रायपुर: छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर वाकई सरकार गंभीर है या फिर ये सिर्फ चुनावी मुद्दा था, ये सवाल उठने लगा है. दरअसल 2018 के चुनावी मौसम में कई वादे छत्तीसगढ़ की फिजां में तैर रहे थे. कांग्रेस ने आम जानमानस की
खासतौर पर महिलाओं की बेहद अहम मांग को अपनाते हुए सरकार बनने पर पूर्ण शराब बंदी का वादा किया था.लेकिन सरकार बनने के ढाई साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी इस दिशा में भूपेश सरकार एक इंच भीआगे नहीं बढ़ी है. मानसून सत्र में इसको लेकर एक अशासकीय संकल्प भी भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा द्वारा लाया गया. इस पर चर्चा हुई और मतविभाजन कराया गया तो इसके पक्ष में 13 और इसके खिलाफ 58 मत दिए गए. शराबबंदी के खिलाफ मत देने वालों में कांग्रेस के विधायक थे. जिन्होंने चुनाव के वक्त पूर्ण शराब बंदी की बात कही थी.
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शराबबंदी पर अब क्या है सरकार का मत
पहले जहां सीधे-सीधे शराबबंदी करने की बात होती थी, वहीं अब सरकार इसे घुमाकर कहती है कि, वे अब भी इसके पक्ष में है. लेकिन इसके सामाजिक और आर्थिक असर को समझ लिया जाए फिर ये कदम उठाया जाएगा.एकदम से शराब बंदी करने से खतरनाक नतीजे भी सामने आ सकते हैं. सरकार ने इसके लिए तीन समितियां भी गठित की हैं, लेकिन ये समितियां भी सियासत का शिकार हैं. पिछले दो सालों में न तो इनकी नियमित बैठकें हुई हैं, न ही कोई अनुशंसा अब तक इनकी ओर से आया है.
वहीं विपक्ष का साफ कहना है कि आपने जनता से वादा करते वक्त तो नहीं कहा था कि हम शराबबंदी को लेकर कमेटी गठित करेंगे और उसकी अनुशंसा के आधार पर कोई फैसला लिया जाएगा. विपक्ष इसे सरकार द्वारा जनता को गुमराह करना करार दे रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विपक्ष के इस आरोप पर आपत्ति जताई की कांग्रेस नेताओं ने गंगाजल की कसम शराबबंदी को लेकर खाई थी. सीएम बघेल ने कहा कि, सिर्फ 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने को लेकर इस तरह की शपथ ली गई थी.
छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में शराब की भूमिका
प्रदेश सरकार को मिलने वाली आय में बहुत बड़ा योगदान शराब का है. इस साल सरकार ने इससे 5 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य है. ये सरकार को मिलने वाली कुल राशि का बहुत बड़ा हिस्सा है, ऐसे में सरकार के लिए ये फैसला लेना आसान नहीं होगा. हमने विधानसभा सत्र के बाद कुछ विधायकों से सीधे इस संबंध में सवाल पूछा और जानने की कोशिश की इस मुद्दे पर सरकार की क्या मंशा है.क्या इस दिशा में वाकई कोई काम हो रहा है या फिर ये सिर्फ चुनाव शिगुफा ही था. जिसमें बीजेपी नेता शिवरतन शर्मा ने सरकार पर इस मुद्दे को लेकर टाल मटोल करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि सीएम ने शराब बंदी को लेकर कोई ठोस बात नहीं कही. शराबबंदी के विरोध में सदन में कांग्रेस के 56 मत पड़े. बीजेपी विधायक रंजना साहू ने कहा कि सरकार शराबबंदी के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि धमतरी में 104 बार को खोलने का फैसला लिया है. कांग्रेस विधायक ममता चंद्राकर ने कहा कि शराबबंदी तो छत्तीसगढ़ में होनी चाहिए. लेकिन वह लोगों की जागरुकता और लोगों की मदद के बिना शराबबंदी नहीं होने की बात कही है.