रायपुर: छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी को सहेजने की सुराजी गांव योजना का असर अब गांवों में दिखने लगा है. यह योजना खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही है, साथ ही ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोल रही है. लॉकडाउन में भी महिलाएं बाड़ी में सब्जी उगाकर और गौठान में बनी वर्मी कंपोस्ट की बिक्री कर कमाई कर रही हैं. ये महिलाएं सब्जियों का वितरण कर ग्रामीणों की मदद भी कर रही हैं.
![Women get employment in Narwa Garwa Ghurwa Bari in Raipur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-rpr-manrega-7206772_22042020173012_2204f_1587556812_617.jpg)
महिलाओं ने किसानों को बेचा जैविक खाद
हिर्री में कुछ अन्य स्वसहायता समूह की महिलाएं गौठान में वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के काम में लगी हुई हैं. अभी हाल ही में इन महिलाओं ने स्थानीय किसानों को 15 क्विंटल जैविक खाद बेचा है. किसानों को वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध कराने के साथ ही दूसरी महिलाओं की बाड़ी के लिए भी वे जैविक खाद देती हैं. जैविक खाद के उपयोग से मृदा और पर्यावरण दोनों की सेहत सुधर रही है. वर्मी कम्पोस्ट निर्माण के दौरान केचुओं का संवर्धन कर इसका भी विक्रय किया जा रहा है.
काम के साथ रखा जा रहा सफाई का ख्याल
गौठान और बाड़ी में काम के दौरान सभी महिलाएं कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के उपायों का पालन कर रही है. साबुन से बार-बार हाथ धोने के साथ ही शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए मास्क और कपड़े से मुंह ढंककर काम कर रही है.
गौठान बनने से किसानों को राहत
सुराजी गांव योजना के अंतर्गत गांव के पास से गुजरने वाले नाले में जल संवर्धन के लिए बोल्डर चेकडैम बनाया गया है. इसके निर्माण से गांव के भू-जल स्तर में काफी सुधार आया है. इधर-उधर घूमने वाले मवेशियों को अब गौठान में रखे जाने से किसान भी राहत महसूस कर रहे हैं. खुली चराई के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से वे अब बेफिक्र हो गए हैं.