रायपुर : कुछ कर गुजरने की चाह हो तो संभावनाएं भी खुद बन जाती हैं. कांग्रेस सरकार की पहल पर तैयार किए गौठान महिलाओं के लिए नई संभावनाओं के अवसर लेकर आए हैं. एक छोटे से गांव बैहार की महिलाओं ने गौठान से मिले इस अवसर का लाभ उठाकर अपनी कर्मठता और उद्यमिता से एक अलग पहचान बनाई है.
![Women are preparing eco friendly materials in baihar village](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/5985115_3.jpg)
रायपुर से आरंग-सरायपाली होकर ओडिशा जाने वाले नेशनल हाइवे के किनारे बसा है, ग्राम बैहार यहां के स्व-सहायता समूह की महिलाएं गौठान के गोबर से पर्यावरण अनुकूल सामान बनाकर कर न सिर्फ आर्थिक रूप से सबल हुई है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दें रही हैं.
बता दें कि 'बैहार के गोठान में प्रशिक्षण लेकर समूह की महिलाएं गोबर और गौ मूत्र आधारित विभिन्न उत्पाद तैयार करना सीखा. अब महिलाएं गोबर के आकर्षक गमला, दीया, जैविक खाद, जैविक दवाइयों के साथ अगरबत्ती और एलोविरा युक्त साबुन का उत्पादन कर रही है.
![Women are preparing eco friendly materials in baihar village](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/5985115_2.jpg)
14 क्विंटल गोबर खाद बेचा गया
महिलाओं ने सब्जी उत्पादन कर 75 हजार रूपये की सब्जी, 5 हजार से अधिक संख्या में गोबर से गमले, 6 क्विंटल अगरबत्ती और 35 हजार रूपये के साबुन का विक्रय किया है. महिलाओं ने 14 क्विंटल गोबर खाद का निर्माण कर उसका विक्रय भी किया है.
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5 एकड़ जमीन में बाड़ी बनाई गई
समूह की महिलाओं ने बताया कि शासन की ‘नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी‘ योजना के तहत ग्राम पंचायत बैहार में 3 एकड़ जमीन में गौठान का निर्माण किया गया. इससे लगे 10 एकड़ में चारागाह और 5 एकड़ जमीन में बाड़ी भी बनाई गई है'.
संचालन की जिम्मेदारी स्व-सहायता समूहों पर
गौठान के प्रबंधन और संचालन की जिम्मेदारी गांव की ही महिला स्व-सहायता समूहों को दी गई है. गौठान के अंदर महिलाओं को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क की तरह विभिन्न कार्य करने का प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है.
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महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर
उन्होंने बताया कि 'अब गांव की महिलाएं गौठान के गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार कर रही है. बैहार के गौठान में अमर ज्योति स्व-सहायता समूह, आरती स्व-सहायता समूह, एकता स्व-सहायता समूह, मां अम्बे स्व-सहायता समूह, जय मां शारदा, कुमकुम स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अब तक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाया है और अपने घर-परिवार के लिए संबल बन रही हैं'.