रायपुर : कोरोना और लॉकडाउन का असर टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर भी देखने को मिल रहा है. 21 अगस्त को तीजा का त्योहार देशभर में मनाया जाएगा. तीजा को लेकर राजधानी का बाजार भी सज चुका है. लेकिन कोरोना की वजह से बाजार में भीड़ न के बराबर है. तीजा के त्योहार में महिलाएं नई साड़ी पहनती हैं, लेकिन इस साल बहुत कम महिलाएं खरीदारी के लिए बाहर निकल रही हैं. हर साल की तरह इस साल सिर्फ 50 प्रतिशत महिलाएं ही खरीदारी करती दिखीं.
राजधानी रायपुर की बात की जाए तो, अकेले राजधानी में छोटी-बड़ी मिलाकर साड़ियों की लगभग 2000 दुकानें हैं, लेकिन इस बार भीड़ बाजार से गायब नजर आ रही है. दुकानदारों की बिक्री भी सामान्य दिनों की तुलना में 50% रह गई है. लॉकडाउन और कोरोना की वजह से हर परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ा है, जिसके कारण लोगों का बजट भी बिगड़ गया है. बजट बिगड़ने की वजह से महिलाएं 500 रुपये से लेकर डेढ़ हजार रुपए तक की साड़ी की खरीदी कर रही हैं. सामान्य दिनों में महिलाएं तीजा त्यौहार के समय 1000 रुपया से लेकर लगभग 4000 रुपए तक की साड़ी खरीदा करती थीं.
पढ़ें : WORLD PHOTOGRAPHY DAY: कैसे बदला 180 सालों में फोटोग्राफी का ट्रेंड
लॉकडाउन के कारण महिलाएं तीजा का त्योहार ससुराल में ही रहकर मना रही हैं. वरना तीज का त्योहार महिलाएं मायके में रहकर मनाती हैं. कोरोना की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी बंद हैं. सड़कों पर बसों का संचालन बंद हो गया है, यहां तक की कुछ ट्रेनों को छोड़कर कई ट्रेनों का संचालन अब भी शुरू नहीं हो पाया है. इस कारण भी महिलाएं अपने मायके में तीजा त्योहार नहीं मना पाएंगी. महिलाओं के लिए तीजा त्योहार साल का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. महिलाएं कहीं जाए या ना जाएं. लेकिन साल में एक बार तीज का त्योहार मनाने अपने मायके जरूर जाया करती हैं.
तीज का त्योहार
- अखंड सौभाग्यवती का पर्व हरितालिका तीज इस साल 21 अगस्त को मनाया जाएगा.
- इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं.
- मान्यताओं के अनुसार अखंड सौभाग्य और मनचाहे वर के लिए तीजा व्रत यानी हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है.
- भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की हस्त नक्षत्र युक्त तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है.
- इस व्रत को कुमारी कन्याएं अपने लिए मनचाहा पति पाने और विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को करती है.
- इस व्रत में शाम के समय 4 पहर की पूजा करते हुए रात भर भजन कीर्तन और जागरण किया जाता है.