गया था. राधेश्याम ने वर्तमान महापौर एजाज ढेबर पर आरोप लगाते हुए कहा कि महापौर और स्मार्ट सिटी प्रबंधन ने मिलकर धोबी घाट को तोड़ दिया है, जिसकी वजह से आर्थिक समस्या बढ़ती जा रही है. उनका कहना है कि अब धोबियों के लिए किसी दूसरी जगह घाट बनाकर दिया जाना चाहिए, जिससे उनकी परेशानियां दूर हो सके.

घाट को लेकर महापौर को सौंपा था ज्ञापन

नवनिर्माण बुंदेल धोबी समाज के अध्यक्ष ललित बुंदेल ने बताया के पिछले 80 से 90 साल से समाज द्वारा धोबीघाट में कपड़ा धोने का काम किया जा रहा है. तालाब के सौंदर्यीकरण की सूचना मिलने के पहले ही महापौर को इस संबंध में ज्ञापन दिया गया था. इस बात से अवगत कराया गया था कि घाट के टूट जाने से धोबी समाज को कितनी दिक्कत होगी, लेकिन कुछ न हो सका. ललित ने कहा कि समाज के लोगों के लिए कपड़े धोना की एकमात्र रोजी-रोटी का साधन है. उन्होंने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द घाट का निर्माण कराया जाए.

पढ़ें- रायपुर के 34 तालाबों को किया जाएगा साफ, लोगों में जागरूकता: मेयर

इस संबंध में नगर निगम महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि वो नहीं चाहते कि किसी के भी रोजगार को नगर निगम प्रभावित करे. महापौर ने कहा कि धोबी समाज के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है. धोबी घाट निर्माण के लिए शहर के दो तालाबों का निरीक्षण किया गया है. महापौर का कहना है कि वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर निगम ने क्षेत्र के महाराजबंद तालाब को चिन्हित किया है. वहां पर एक छोटा सा घाट है. अगर वह तालाब मिल जाता है, तो निश्चित ही धोबी समाज वहां जाकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है. इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

पढ़ें- रायपुर नगर निगम ने सार्वजानिक जगहों पर लगाए बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण के पोस्टर

महापौर एजाज ढेबर ने आगे कहा कि बूढ़ा तालाब में सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है, जहां धोबी घाट बनाकर नहीं दिया जा सकता. तालाब का पूर्ण रूप से कायाकल्प किया जाना है. उसे 35 करोड़ रुपए खर्च कर डेवलप करने की तैयारी है. महापौर ने कहा कि आने वाले समय में बूढ़ा तालाब का अलग ही स्वरूप होगा. यही वजह है कि वहां पर धोबी घाट बनाना संभव नहीं है. धोबी समाज के लिए जल्द ही दूसरी जगह घाट बना कर दिया जाएगा. इस बात को लेकर महापौर ने कहा कि वह सिर्फ आश्वासन नहीं दे रहे हैं, बल्कि जो कह रहे हैं वह करके दिखाएंगे. उनका कहना है कि अगर महाराजबंद तालाब में मौजूद घाट उन्हें पसंद आ जाएगी, तो उसे उनके व्यवसाय के लिए दिया जाएगा.

रायपुर: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बूढ़ा तालाब में सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है. इस ऐतिहासिक तालाब के सौंदर्यीकरण करने के चलते यहां मौजूद धोबीघाट को नगर नगम ने तोड़ दिया है. इस वजह से धोबी समाज के लोगों का काम प्रभावित हुआ है. कोरोना काल में पहले ही लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक घाट के तोड़े जाने से करीब 40 धोबी परिवारों का व्यवसाय ठप पड़ गया है और उनकी माली हालात खराब हो गई है.

नगर निगम ने तोड़ा बूढ़ा तालाब का धोबी घाट

धोबी समाज के लोग कई पीढ़ियों से बूढ़ा तालाब में अपना व्यवसाय कर रहे हैं. कपड़े धोना ही उनकी आजीविका का प्रमुख साधन है. लेकिन निगम के इस कदम से उनके सामने अब रोजी-रोटी की बड़ी मुसीबत आ खड़ी हुई है.

धोबी घाट टूटने से कई परिवारों के सामने आर्थिक संकट

धोबी घाट में काम करने वाले धोबी समाज के लोगों ने बताया कि वे परंपरागत यह कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा उन्हें कोई काम भी नहीं आता, ऐसे में जिस जगह पर वे पिछले 70-80 सालों से कपड़ा धोते आ रहे हैं. ऐसे में घाट तोड़े जाने से उनका कार्य प्रभावित हुआ है.

स्मार्ट सिटी रायपुर और नगर निगम ने मिलकर बूढ़ा तालाब का कायाकल्प करने की योजना बनाई है. जिसके तहत तालाब को नया रूप दिया जा रहा है. इस दौरान धोबी समाज के सैकड़ों लोगों की आमदनी को नुकसान हुआ है. समाज के लोगों की मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द धोबी घाट बनाकर दिया जाना चाहिए. जिससे परिवार का पालन-पोषण करने में दिक्कत न हो.

जल्द धोबी घाट बनाकर देने की मांग

धोबी समाज के राधेश्याम बुंदेला ने बताया कि बूढ़ा तालाब में पहले भी सौंदर्यीकरण का काम किया गया है, लेकिन आज तक कभी धोबी घाट को नहीं हटाया गया. उन्होंने बताया कि पूर्व में महापौर तरुण चटर्जी के कार्यकाल के दौरान घाट को बनाकर सुरक्षित स्थान दिया गया था. राधेश्याम ने वर्तमान महापौर एजाज ढेबर पर आरोप लगाते हुए कहा कि महापौर और स्मार्ट सिटी प्रबंधन ने मिलकर धोबी घाट को तोड़ दिया है, जिसकी वजह से आर्थिक समस्या बढ़ती जा रही है. उनका कहना है कि अब धोबियों के लिए किसी दूसरी जगह घाट बनाकर दिया जाना चाहिए, जिससे उनकी परेशानियां दूर हो सके.

घाट को लेकर महापौर को सौंपा था ज्ञापन

नवनिर्माण बुंदेल धोबी समाज के अध्यक्ष ललित बुंदेल ने बताया के पिछले 80 से 90 साल से समाज द्वारा धोबीघाट में कपड़ा धोने का काम किया जा रहा है. तालाब के सौंदर्यीकरण की सूचना मिलने के पहले ही महापौर को इस संबंध में ज्ञापन दिया गया था. इस बात से अवगत कराया गया था कि घाट के टूट जाने से धोबी समाज को कितनी दिक्कत होगी, लेकिन कुछ न हो सका. ललित ने कहा कि समाज के लोगों के लिए कपड़े धोना की एकमात्र रोजी-रोटी का साधन है. उन्होंने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि जल्द से जल्द घाट का निर्माण कराया जाए.

पढ़ें- रायपुर के 34 तालाबों को किया जाएगा साफ, लोगों में जागरूकता: मेयर

इस संबंध में नगर निगम महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि वो नहीं चाहते कि किसी के भी रोजगार को नगर निगम प्रभावित करे. महापौर ने कहा कि धोबी समाज के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है. धोबी घाट निर्माण के लिए शहर के दो तालाबों का निरीक्षण किया गया है. महापौर का कहना है कि वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर निगम ने क्षेत्र के महाराजबंद तालाब को चिन्हित किया है. वहां पर एक छोटा सा घाट है. अगर वह तालाब मिल जाता है, तो निश्चित ही धोबी समाज वहां जाकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है. इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

पढ़ें- रायपुर नगर निगम ने सार्वजानिक जगहों पर लगाए बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण के पोस्टर

महापौर एजाज ढेबर ने आगे कहा कि बूढ़ा तालाब में सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है, जहां धोबी घाट बनाकर नहीं दिया जा सकता. तालाब का पूर्ण रूप से कायाकल्प किया जाना है. उसे 35 करोड़ रुपए खर्च कर डेवलप करने की तैयारी है. महापौर ने कहा कि आने वाले समय में बूढ़ा तालाब का अलग ही स्वरूप होगा. यही वजह है कि वहां पर धोबी घाट बनाना संभव नहीं है. धोबी समाज के लिए जल्द ही दूसरी जगह घाट बना कर दिया जाएगा. इस बात को लेकर महापौर ने कहा कि वह सिर्फ आश्वासन नहीं दे रहे हैं, बल्कि जो कह रहे हैं वह करके दिखाएंगे. उनका कहना है कि अगर महाराजबंद तालाब में मौजूद घाट उन्हें पसंद आ जाएगी, तो उसे उनके व्यवसाय के लिए दिया जाएगा.

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